भगवान की लाठी

भगवान की लाठी

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राम सिंह जब गाँव से अपनी जगह ज़मीन सभी से हाथ धो बैठा तो वह सपरिवार शहर इंदौर आ बसा। शुरू-शुरु में तो परिवार बालों ने काफी दुःख का सामना किया लेकिन राम सिंह ने अपनी ईमानदारी से पुनः अपने को सम्भाल लिया। अब उसके व्यवहार से आस-पास के लोग बहुत प्रसन्न रहते थे। लेकिन जिस जुएँ की आदत ने उससे गाँव घर सब छुड़वाया था वहीं आदत पुनः उसके मन पर थपकी देने लगा था। पहले दोस्तों के साथ मजे के लिए खेलता। लेकिन फिर उसने शराब, पान-मसाले, बीड़ी, गुटका सबका सेवन करने लगा।और तो और जुआ भी खेलने लगा। अब वह सब्जी, फल सबको ताज़ा दिखाने के लिए उन्हें कैमिकल्स मिले जानलेवा रंगों से रंग कर बेचने लगा। वो ग़लत काम करने लगा। उसकी पत्नी एक धार्मिक महिला थी उसने रामसिंह को बहुत उँच-नीच समझाया लेकिन, राम सिंह ने उसकी बात ही नहीं मानी। थक कर पत्नी ने उसे बोलना ही छोड़ दिया।

इधर राम सिंह बेफिक्र होकर अपना काम करता रहा। राम सिंह के तीन बच्चे थे दो लड़के और एक लड़की। रामसिंह को अपनी बिटिया बहुत प्यारी थी उसे वह डॉ०बनाने की सोचता था बेटी का नाम उसने लक्ष्मी रखा था। अभी लक्ष्मी की उम्र महज़ पाँच साल की थी। एक दिन लक्ष्मी गुड़िया की शादी-शादी खेल रही थी उसने अपने चार -पाँच सहेलियों को भी बुलाया था और बरातियों को भोजन कराने के लिए माँ की आँख बचाकर बड़ी ‌डलिया से कुछ फल भी निकाले थे ।लक्ष्मी ने पके हुए एक-एक केला सबको दिया और खुद भी दो -तीन केले खा गई ।

आधे घंटे के बाद सभी बच्चे पेट दर्द से परेशान हो गये। लक्ष्मी ने तो उल्टी करनी शुरू की। रोने चिल्लाने की आवाज़ सुनकर उसकी माँ दौड़ कर आयी और वहाँ का नज़ारा देखकर सन्न रह गयी। तुरंत पड़ोसियों के यहाँ दौड़ कर गयी और सभी बातें बतायी। सब दौड़ कर आये और बच्चों की हालत देखकर तुरंत एंबुलेंस बुला लिया । आनन-फानन बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल बालों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया। रामसिंह भी अस्पताल आ गया था। जिन बच्चों ने एक-एक केले खाये थे वो तो सम्भल गये थे पर लक्ष्मी और उसकी एक सहेली ने लालच बस दो-दो तीन-तीन केले खा लिए थे इसलिए उन दोनों की हालत चिंताजनक थी। पुलिस उन बच्चों से पूछ-ताछ कर रही थी जिनकी तबियत थोड़ी सही हो गई थी। सभी बच्चों ने एक ही बात बताती कि, लक्ष्मी ने बड़ी टोकरी से केले निकाले थे और उन सबको एक-एक केले देकर खुद दो-तीन केले खाये थे। केला खाते ही सबका जी घबराने लगा था और फिर उन्हें नहीं मालूम क्या हुआ।

अब पुलिस ने रामसिंह को हिरासत में ले लिया और टोकरी के केले जाँच के लिए भेजे गये। इधर डॉक्टर के बहुत कोशिश करने के बाद भी लक्ष्मी और उसकी दोस्त को बचाया न जा सका।

दोनों घरों में हाहाकार मच गया। राम सिंह की पत्नी पछाड़ खा रही थी। रामसिंह विमूढ़ खड़ा था। भगवान ने बहुत गहरी मार मारी थी उसकी प्यारी बिटिया को मारकर। अब उसे समझ में उस कहावत का अर्थ स्पष्ट था,"जो दूसरे के लिए गड्ढा खोदता है वह खुद उसमें गिरता है।"


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