बिन तेरे एक खलिश सी है
बिन तेरे एक खलिश सी है
"अरे ! ये अचानक से इतनी तेज़ बारिश कैसे आ गयी।" भरत यह सोचता हुआ जल्दी से कमरे की खिड़की बंद करने दौड़ा। तभी उसकी नज़र सामने बस स्टैंड पर खड़ी सोनाली पर पड़ी। सोनाली आज भी उतनी ही खूबसूरत लगती है, जितनी कॉलेज के समय में लगती थी।
गीले बालों में तो वह गजब की खूबसूरत लग रही थी। वह ऑटो रिक्शा रोकने की कोशिश कर रही थी, पर कोई रुक ही नहीं रहा था। भरत से अब सोनाली को भीगते हुए देखा ही नहीं जा रहा था। वह जल्दी से छतरी लेकर उसे नीचे लेने पहुँच गया।
सोनाली ने भरत को देखा तो उसे अपनी आखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। उसने अपनी आँखें मलते हुए भरत को देखा। अरे ये क्या किया तुमने ? काजल लगी हुई तुम्हारी झील सी आँखें हमेशा मेरा दिल ले लेती थी, इतनी ज़ोर से मली की तुम्हारा सारा काजल ही फ़ैल गया, और अब तो तुम भूतनी लग रही हो। सोनाली ने भरत को गुस्से में मारते हुए कहा "तुम बिलकुल नहीं बदले ना, जैसे कॉलेज में मेरा मज़ाक बनाते रहते थे, वैसे ही अब भी मेरा मज़ाक बना रहे हो।" भरत ने कहा "दोस्तों से मज़ाक नहीं करूँगा, तो किस से करूँगा ? अच्छा अब यही खड़े रहने का इरादा है या ऊपर मेरे घर में चलोगी। सोनाली ने प्रश्न भरी नज़रों से भरत की तरफ देखा तो भरत बोला "अभी दो महीने पहले ही इधर शिफ्ट हुआ हूँ।"
सोनाली से अब और भीगा नहीं जा रहा था वह जल्दी से भरत के साथ चल दी। भरत का घर बहुत ही सलीके से सजा हुआ था। सोनाली हँसते हुए बोली "अरे ! तुमने इतना साफ़ सुथरा घर कैसे रखा हुआ है, पहले तो कभी भी तुम्हारे घर चले जाओ, तो तुम्हारे रूम में चारों तरफ सामान फैला रहता था।"
भरत में बात पलटते हुए कहा अब यहाँ खड़े-खड़े मेरा कारपेट गीला करने का इरादा है, क्या ? यह लो तौलिया और नाइटी, कपड़े बदल लो नहीं तो ठण्ड लग जायेगी। सोनाली यह कहते हुए बाथरूम की तरफ चली गयी की "तुम मेरी इतनी चिंता कब से करने लगे।" भरत ने सोनाली को घूरते हुए कहा "तुम्हारी आज भी मेरी टांग खींचने की आदत नहीं गयी।" सोनाली ने कहा "तुम्हारी टांग खींचने में ही तो मुझे सबसे ज़्यादा मज़ा आता है।"
भरत किचन में सोनाली की पसंद की अदरक वाली चाय और पकौड़े बनाने चला गया। सोनाली जैसे ही नाइटी पहन कर बाहर आयी भरत उसे देखता ही रह गया पर सोनाली तो चाय की खुशबु सूंघने में मग्न थी। उसने भरत से पूछा "तुमने शादी कब की ? मुझे बुलाया भी नहीं।" भरत ने हँसते हुए कहा "शादी, तुम्हारे बाद कोई तुम्हारे जैसी मिली ही नहीं तो शादी कैसे करता।" सोनाली ने एकदम से पूछा "तो चाय कौन बना रहा है, और ये नाइटी किस की है।" भरत भी तपाक से बोला "तो अभी तक भी मैडम का डिटेक्टिव बनना बंद नहीं हुआ, अरे बुद्धू तुम्हारी कमी ने मुझे तुम्हारी पसंदीदा चाय बनाना सिखा दिया, और ये नाइटी तो मम्मी की है, वो यहाँ पर भूल गयी थी जब वो यहाँ मेरा सामान सैट करवाने आई थी।"
अब सोनाली थोड़ा झेप सी गयी और इधर-उधर देखने लगी। तभी भरत चाय और पकौड़े लेकर आ गया। सोनाली ने चाय पीते है हुए कहा "अरे ये तो बिलकुल वैसे बनी है, जैसी में बनाती हूँ।" भरत ने कहा "तुम्हारी कमी ने मुझे बहुत कुछ सिखा दिया सोनाली, अब मैं भी शादी के बंधन में विश्वास करने लगा हूँ।" सोनाली ने भरत की आँखों में झांकते हुए कहा "हाँ शायद, जब हम एक दूसरे से दूर हो जाते हैं, तभी हमें एक दूसरे की एहमियत महसूस होती है। मुझे भी हमेशा सिर्फ अपना कैरियर ही सबसे ज़्यादा ज़रूरी लगता था और आज जब अपनी कंपनी में बहुत ऊँचे पद पर हूँ तो भी एक खलिश सी लगती है। यहाँ मुंबई, एक मीटिंग के लिए आई थी। गाड़ी रास्ते में ख़राब हो गयी थी और मोबाइल का भी चार्ज खत्म हो गया था, इसलिए दूसरी गाडी भी नहीं बुलवा सकती थी और देखो तकदीर को जब किसी से मिलवाना होता है, तो कैसे मिलवाती है। मैं बिलकुल तुम्हारे घर के सामने ही ऑटो रिक्शा को रोक रही थी।
भरत ने कॉलेज के दिन याद करते हुए कहा "कैसे हम दोनों एक दूसरे का साथ पसंद करते थे। हर जगह कैंटीन में, लाइब्रेरी में, गार्डन में सब जगह साथ में रहते हँसते-बोलते पर जब एक दिन तुम्हारी मम्मी ने हमारी शादी की बात की तो हम दोनों नदी के दो किनारे बन गए। मैं सोचता था शादी के बंधन में कौन बंधे और तुमने भी अपने करियर को ही प्राथमिकता दी।" तभी हमने एक दूसरे बिलकुल ना मिलने और ना ही बात करने का फैसला कर लिया था, पर मेरा कोई दिन ऐसा नहीं जाता था जब तुम्हारी याद ना आती हो।"
तभी भरत ने सोनाली से पूछा "अच्छा बताओ तुमने शादी क्यूँ नहीं की ? सोनाली ने हँसते हुए कहा "क्यूंकि मैं उसे तलाश रही थी, जो बिलकुल मेरे जैसी अदरक वाली चाय बनाये।" भरत ने सोनाली का हाथ अपने हाथ में लेते हुए पूछा "क्या ज़िन्दगी भर मेरे हाथ की चाय पीना चाहोगी।" सोनाली ने भरत की आँखों में बहुत ही प्यार से देखते हुए कहा "यह चाय पीने को तो अब मैं कब से तरस रही हूँ। फिर वो दोनों एक-दूसरे को कुशन से मारने लगे और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।

