बजरंगी
बजरंगी
लोग अक्सर अपने जीवन में जंगली जीवों को सिर्फ मनोरंजन के लिए ही देखते हैं I संसार में गिने चुने व्यक्ति या संस्था को छोड़कर बाकी पूरा मानव समाज सिर्फ अपने फायदे के लिए जंगल को उपयोग करते हैं तथा जंगली पशु पक्षियों को अपने कैद में रख कर तड़पाते रहते हैं।
ऐसे ही एक बंदर की कहानी मैं आज बताने वाला हूं जो अपना जीवन अपने लिए न जीकर किसी मानव के लिए जीता रहा उस मानव का पूरे परिवार का भरण पोषण कर खुद कुछ खाने के लिए उसके दया का मोहताज रहा I यदि कभी अपने जाति के प्रवृत्ति के अनुसार कुछ काम कर दे तो लाठी से मार खाता पर पेट के लिए दिन भर तड़पता रहता खूँटी से बंधे रस्सी को देख मालिक के सामने कातर निगाह से देखते रहता I
चलिए उस बंदर का नाम बता दूँ "बजरंगी " उसके मालिक ने य़ह नाम बचपन से रखा था जो एक माँ से उसके एक माह के बच्चे को एक पारम्परिक फंदे से पकड़ कर उसकी ममता से बंचित कर दिया I उस बच्चे से उनकी बचपन और आजादी छिन लिया I प्रायः बंदरों का उम्र 25 से 30 वर्ष या उसके आसपास होती है I
नन्हे बंदर अपना उस आदमी को ही अपना सब-कुछ समझता उसके आसपास ही साये की तरह रहता को धीरे धीरे काम सिखाया जाने लगा लाठी से पंजे को पीट कर सीधा खड़े होना उछालना आदि सिखाया गया I
प्रायः पशुओं में इतनी बुद्धि होती है कि वे कुछ आवाजों शब्दों,बोली को समझ सकते हैं जैसे उनको किसी नाम से बुलाएं तो समझ जाना जो अन्य पालतू जानवर, बिल्ली, कुत्ते, हाथी गाय आदि में भी पाया जाता है I
अब प्रशिक्षण के बाद वह बच्चा कमाने के लिए तैयार हो एक गांव से दूसरे गाँव करतब दिखाने लगा I मालिक के रस्सी से बंधा वह लोगों के बीच अपने मालिक के इशारे, आवाज को सुन करतब दिखाता I
"बजरंगी राम के लिए समुद्र को कैसे पार किया "
बजरंगी लाठी जो उसके मालिक के हाथ मे ऊचाई में होता छलांग लगा देता I
" बजरंगी तुम्हारी बीवी रूठ कर मायके में है कैसे मनाएगा आदि आदि I
बजरंगी अंतिम में सबका जमीन पर माथा टेक प्रणाम कर सबके स्नेह प्राप्त करता I खेल देख लोग रुपया, चावल आदि वहां चादर में डालते जिसे अपने झोले में डाल मालिक दूसरे गाँव की और चल पड़ता फिर खेल दिखाने के लिए I
इस तरह दिन भर के कमाई से पूरे घर का खर्च चलता,और बजरंगी को दो वक्त का खाना नसीब होता I
जब बजरंगी बुढ़ा हो गया तब मालिक ने उसे पास के जंगल में छोड़ दिया अकेले जीवन बिताने के लिए ,बजरंगी अपने बारादरी में भी नहीं जा सकता उनमें अपने समूह पहचानने की गुण होते हैं I वे दूसरे समुदाय के बंदरों को कभी स्वीकार नहीं करते l
बजरंगी दूसरे गाँव के आसपास वापस आ गया भूख मिटाने बस्ती में जा पहुंचा बच्चों की नजर पड़ते ही टोलियों की झुंड ने पत्थर से मार कर घायल कर दिया I
वह एक गांव से दूसरे गाँव भागते-भागते उसने अपने जान बचाने की कोशिश की पर जल्द ही वह बीमार पड़ गया और भूख और बीमारी के कारण उसके आंख एक पेड़ के नीचे बंद होने लगा। उसने अंतिम बार इस दुनियां को देखने की कोशिश की जिसमें जनम तो लिया पर अपने लिए जी नहीं पाया, आंसू की धार दोनों आँखों के कोरों पर अंतिम क्षण बह निकले और हमेशा के लिए उसने अपनी आंख बंद कर ली I