मन की बात
मन की बात
दोनों के ठहाके दूर दूर तक गूँज जाते...जाने क्या क्या बातें करती थी दोनों। बुंदेलखंड की कौशल्या देवी और केरल की ऐना डिसूजा की मित्रता पूरे वृद्धाश्रम में प्रसिद्ध थी। विगत चार वर्षों से दोनों अभिन्न सखियाँ एक साथ ही खाती...पीती...सैर करती और अपनी अपनी बातें एक दूसरे को सुनातीं।
कभी एकदम युवतियों सी खिलखिलातीं तो कभी उम्र के मुताबिक गंभीर भी हो जातीं।
उम्र के आखिरी पड़ाव पर भाषा की भिन्नता होने पर भी दोनों में गहरी मित्रता थी। अपना-अपना नियत कार्य पूरा कर वे दोनों बगीचे में बरगद के वृक्ष के नीचे जा बैठती। कौशल्या देवी को भगवान के लिए फूलों का हार बनाना पसंद था तो दोनों चुन-चुन कर सुबह ही सैर से लौटते हुए फूल ले आतीं।
वहीं ऐना को पुस्तकें पढ़ना पसंद था तो वह जब तब अपनी सखी को पुस्तकों और लेखकों के बारे में बताती रहती... वे एक दूसरे की भाषा भले ही ना बोल पाती थीं पर दोनों एक दूसरे के मन की बात बखूबी समझती थीं.... दोनों की भाषाऐं अलग थी पर शायद उनको समझने का व्याकरण एक ही था। दोनों एक ही दौर से जो गुजर रही थीं।