Rashmi Choudhary

Drama

5.0  

Rashmi Choudhary

Drama

नई गुल्लक

नई गुल्लक

1 min
543


 "शीला, इस महीने खर्चे ज्यादा हैं तो मेहरी और धोबी को बाद में पैसे दे देना" पतिदेव चिंतित दिखे। हाँ सोचती हूँ...शीला ने अनमने मन से उत्तर दिया।

शीला बहुत उलझन में थी क्या करे... क्या ना करे। उसे ना किसी से उधार लेने की आदत थी और ना ही किसी के पैसे उधार करने की। फिर महीने पर तो काम वालों को पैसा देना ही चाहिए। वे भी तो इसी पैसे से अपना घर चलाते हैं।

अब अचानक ही इसी महीने खर्चे ज्यादा आ गए और तनख्वाह कम आई है...टैक्स जो कटा है। सोचते सोचते शीला की आँख लग गई।

अगले दिन सुबह से ही शीला बहुत खुश थी राशन की लिस्ट बना दी...दूध का बिल...माली के पैसे...मेहरी के पैसे सब दे दिए।

पति समझ ही नहीं पाए कि रात भर में क्या जादू हो गया।तभी उनकी नजर टूटी हुई मिट्टी की गुल्लक पर पड़ी "अरे, शीला तुम ने अपनी गुल्लक तोड़ दी, कब से बच्चों की तरह उसमें पैसे जोड़ रही थीं तुम"। शीला मुस्कुरा दी "अगले महीने फिर नई गुल्लक लुंगी जी, वैसे भी बाजार में बहुत रंग-बिरंगी और सुन्दर गुल्लक आई हैं।" 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama