भतेरी

भतेरी

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भतेरी अपने मजदूर माँ बाप की दो लड़कियों के बाद तीसरी औलाद थी| तीन लड़कियों के पैदा होने से दुखी होकर ही उसका नाम भतेरी रखा गया था| भतेरी का अर्थ था बहुत और भतेरी के माता पिता अब चौथी लड़की नहीं चाहते थे| उसका नाम सार्थक हुआ उसके बाद एक लड़के का जन्म हुआ| लेकिन भतेरी अभी भी एक बोझ ही थी| जब भतेरी छ: वर्ष की थी तभी उसका बाप मर गया| अब उसकी माँ विमला और दादी रज्जो ही थे जो इन चारो भाई बहनों का भरण पोषण कर रहे थे। रज्जो को आज भी बेटे की मौत से ज्यादा दुःख ये था कि वो अपने पीछे तीन-तीन लड़कियों को छोड़ गया| वो अक्सर कहती थी “खुद तो मुक्ति पा ली पर पतानी मेरी बुलाव कद होगी, कद भगवान इन नरको से मुकति देगा”|

भतेरी ने पूरी जिन्दगी अपने परिवार की घ्रणा और दुत्कार ही सही क्यूंकि वो लड़की थी| पति की मौत के बाद विमला भी भाव शुन्य हो गयी थी| उसे भी अब ये तीनो बेटियां जिम्मेवारी नहीं बोझ ही दिखाई देती थी| जब भतेरी 12 वर्ष की हुई तो उसे ब्लड कैंसर हो गया| डाक्टर ने बताया की काफी रुपया भी लगेगा और परिवार में से ही किसी को अपना मेरुरज्जा देना पड़ेगा| डाक्टर ने साफ़ कहा था की देने वाले की जान को कोई खतरा नहीं होगा| यहाँ समस्या पैसे की नहीं आ रही थी, क्योंकि ग्रामीण समाज आज भी भावनात्मक समाज है तो कई व्यक्ति थे जो पैसा खर्च करने को तैयार थे| लेकिन इस बोझ के लिए परिवार में कोई भी अपने शरीर का मज्जा देने को तैयार नहीं था| भतेरी की 65 वर्षीया दादी को भी आज अपनी जिन्दगी के बचे हुए कुछ वर्ष भतेरी की जन्दगी से ज्यादा कीमती लगे| वो लड़की थी इसलिए उसके परिवार के लिए उसकी जिन्दगी बोझ थी|

अपनी बीमारी से घुटती भतेरी आज मर चुकी थी| घर पर काफी लोग जमा थे| सब भतेरी की माँ और दादी को ढाढस बंधा रहे थे, और उनकी गरीबी को कोस रहे थे| आज मृत भतेरी का चेहेरा शांत था| उसने अपनी जिंदगी में बस अपने परिवार की दुत्कार सही थी, और बाद के कुछ समय बीमारी की पीड़ा| लेकिन आज वो शांत लग रही थी| क्या इच्छा रही होगी उसकी अंत समय में ?

एक बार उसे कहते सुना था “माँ आदमी मरने के बाद अलग अलग रूप में जनम लेवै है..कुत्ता, कीड़ा, चूहा या डांगर(पालतू पशु)| माँ मै तो डांगर या कीड़ा बन जाउवी पर आदमी ना बनू| देखिये जानवरों कु तो पताइ ना होत्ता उनकी औलाद में कौन सा लड़का कौन सी लड़की| आदमियों कुई पता हो यो फर्क तो ब उसका बाल सुलभ मन मानव की इस वृत्ति का प्रतिकार नहीं कर सकता था लेकिन जिन्दगी भर जो घृणा उसने अपने प्रति देखि थी उसे वो जरुर महसूस कर सकती थी|

शायद भगवान उसकी अंतिम इच्छा पूरी कर देगा... उसे मानव नहीं पशु योनी में जन्म देगा|


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