Aditya Vardhan Gandhi

Fantasy Inspirational Children

3  

Aditya Vardhan Gandhi

Fantasy Inspirational Children

(भाग 5) पहला दिन स्कूल का

(भाग 5) पहला दिन स्कूल का

5 mins
267


जहां एक और एडमिशन होने की खुशी में वरदान चिल्लाकर कहता है। अब मैं भी कल स्कूल जाऊंगा तभी कोच जसविंदर और दिग्विजय पाटील उसे कहते हैं। आराम से वरदान तुम्हें चोट लग जाएगी इतना मत उछलो स्कूल कल से नहीं परसों से आना है। इतना बोल कर जसविंदर सिंह उसे चलने का बोलते हैं। और तीनो स्कूल के पार की एरिया की ओर बढ़ते हैं। थोड़ी ही देर में स्कूल की रेसिपी हो जाती है। जैसे ही रिसेस होती है। जय और समय कैंटीन की ओर जाते हैं। तब उन दोनों की नजर वरदान पर जाती है। जो सीडीओ से उतर कर नीचे जा रहा था पार्किंग एरिया की तरफ जय चिल्लाकर उसे आवाज देता है। और कहता है। तुम्हारा एडमिशन हो गया वरदान उसकी आवाज सुनकर उसे कहता है। मेरा एडमिशन हो गया मैं भी अभी स्कूल आऊंगा तुम दोनों के साथ तभी समय भी उसे कहता है। आज शाम को हम तेरा स्कूल बैग और स्कूल की ड्रेस लाने में मदद करेंगे तभी जय के पास क्लास की मॉनिटर आती है। और पूछती है। तुम लोग किस से बात कर रहे हो। जय सुप्रिया से कहता है। हमारे नए दोस्त से उसका नाम वरदान है। तो वह भी स्कूल आने वाला है। चार महीने के बाद जय उससे कहता है। बहुत लंबी कहानी है। मैं समय तुम्हें कभी सुनाएंगे इतना बोल कर जय वरदान को बाय का इशारा करके कैंटीन की ओर चला जाता है। और सुप्रिया और समय भी कैंटीन की ओर चले जाते हैं। उनके जाने के बाद वरदान भी कार की ओर चल देता है। जैसे ही कार के पास पहुंचता है। दिग्विजय पाटिल और जसविंदर उसे कार में बैठने का बोलते हैं। और कार घर की ओर चल देती है।


शाम के छह बजे समय और जय घर लौट आते हैं। स्कूल से और आते ही वरदान के पास जाते हैं। और बोलते हैं। कल से तू आ रहा है। स्कूल वरदान बोलता है। कल से नहीं उकसे अगले दिन से कोच और अंकल ने कहा है। कल मुझे स्कूल का सामान और स्कूल ड्रेस भी लाना है। तो कोज और सर ने मुझे कल के बजाय अगले  दिन आने का बोला हे। तीनों दोस्तों की बातें चल ही रही थी। तभी दिग्विजय पाटील उनको बुलाते है। और कहते हैं। चलो हाथ मुंह धो और खाना खाने बैठो तीनों सिर हां में हिला कर बाथरूम की ओर चले जाते हैं। दस मिनट के बाद तीनों दोस्त टेबल पर मिलते हैं। तभी जसविंदर वरदान से पूछते हैं। तो अब तुम्हें कैसा लग रहा है। वरदान उन्हें जवाब देते हुए कहता है। कोच मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। अगर आप उस दिन मेरे पास नहीं आते तो शायद मैं आज उसी होटल में बर्तन धोते और मार खाते ही रहता जसविंदर यह बात सुनकर वरदान से कहते हैं। देखो बेटा वरदान जिंदगी में कुछ भी पहले से ही तय नहीं होता कि आप क्या करेंगे लेकिन अगर आप अपने आप को हर परिस्थिति से लड़ने के लिए तैयार करते हो। तो किस्मत भी आपका साथ देती है। वरना अच्छी किस्मत होने के बावजूद भी इंसान जिंदगी में हार भी जाता है। कोच उसे यह सब बातें कही रहे थे, तभी शिवानी पाटील खाना लेकर आती है। और टेबल पर रखती है। और कहती है। बस कीजिए भाई साहब बच्चे को खाने तो दीजिए शिवानी की बात सुनकर दिग्विजय पाटील कहते हैं। अरे बच्चे को बस समझा रहे हैं। तभी शिवानी कहती है। समझाना बाद में अभी खाने पर ध्यान दो और दिग्विजय पाटील बोलते हैं। बीवी का आदेश सर आँखों पर इतना बोल कर वह हंसते हैं। और साथ में जसविंदर भी हंसने लगता है। और सभी खाना खाने लगते हैं। सभी का खाना खत्म होने के बाद वरदान अपने कोच से पूछता है। दिल्ली में मेरे घर पर अब कौन रहेगा तो कोच कहते हैं। तुम उसकी चिंता मत करो तुम्हारा घर 18 साल के होने के बाद तुम्हारे नाम पर हो जाएगा इतना बोल कर कोच वहां से चले जाते हैं। और वरदान भी अपने रूम की ओर चल लेता है। और जब रूम में पहुंचता है। जय उससे पूछता है। तू कल के लिए तैयार हो। वह कहता है। बिल्कुल तैयार मेरे दोस्त दोनों कमरे की लाइट बंद करके सोने की तैयारी करते हैं। अगली सुबह वरदान बहुत जल्दी उठ जाता है। जय और समय के उठने से पहले तैयार हो जाता है। जब जय उठता है। तो वह दिखता है। वरदान तो तैयार होकर बैठा है। जय को लगता है। कि आज वह लेट उठा है। यह सोच कर एक झटके से उठता है। लोकर की ओर बढ़ता है। और अपने कपड़े निकालता है। बाथरूम की ओर तेजी से भागता है। उसे भागता देख वरदान उसे कहता है। रुक जा भाई मैं जल्दी उठा हूं। तू बराबर टाइम पे उठा है। उसकी बात को अनसुना करके बाथरूम की ओर भागता है। जिसे देखकर वरदान हंसते हुए कहता है। भाई रुक जा लेकिन जय नहीं रुकता और बाथरूम की ओर भागता है। दस मिनट के अंदर बाथरूम से बाहर निकल कर जय आता है। और कहता है। आज तेरा पहला दिन है। स्कूल में और मैं नहीं चाहता था। कि तू लेट हो जाए वारदान हंसते हुए कहता है। यार तू टाइम पे उठा है। मैं आज जल्दी से उठा हूँ। ओह यार पहले बोलता ना वरदान कहता हे। मैं कब से बोल तो रहा हूं। पर तू सुने तब ना इतना बोल कर वरदान हंसने लगता है। जिसे देखकर जय भी हंसता है। और बोलता है। मैं कभी नहीं भूलूंगा आज की सुबह को तभी समय वहां आता है और बोलता है। चले स्कूल तभी एक साथ तीनों घर खाने की टेबल और वहाँ से अपना अपना टिफिन लेकर अपने बैग रख लेते हैं। घर के बारह स्कूल बस इंतजार करते हैं। थोड़ी देर में बस घर के बाहर आकर खड़ी होती है। तीनों बस में बैठ जाते हैं। बस के शोर शराबे और बच्चों की मस्ती से दूर सारी दुनिया में खोया हुआ था। ख्यालों में डूबे वरदान को जय बाहर निकालता है। और कहता है। भाई स्कूल आ गया जिसके बाद अपने ख्यालों से बाहर निकलता है। और कहता है। आ गया स्कूल चलो चलते हैं। क्लासरूम थोड़ी देर में तीनों दोस्त क्लास में पहुंच जाते हैं। लास्ट बेंच पर बैठ जाते हैं। पहला दिन बड़े आराम से निकलता है। वरदान बड़ा खुश होता है। शाम को घर पहुंचने के बाद वरदान दिग्विजय पाटिल से कहता है। थैंक यू आपने मेरा एडमिशन इस स्कूल में कराया जसविंदर और दिग्विजय वरदान से कहते हैं। वरदान जमके पढ़ना और जल के मेहनत करना अपनी क्रिकेट को बेहतर बनाने में इतना बोल कर कोच और दिग्विजय वहां से चले जाते हैं।


क्रमशः


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Fantasy