Usha Shrivastava

Inspirational

4.0  

Usha Shrivastava

Inspirational

घर की नींव बहुएं

घर की नींव बहुएं

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वर्षा और रजनी दोनों रिश्ते से भले जेठानी-देवरानी थी पर आपसी व्यवहार सगी बहनों से कम नहीं था । वर्षा नौकरी करती थी और रजनी घर संभालती थी। भरा-पूरा परिवार था, सास-ससुर, दोनों के दो-दो बच्चे कुल 12 लोगों का परिवार। कई सालों बाद दोनों की बुआ सास कुछ दिन अपने भाई के पास रहने आई। सुबह उठते ही बुआ जी ने देखा वर्षा जल्दी-जल्दी अपने काम निपटा रही थी। रजनी ने सब का नाश्ता बनाया जिसे वर्षा ने सब को परोसा, टिफिन पैक किया और चली गई ऑफिस। रजनी ने फिर दोपहर का खाना बनाया और काम निपटाकर सास और बुआ सास के पास आकर बैठ गई । 

बुआ जी जो सवेरे से सब देख रही थीं उनसे रहा नहीं गया बोली "छोटी बहू तेरी जेठानी तो अच्छा हुकुम चलाती है तुझ पर, सुबह से देख रही हूं रसोई घर में तू लगी है और वह महारानी दिखावा करने के लिए सबको नाश्ता परोस रही थी जैसे उसी ने बनाया हो।"

रजनी और सास ने एक दूसरे को देखा-"नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है बुआ जी।" रजनी ने जवाब दिया । बुआ जी बोली "तू भोली है, पर मैं सब समझती हूं।"

रजनी से अब रहा नहीं गया और बोली "बुआ जी आपको वर्षा दीदी का केवल नाश्ता परोसना दिखा पर यह नहीं दिखा कि उन्होंने मुझे भी सबके साथ नाश्ता करवाया। मुझे डांट कर पहले चाय पिलाई, क्योंकि सब काम निपटाने में मेरा नाश्ता तो ठंडा हो चुका होता या मैं देर खाती। 

 दीदी प्रतिदिन सवेरे उठकर घर का झाड़ू पोंछा और मंदिर की सफाई कर मम्मी जी की पूजा के लिए फूल सजाकर रखती हैं । मैं तो सवेरे से नहा कर सीधे रसोई में कामकाज में लग जाती हूं । शाम को ऑफिस से लौटते हुए दीदी सब्जियां और बाजार के समान और कई अन्य काम वही देखती हैं । घर आकर रात को खाना बनाने में मेरी मदद करती हैं। वह मेरी जेठानी नहीं मेरी बड़ी बहन हैं, मैं नहीं समझूंगी तो कौन समझेगा?"

बुआ जी चुप हो गई। शाम को वर्षा सब्जी की थैली रजनी को पकड़ाते हुए बोली "इसमें तुम्हारी फेवरेट नमकीन और प्रेमचंद जी का कहानी संग्रह है निकालकर ध्यान से रख लेना ।"

रजनी थैंक्स कहते हुए सब्जी की थैली और अन्य समान रखने रसोई में चली गई। अब मौका देखकर बुआ जी ने आवाज दी "बड़ी बहू, यहां आना।"

वर्षा बोली "जी बुआ जी?"

बुआ जी बोली "तुम इतनी मेहनत करके कमाती हो और ऐसे फालतू चीजों में अपनी देवरानी के लिए पैसे व्यर्थ करती हो । वैसे भी घर में रहकर वह करती ही क्या है? तुम दिन भर मेहनत करती हो और वह घर पर आराम।" वर्षा मुस्कुराई "आराम? रजनी को तो जबरदस्ती आराम करवाना पड़ता है। सुबह से बेचारी लगी रहती है । किचन में सबकी अलग-अलग पसंद, चार बच्चों का टिफिन प्यार से बनाती है । सुबह की चाय पीने की भी उसे सुध नहीं रहती । दोपहर को जब बच्चे आते हैं फिर उनका खाना, उनकी पढ़ाई सब वही देखती है। उसी के कारण बच्चों की चिंता किए बिना मैं ऑफिस का काम कर सकती हूँ उसी के सहयोग के कारण कुछ दिन पहले ही मुझे प्रमोशन मिला है।*

मम्मी पापा की दवाई कब खत्म हुई, कब लानी है उसे पता होता है? रिश्तेदारों के यहां कब फंक्शन है क्या देना है? सब ध्यान रहता है उसे। मेहमानों की आवभगत बिना किसी शिकायत के करती है।  घर संभालना कोई छोटी बात नहीं है। यह 24/7 का अनवरत लगे रहने का कार्य है । 

उसे बस पढ़ने का शौक है तो क्या मैं अपनी छोटी बहन की छोटी सी इच्छा पूरी नहीं कर सकती ?" बुआ जी की बोलती फिर बंद हो गई। 

आज उन्हें अच्छी तरह समझ में आ गाय था घर को बनाने और तोड़ने में घर की बहुओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है । इस तरह बहुएँ हर घर की मजबूत नींव कहलाती हैं । 


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