shaifali khaitan

Tragedy Crime

3.5  

shaifali khaitan

Tragedy Crime

धुएँ में छुपी जिंदगी

धुएँ में छुपी जिंदगी

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निशा एक मध्यमवर्गीय लड़की है, जो सुंदर, सुशील, संस्कारवान और गृहकार्ये में दक्ष है। जिसने साल भर पहले ही कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की, पढ़ाई पूरी होते ही उसकी शादी राहुल से हो जाती है। राहुल एक उच्च परिवार का लड़का है, जिसके पिताजी का मुंबई में बहुत बड़ा व्यापार है, सभी इस रिश्ते से बहुत खुश है, जहाँ एक ओर निशा के माता-पिता को निशा के लिए उच्च परिवार में सम्बन्ध मिला, वही दूसरी ओर राहुल के माता-पिता को निशा जैसी सुंदर, सुशील और संस्कारवान बहु मिली, निशा भी इतना अच्छा ससुराल पाकर बहुत खुश थी।

निशा को आश्चर्य तो तब होता है, जब उसे राहुल के नशे की आदतों का पता चलता है, राहुल सिगरेट का आदि होता है, वह दिन भर दोस्तों के साथ बैठ कर धुआँ उड़ाता रहता है, उसने अपने सपनों में भी ये नहीं सोचा था की उसका जीवन साथी नशे का शिकार होगा, वह नहीं चाहती थी की राहुल नशा करे, वह उसे इस नशे से मुक्त होते देखना चाहती है। उसने राहुल को नशे से मुक्त करने की हर कोशिश करी, पर कोई फायदा नहीं हुआ।

अब उसे भी लगने लग गया की उसकी सब मेहनत पानी में है, वह कुछ नहीं कर सकती, जब भी वह राहुल को समझाने लगती राहुल उस पर गुस्सा करता, उसे मारता-पिटता, शरीर पर जगह-जगह सिगरेट के दाग देता वह अब बिन वजह ही रोज उसे पिटने लग गया अब लगभग हर दिन ऐसा ही गुजर रहा था, राहुल जितना मर्जी होता उतना धुआँ उड़ाता और जब मन होता तब मारपीट करता और अगर राहुल के माता-पिता उस पर कोई प्रश्न उठाते तो वह उस पर माँ नहीं बन पाने का लांछन लगा देता, जिससे राहुल के माता-पिता भी उससे नफरत करने लग जाते है। निशा अपने मायके में भी ये सब बातें नहीं बताना चाहती है, वह नहीं चाहती की उसके माता-पिता ये सब सुनकर दुखी होए अब उसे इस मुसीबत से बचने का कोई और रास्ता नहीं दिखाई देता है।

 अब उसे सब तरफ केवल सिगरेट का धुआँ ही दिखायी दे रहा है और अब केवल धुएँ में छुपे हुए आँसू ही उसके साथी है। अब आंसूओं के साथ ही निशा की जिंदगी के एक-एक दिन गुजर रहे थे, उसके आँसू पोंछने वाला कोई नहीं था। अब वह दिन-प्रतिदिन शरीर से भी काफी दुर्बल होती जा रही थी और फिर एक दिन ऐसा आया की उसके पास केवल आखिरी सांस ही बची थी, किन्तु राहुल ने एकबार भी उसकी सुध नहीं ली, उसने अपने प्राण त्याग दिए। राहुल ने कभी किसी को ये भी पता नहीं लगने दिया की निशा माँ राहुल की कमी की वजह से नहीं बन पा रही थी, उसे अपनी पत्नी की मृत्यु का भी कोई शोक नहीं था, राहुल केवल धुएँ के साथ खेलता ही रह गया।



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