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Avinash Agnihotri

Tragedy Classics Inspirational

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Avinash Agnihotri

Tragedy Classics Inspirational

बीज

बीज

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अपने किशोरवय बेटे की फिक्र के चलते आज शालिनी उसे खुद अपने हाथ से मास्क लगा रही थी कि तभी उसका बेटा आरव बोला पड़ा "माँ आप हमेशा मुझे देख कहती है, कि देखना मेरा यह नन्हा पौधा एक दिन एक विशाल वटवृक्ष बनेगा।"

तब क्या आपको नहीं लगता कि एक नन्हा पौधा अपने बीज की मजबूत खोल में ज्यादा सुरक्षित था। और अंकुरित हो इस नन्हे पौधे के रूप में, उसे अपने अस्तित्व को खो देने का खतरा अधिक बढ़ गया है। उसकी यह गहरी बात सुन एक पल तो शालिनी भी गंभीर हो गई।

पर अगले ही पल उसे समझाते हुए बोली, "सुनो बेटा बीज की खोल के बाहर आने पर ही तुम इस जीवन की असीम संभावनाओं की ओर अग्रसर हो सकते हो।"

केवल बीज बने रहना इस जीवन का लक्ष्य नहीं है,और बेटा यह जीवन हमे जीने के लिए मिला है, ना कि इससे बचने के लिए।

अब अपनी माँ की गम्भीर बातों के अर्थ समझने की बारी आरव की थी।


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