बिन फेरे हम तेरे
बिन फेरे हम तेरे
"हैल्लो कुसुम"
"अरे राज कहाँ थे आप कैसे हो जानते हो कितना इंतजार करती थी आपके फोन का, ठीक तो है आप सोना।"
"एक वादा करो नाराज न होगी "
"हाँ, एक वादा बोलिए "
"मेरा बेटा हुआ है कल"
"आपने शादी कब की?" कुसुम की आँखें बह रही थी शादी शुदा थी, पर जब पहली बार प्यार हुआ तो राज से जो साँवला और बलिष्ठ आकर्षक था पहली मुलाकात उसकी एक शादी समारोह में हुई थी। सहेली की भाभी का भाई था। कुसुम को देखकर फिदा हो गया। बस भाभी की सहेली से फोन नंबर लिया और एक मिसड काँल पहचान बढ़ी और घन्टों घन्टों बातें। पति टूर पर रहते एक सप्ताह में आना। तन्हा शारीरिक मिलन हो गया कब प्यार में पता भी न चला। चार साल का साथ था कुसुम और राज का, पति जैसा प्रेम कर बैठी तन मन न्योछावर सब कुछ पति के होते हुऐ भी।
एक धोखा पर विश्वास टूटा। मन से निकला बिन फेरे हम तेरे। जाओ राज ! खुश रखना उन्हें मेरे बारे में मत बताना कभी वो टूट जायेगी, मैंने प्यार किया पर तुमने विश्वास, एक बार कह देते मैं मना नहीं करती", "तुम टूट जाती मुझसे दूर हो जाती मैं मजबूर था।"
"जाओ माफ़ किया राज।"

