Rashmi Choudhary

Tragedy

5.0  

Rashmi Choudhary

Tragedy

भूख

भूख

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"आओ मोहन बैठो"- कहते हुए अमीर घराने में ब्याही हुई सविता ने दूर के रिश्ते के भाई को बाहर दालान में ही बैठा दिया। गाँव से शहर आया हुआ भाई नौकरी की चाहत में उसी शहर में कमरा लेकर रह रहा था। बात कहीं बनी नहीं तो सोचा जीजी से ही मिल आऊँ। जीजा जी का बहुत बड़ा व्यापार है ऐसा उसने सुन रखा था। बंगले की रौनक देखकर समझ भी गया कि जीजी बहुत बड़े घर की मालकिन हैं। नौकर पानी का गिलास और चाय का कप रख गया। जीजी भी बाहर आकर बैठ गई तभी दरबान ने गेट खोला और बड़ी सी कार से चेहरे पर तेज लिए जीजाजी उतरे। देखते ही मोहन ने पैर छू कर अभिवादन किया। सविता बोली- "जी, ये मोहन है... पहचाना आपने... गीता बुआ का लड़का... आजकल यहीं रहता है सो मिलने चला आया।" मोहन ने दो लाइनों में अपनी कहानी कही। मोहन को देख जीजा जी समझ गए कि लड़का किन हालातों में है... तुरंत बोले-"भई सविता, ये चाय से क्या होगा, मोहन के लिए खाना लगवाओ।" "पाँच बजे कौन खाना खाता है जी"- सविता दम्भ से बोली। "सविता तुम ने ना तो संघर्षों के दिन देखे हैं और ना ही भूख, इसलिए ये बात कह रही हो", "आओ मोहन अंदर बैठते हैं"- कहते हुए जीजा जी ने मोहन के कंधे पर हाथ रख दिया और अतीत में डूब गए।


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