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Archana kochar Sugandha

Tragedy

3  

Archana kochar Sugandha

Tragedy

भूख

भूख

2 mins
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सीधी साधी खूबसूरत तथा खनकती आवाज़ की स्वामिनी सुमेधा एयरपोर्ट अथॉरिटी में बतौर मैनेजर के पद पर कार्यरत थी। वह जब भी खिलखिला कर हँसती तो आसपास का माहौल संगीतमय हो जाता था। इन गुणों के अलावा, जो सबसे बड़ा गुण उस में विद्यमान था, वह थी उसकी पाक कला में निपुणता। वह खाना इतना स्वादिष्ट बनाती थी कि अक्सर उसका लंच उसके साथी उंगलियाँ चाँट-चाँट कर खा जाया करते थे और उसे ज्यादातर चाय बिस्कुट या पैंटीज पर ही गुजारा करना पड़ता था। इन सब पर वह केवल मुस्कुरा कर रह जाती थी। वह गुणों की खान तो थी ही, स्वभाव में शर्मीली तथा सीधी-सादी थी। दफ्तर के साथी उससे बातचीत करने तथा पार्टी-पार्टी के बहाने तलाशते रहते थे। दफ्तर में सब का जन्मदिन मनाने की परंपरा थी। सुमेधा के जन्मदिन पर सभी ने उसके हाथों से बने स्वादिष्ट खाने की फरमाइश की। सुमेधा ने भी सहमति में सिर हिला दिया। बॉस ने भी कातिल निगाहों से जन्मदिन गिफ्ट के नाम पर दफ्तर बंक की स्वीकृति प्रदान कर दी। रात को पार्टी का दौर शुरू हो गया। सभी ने सुमेधा के खाने की जम कर तारीफ की। किसी ने हँसते-हँसते मैडम होटल खोल लो, खूब चलेगा। कोई साथी हल्के-फुल्के मजाक के अंदाज में," अगर मेरी बीवी इतना स्वादिष्ट खाना बनाती तो मैं उसके हाथों को चाट लेता," दूसरा "मैं तो उसके हाथों को काट कर अपने सीने में ही चिपका लेता।" ऐसे ही हँसते-मुस्कुराते, केक काटते, खाना खाते-खिलाते पार्टी खत्म हो गई। सुमेधा का धन्यवाद कह कर सभी साथी खुशी-खुशी विदा हो गए। लेकिन बॉस की नशीली और कातिल आँखों की भूख कुछ और ही कह रही थी।

,"सुमेधा आज दफ्तर में बंक दिया है, कल पदोन्नति दूंगा, मुझे रिटर्न गिफ्ट नहीं दोगी क्या?"

 सीधी-सादी सुमेधा बॉस की घाघ प्रवृति को समझ नहीं पाई और वायदा कर बैठी। "सर जो आप मांगोगे में अवश्य पूरा करूँगी।" बॉस ने यह सब उसके मौन स्वीकृति समझी और उसे कस कर अपने आगोश में भींचता हुआ, "मर्द को रिझाने का रास्ता पेट से होकर जाता है। इतना स्वादिष्ट खाना खिलाओगी भूख तो अपनी चरम सीमा पर पहुँचेगी हीं न---। अब जो भूख अधूरी रह गई है, उसे भी पूरी कर दो---"और वह गिध्द की तरह उस पर टूट पड़ता है। सुमेधा सदमे में, अचानक हुए हमले से कुछ समझ नहीं पाती। लेकिन एकदम से फुर्ती दिखाते हुए , उसको पीछे धकेल देती है और उसके चंगुल से बच कर बदहवास सी बेहताशा सड़क पर दौड़ते-दौड़ते बुदबुदाती है, इंसान  स्वादिष्ट खाने की सात्विकता को, तामसिकता की भूख से क्यों जोड़ लेता है---? 



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