सत्ता का खेल
सत्ता का खेल
सत्ताधारी पार्टी के सीटिंग एम एल ए का टिकिट काट दिया। उन्हें पहले ही अंदाजा था कि इस बार पार्टी नये युवा चेहरे मैदान में उतारेगी। अत: उनका टिकट कटेगा। सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी। वे भी राजनीति में खेले खाये थे, भाड़ नहीं झोंकी थी। सो उन्होंने विरोधी पार्टी से संपर्क साधा। सत्ताधारी पार्टी में सेंधमारी का सुनहरा मौका देखकर उनके नेताओं ने उन्हें प्रोत्साहित किया। पार्टी के बड़े नेताओं से संपर्क साधा, अध्यक्ष जी ने कहा पहले पार्टी की सदस्यता ले लो ताकि आपके टिकट पर विचार किया जा सके।
‘टिकिट तो पक्का है न?’
‘क्यों नहीं!’
‘आप निश्चिंत रहें।‘ महासचिव ने उन्हें आश्वस्त किया ।
उन्होंने अध्यक्षजी की मौजदगी और प्रदेश की राजधानी में नई पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। बड़े-बड़े हार पहनाए गए। उन्होंने पार्टी के अनुकूल वक्तव्य दिया। वे खुश थे कि टिकट का जुगाड हो गया। पार्टी ने सोचा वैसे भी यह सीट कमजोर प्रत्याशी के चलते जानेवाली थी जीत गए तो बड़ी न्यूज बनेगी। एम एल ए को सत्ता चाहिए और पार्टी को एम एल ए के जरिये सत्ता चाहिए सारा खेल सत्ता का है।