बेटी का हिस्सा
बेटी का हिस्सा
रमा के पिताजी को गुजरे हुए अभी 13 दिन ही हुए। रमा की माँ उसकी शादी से पहले ही गुजर गयी थी।रमा से बड़े दो भाई भाभी थी जो रमा को बहुत प्यार करती थी बदले में रमा भी दोनों भाभियों को उतना ही मान देती थी लेकिन आज अचानक ना जाने क्यों एक पल में मायके में खालीपन लगने लगा।
साथ ही घर मे रिश्तेदारों की बातें उसका और मन तोड़ देती। दअरसल रमा के पिताजी गुजरने से पहले अपनी पूरी प्रॉपर्टी तीनों बच्चों में बराबर बाँट कर गए थे जिस बात को लेकर बुआ और चाची मिलकर दोनों भाभियों के कान भरती।
"भला बताओ बहू ये भी कोई बात हुई बड़ा गजब किया भाई ने भी बेटी को हिस्सा कौन देता है, शादी कर दिए तो भला बेटियों का मायके में कैसा हिस्सा, बहू तुम तो रमा के जाने से पहले ही बोल देना की जाने से पहले सारी चीजें तुम्हे देकर जाए नहीं तो फिर मायके से रिश्ता खत्म."ये सारी बातें रोज-रोज की हो गयी थी दोनों भाभियां भी चुपचाप ये बात सुनती लेकिन कोई कुछ भी उन लोगों को ना कहता।
रमा भी उनकी प्रतिक्रिया ना पाकर निराश हो जाती लेकिन कुछ बोलती नहीं। जैसे तैसे तेरह दिन बिताए रमा ने.....अगले दिन रमा ने अपने पति रमन से कहा "रमन! मुझे तो कभी भी प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं चाहिए था लेकिन पिताजी ने मेरे नाम भी प्रॉपर्टी कर दी उन्होंने ऐसा क्यों किया मुझे नहीं पता लेकिन मुझे पता है कि मैंने उनसे कुछ नहीं मांगा था, लेकिन फिर भी मुझे लगता है दोनों भाभियां मुझ से मन ही मन नाराज हैं। हालांकि उन्होंने मुझे ना कुछ कहा ना नाराजगी जतायी लेकिन फिर भी मन ही मन मुझे पता नहीं क्यों कुछ अच्छा नहीं लग रहा।"
रमन-"देखो रमा, पहली बात तो मुझे ऐसा नहीं लगता लेकिन अगर ऐसा हो भी तो भी तुम्हारी भाभी लोग भी गलत नहीं है अगर वो तुमसे नाराज हैं तो क्योंकि समाज की यही सोच है तुम खुद सोचकर देखो की अगर उनकी जगह तुम होती तो कैसा महसूस करती वो बात अलग है कि तुम्हारे कोई ननद ही नहीं। लेकिन ये समाज का सच है कोई भी अपनी बेटी को प्रॉपर्टी में हिस्सा नहीं देता। खैर कोई बात नहीं आते समय बोलकर आना की तुमको पैसा नहीं भाइयों का साथ चाहिए, और पेपर पर साइन करके दे देना।"
रमा- "हां! सही कह रहे हो?"
अगले दिन जब रमा को अपने ससुराल वापस आना था तो वो अपने भाई भाभियों से मिलने उनके पास गयी तो उसने फिर चाची और बुआ को वही बोलते हुए सुना।वही सोफे पर दोनों भैया भाभी बैठे थे तो रमा ने सबके बीच मे टेबल पर पेपर रखते हुए कहा "भैया भाभी ये रहे प्रॉपर्टी के पेपर मुझे तो कुछ भी नहीं चाहिए सिवाय आपसब के साथ, प्यार और विश्वास के."
तभी रमा की बड़ी भाभी ने सबके सामने बड़ी ही सहजता और प्यार भरे लहजे में कहा "रमा लेकिन ये फैसला क्यों हमे से तो किसी ने भी मना नहीं किया, बाबूजी की दी हुई किसी भी चीज को लेने से फिर आप क्यों मना कर रही है?"पीछे से रमा की छोटी भाभी भी बोल पड़ी "क्या बात हो गयी रमा अचानक ये फैसला क्यों?"
तब रमा ने कहा "क्योंकि भाभी मैं नहीं चाहती कि इस प्रॉपर्टी और पैसों की वजह से मेरा मायका मुझ से छूट जाए, आप सब मुझ से नाराज रहें, आप सब की खुशी मेरे लिए सबसे पहले मायने रखती है, वैसे भी शादी के बाद बेटियों का प्रॉपर्टी में हिस्सा लेना या माता-पिता द्वारा हिस्सा दिया जाना दोनों ही गलत ही माना जाता है, अगर मैंने हिस्सा लिया तो समाज और आप सबकी नजरों में मैं लालची बनकर रह जाऊंगी."
रमा की बड़ी भाभी ने कहा "तब तो मैं कहूंगी रमा आप ये लालच जरूर करो, इसलिए नहीं की आपको समाज क्या कहेगा, बल्कि इसलिए कि इससे बेटियों के प्रति बने समाज के नियम मे बदलाव जरूर आएगा, जब हमें कोई समस्या नहीं तो आप समाज के बारे में क्यों सोच रही है, लोगों का काम ही है बोलना, वो तो कुछ ना कुछ बोलेंगे ही और जो बात हमारे लिए अहमियत ही ना रखती हो उसका जवाब हम क्यों दे या उसके बारे में क्यों सोचे।"
रमा! एक बात बताना क्या भाई भाभी और मायके वालों का प्यार इतना कमजोर होना चाहिए जो एक बेटी के प्रॉपर्टी में हिस्सा लेने या देने से टूट जाये, तो फिर तो जो रिश्ता पैसों और प्रॉपर्टी पर टिका हो आज नहीं तो कल टूटेगा ही। हम चाहे जितनी भी कोशिश कर ले उनको बचाने की।और क्यों समाज हर कुर्बानी हम औरतों से ही चाहता है कभी माँ के रूप में कभी बेटी तो कभी बहन तो कभी पत्नी के रूप में। दुःख तो तब ज्यादा होता है जब खुद औरते भी ऐसा ही सोचती और करती है।क्यों समाज बेटो से ये कुर्बानी नहीं मांगता कि तुम छोड़ दो सारा पैसा औऱ प्रॉपर्टी अपनी बहन या बेटी के लिए। अगर आप बेटी ना होकर बेटा होती तब तो आप इस प्रॉपर्टी का हिस्सा होती ही ना।
रमा आपका आज लिया सही फैसला आगे आपके ही नहीं हमारी बेटियों और बेटों के भी काम आएगा उनको पता होगा कि हमारी हर चीज पर दोनों भाई बहन का सामान अधिकार है।"
रमा की भाभी का जवाब सुनते बुआ, चाची और वहाँ मौजूद कुछ रिश्तेदार बगले झांकने लगे। तभी बुआ ने तपाक से बीच मे बोला "हां हां करो नयी शुरुआत बदलाव की लेकिन याद रखना की फिर बेटों के बराबर सारे कर्तव्य भी निभाने होंगे मायके के लिए।"
"माफ कीजिएगा बुआ जी लेकिन आप मेरी एक बात का जवाब दीजिये की क्या सारे बेटे प्रॉपर्टी लेकर अपने माता-पिता की सेवा करते ही हैं। क्या किसी के दो बेटे हैं तो दोनों समान अधिकार माता-पिता के प्रति निभा पाते है। नहीं ना आपको ही देख लीजिए 10 साल से बड़े बेटे के साथ है छोटा बेटा झांकने तक नहीं आता, प्रॉपर्टी में अपना हिस्सा लेकर अलग हो गया तो क्यों दिया आपने उसको हिस्सा?"
मातापिता की सेवा बेटा बेटी दोनो के समान रूप से करने का अधिकार है,बिना किसी लालच के, मातापिता कोई प्रॉपर्टी नही जो उनका बंटवारा करके सेवा की जाय। ये तो हमारा कर्तव्य बनता है कि चाहें मातापिता के पास पैसा प्रोपर्टी हो या ना हो हम उनकी सेवा मन से करे।रमा जिस दिन हर घर में शिक्षा से लेकर प्रॉपर्टी पर सभी चीजों में बेटा बेटी में फर्क ना होकर समानता होगी तभी हम औरतों का हर जगह सम्मान होगा और समाज की सोच बदलेगी।
फिर रमा के भाइयों ने कहा "छोटी अपने भाइयों को इतना ही जान पायी, हमें भी अपनी बहन से ही प्यार है, बहन से प्यारा हमारे लिए भी कुछ नहीं तो तू किसी तरह का बोझ अपने दिल पर मत रखना, जो जगह तेरी इस घर मे कल थी वही आज भी है और आने वाले कल में भी वही रहेगी, अब ले ले ये पेपर."
अपने भाई भाभी की बातें और सोच देख सुनकर रमा का मन भावविभोर हो गया।
वो अपने भाइयों के गले लगकर खूब रोई और कहा "भाई काश समाज मे हर भाई भाभी की सोच ऐसी हो जाये, तो कभी किसी लड़की का मायका ना छूटे।"
धन्यवाद भाभी आप दोनों का और उस ईश्वर का जिसने इतनी प्यारी और अच्छी सोच की भाभियां मुझे दी।