करुणा भाव
करुणा भाव
आज मन्तव्य की तबीयत कुछ नासाज़ थी। मां ने साफ मना कर दिया था कि,आज वह मित्रों के साथ खेलने बाहर नहीं जाएगा। मन्तव्य के सारे मित्र संध्या के वक्त खेलने के लिए बुलाने आए। बालमन खेलने को उत्साहित रहता है , मन्तव्य ज़िद करने लगा कि मां मुझे खेलने जाने दो,मै थोड़ी ही देर में लौट आऊंगा । माँ ने बार-बार समझाया पर मन्तव्य की ज़िद के आगे मां की एक न चली, वहअपने मित्रों संग पास की बगिया में खेलने चला गया ।
सांझ होने को थी मन्तव्य लौट ही रहा था कि अचानक तेज़ बारिश होने लगी। पास की बगिया में खुद को बारिश से बचाने की जगह ढूंढने लगा। ढूंढते-ढूंढते उसकी नज़र पेड़ की टूटी डाली पर पड़ी जहां दो अबोध कुत्ते के पिल्ले उस पर बैठे बारिश में भीग रहे थे। उन्हें बारिश में भीगता देख मन्तव्य के मन में करुणा उपजी।वह अपना दुख भूल बैठा और मां की चेतावनी भी। मन्तव्य सोचने लगा कि पिल्लों को भीगने से कैसे बचाया जाये। फिर उसे एक युक्ति सुझी वह जल्दी से दौड़कर एक केले का बड़ा सा पत्ता बगिया से तोड़ लाया और उन दोनों पिल्लों के ऊपर छत्रछाया सी कर दी। उन पिल्लों को भीगने से बचाकर वह अति प्रसन्न था।
उनकी देखभाल करते वक्त उसे खुद का भान भी ना रहा कि वह भीग रहा है। बारिश बंद होने पर वह घर गया ।रात में उसे तेज़ बुखार आ गया था। मां उस पर खूब नाराज़ होकर गुस्सा करने लगी। मन्तव्य डर के मारे कुछ नहीं बोला -माँ की हिदायत न मानकर पानी में भीग गया था ।
मां को यह सारी घटना उसके मित्र मनीष ने अगले दिन सुनाई । अपने बच्चे की यह उदारता और करुणा भाव देखकर मां का मन भर आया और मां ने मन्तव्य को चूमते हुए गले से लगा लिया।
मन में करुणा भाव होना चाहिए फिर चाहे वह इंसान के लिए हो या मूक पशु-पक्षियों के लिए।
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