Bhagirath Parihar

Abstract

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Bhagirath Parihar

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बेटे के जन्मदिन पर

बेटे के जन्मदिन पर

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माँ बेटे को जन्म दिन की बधाई देने के लिए रात एक बजे फोन करती है। ‘क्या माँ, इतनी रात में फोन कर नींद खराब क्यों की? सुबह कर लेती फोन।’ 

थोडी देर बाद पिता का फोन आया तो बेटे ने कहा ‘क्या पापा, सुबह फोन नहीं कर सकते थे।’

वे फिर भी बोलते रहे - सुन तेरी माँ तो पागल है जो तुम्हें इतनी रात को फोन किया। वो तो आज से 25 साल पहले ही पागल हो गई थी। जब उसे डॉक्टर ने ऑपरेशन करवाने को कहा कि नहीं तो उसके जीवन को खतरा हो सकता है फिर भी उसने मना कर दिया था। वो मरने के लिए तैयार हो गई पर ऑपरेशन नहीं करवाया। ‘नहीं मैं इसे जन्म दूँगी’। उसका निश्चय अटल था। 

रात के एक बजे तुम्हारा जन्म हुआ। शाम 6 बजे से रात एक बजे तक वो प्रसव पीड़ा से परेशान थी। लेकिन तुम्हारा जन्म होते ही वो सारी पीड़ा भूल गयी। उसके ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। तुम्हें साल में एक दिन फोन किया तो तुम्हारी नींद खराब हो गई......मुझे तो रोज रात को 25 साल से रात के एक बजे उठाती है और कहती है देखो हमारे लल्ला का जन्म इसी वक्त हुआ था।

इतना कह के पिता फोन रख देते हैं।

बेटा सुन्न हो जाता है। सुबह माँ के घर जा कर माँ के पैर पकड़कर माफी मांगता है....तब माँ कहती है, ‘देखो जी मेरा लाल आ गया।’

‘लो तुम्हारी चिंता करने वाला तुम्हारा लाल आ गया।’ पिता ने व्यंग्य विद्रूप से कहा। 

तब माँ कहती है:- क्यों नाराज होते हो माफ कर दो बेटा है। माँ कितना जल्दी बेटे को माफ कर देती है। कभी-कभी तो लगता है माँ नाराज हुई कहाँ थी। 

पिता जरा कठोर है जल्दी से माफ नहीं करते पिता कहते हैं:- तुम्हारी माँ कहती थी हमारी चिन्ता करने वाला हमारा लाल है। कोई नहीं तुम जाओ मैं उसकी चिंता कर लूँगा और ध्यान भी रख लूँगा।


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