भेड़-चाल
भेड़-चाल
अभिषेक के माता-पिता दोनों आईआईटी इंजीनियर है। वे दोनों मल्टीनेशनल कम्पनी में कार्यरत है। वे चाहते है की अभिषेक भी उनकी तरह बड़ा इंजीनियर बने। उन्होंने कभी अभिषेक से ये नहीं पूछा की, वो क्या चाहता है। बस, उन्होंने अपने सपने उस पर थोप दिए।
अभिषेक का अभी 12 वीं का परिणाम आना बाकी था और उसके माता-पिता ने उसे एक बड़ी आईआईटी कोचिंग में दाखिला दिला दिया। अभिषेक ने भी माता-पिता की बात को मानकर पढ़ाई करना चालु कर दी। किन्तु, वह चाह कर भी पढ़ाई में मन नहीं लगा पा रहा था, क्योंकि वह कुछ और करना चाहता था। फिर भी, उसने बहुत मेहनत और कोशिश की ताकि वह अपने माता-पिता की इच्छा पूरी कर सके।
अब कुछ ही दिनों बाद उसकी परीक्षा का दिन भी आ गया। वह थोड़ा बेचैन भी था। किन्तु, उसने परीक्षा दी। इसी बीच उसका 12 वीं का परिणाम भी आ गया। वह अच्छे अंक के साथ पास भी हो गया। घर में खुशी का माहौल छा गया। सब कोई उसे पास होने की बधाई दे रहा था।
लेकिन अब बारी थी उसके आईआईटी के परिणाम की, वह इसके बारे में सोच-सोच के परेशान हो रहा था की, क्या होगा जब उसका आईआ
ईटी का परिणाम आएगा। वह अब गुमसुम सा रहने लगा। वक्त के अभाव में माता-पिता ने भी उसे कभी समझने की कोशिश नहीं करी।
आज उसके परिणाम के आने का दिन था, वह घर पर अकेला था । उसे उसके पास होने की उम्मीद भी नहीं थी और ऐसा ही हुआ वह पास नहीं हुआ। अब उसके दिमाग में तरह-तरह के विचार आने लगे, अब वह क्या करेगा ? अपने माता-पिता को अपना चेहरा कैसे दिखायेगा ? इतना विचार करते-करते बिना एक पल की देरी करे वह छत से कूद गया। उसकी वही पर मृत्यु हो गयी। उसके माता-पिता पछता रहे थे।
“पर अब पछताए क्या होए , जब चिड़िया चुग गयी खेत।”
अथार्त अब उनके पछताने से अभिषेक वापस नहीं आने वाला था।
वही दूसरी और उसका दोस्त विजय जिसका सपना फोटोग्राफर बनने का था। उसके माता-पिता उसके सपने साकार करने में लगे हुए थे। उसका चयन एक अच्छी फोटोग्राफी की कोचिंग में हो गया।
अभिषेक के माता-पिता ने दुनिया की देखा-देखी में अभिषेक के मन की इच्छा जाने बिना ही, उस पर आईआईटी का दबाव डाल दिया।
“नहीं जाना आगे कुआँ या खाई, बस केवल भेड़ चाल ही चलाई।”