बेटे की चाह
बेटे की चाह
"तुम्हें पता है, मेरी सहेली श्रीलेखा ने कल रात एक बेटी को जन्म दिया बहुत ही प्यारी है वह - सुंदर घुँघराले बाल और काली बड़ी-बड़ी आँखे बिल्कुल परी सी लगती है। मैनें उसे गोद में लिया तो जानते हो मुझे टुकुर-टुकुर देख रही थी" नताशा ने उत्साहित हो कर अभिनव से कहा।
"देखो न अभिनव अगर मेरा मिस-कैरेज नहीं होता तो अपना बच्चा भी तीन महीने का हो गया होता" अतीत में झाँकती नताशा की आवाज कहीं दूर से आती लगी और बच्चा खोने का गम आँखों में आँसू बन तैरने लगा।
"हाँ हाँ, ठीक कह रही हो, परंतु मुझे बेटी नहीं बेटा चाहिए समझी तुम? " अभिनव ने ठंडे स्वर में कहा ।आज अभिनव के इस निर्णय के सामने -बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा खोखला लग रहा था ।
