Rashmi Choudhary

Drama

5.0  

Rashmi Choudhary

Drama

सेवा का मोल

सेवा का मोल

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सरला टिफ़िन सेंटर चलाती है। मदद के लिए उसने एक रोटी बनाने वाली एवं टिफिन बाँटने और छोटे मोटे कामों के लिए एक लड़का रख रखा है जिसका नाम विनोद है। सब्जियाँ व अन्य चीजें वह स्वयं तैयार करती है। बाहर, बरामदे में दो तीन टेबलें लगा रखी हैं। इक्का दुक्का हॉस्टल के बच्चे गरमा-गरम रोटी खाने उसके घर ही आ जाते हैं। वह उन्हें बहुत प्यार से खाना खिलाती है।

आज भी दो लड़के उसके यहाँ भोजन के लिए आए... बड़े ही संस्कारी और मासूम से... उम्र होगी कोई अठारह-उन्नीस वर्ष... वेशभूषा और बातचीत से गाँव से आये लगते थे...आते ही थाली का दाम पूछा। विनोद ने थाली का दाम बता दिया और दोनों के लिए सात-आठ व्यंजनों से भरी थाली लगा दी।

खाते-खाते दोनों लड़के आपस में बातें भी कर रहे थे, बातों से वे बड़े चिंतित लग रहे थे। उनकी बातों से सरला को समझ में आया कि वे दोनों भाई हैं और उनकी माँ किसी गम्भीर बीमारी से पीड़ित हैं जो पास के अस्पताल में भर्ती है।

भोजन के बाद वे खाने का भुगतान करने लगे तो सरला ने रूपये लेने से इंकार कर दिया, ये कहते हुए कि अभी रहने दो, जब तुम्हारी माँ ठीक हो जाये तब दे जाना... दोनों लड़के सरला के इस व्यवहार से आश्चर्यचकित थे और विनोद हतप्रभ था कि पाई-पाई का हिसाब रखने वाली मालकिन ने ऐसा क्यों किया ? क्यों पैसे लेने से इंकार कर दिया पर सरला जानती थी कि सेवा का कोई मोल नहीं होता।


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