अवसर
अवसर
चिंतामग्न महाराज राजमहल के गलियारे में टहल रहे थे।
‘महाराज की जय हो हजूर हाजिर हूँ।’ महाराज टहलते-टहलते ठिठक गए।
‘आओ वजीर मंत्रणा कक्ष में चलें।’ वजीर महाराज के पीछे-पीछे चल दिया। महाराज के आसन ग्रहण करने के बाद वजीर बोला, ‘महाराज आप कुछ चिंतित दिखाई पड़ रहे हैं।’
‘विषय काफी गंभीर है, पडोसी देश के आतंकियों ने हमारी सीमा में घुसकर हमारे सुरक्षाकर्मियों पर बमों से हमला कर उन्हें मार डाला। हमारे लिए यह शर्म की बात है हमें कुछ तो करना होगा।’
‘हजूर मैंने पहले ही प्रेसनोट जारी कर दिया है कि हम इसका जल्दी ही उचित जबाब देंगे।’
‘कुछ सोचा, क्या करना चाहिए?’
‘दुश्मन ने हमें बैठे-बैठाए अवसर दे दिया है।’
‘कैसा अवसर ?`
‘आज पूरा विश्व आतंकियों के विरुद्ध एकजुट है। इसलिए हम इस आतंक का करारा जबाब दे सकते हैं।’
‘लेकिन इसमें एक खतरा भी है, दोनों देशों के बीच युद्ध भी छिड़ सकता है।’
‘युद्ध में कौनसा पड़ौसी देश पहले जीत गया है सो अब जीत जाएगा। सिर्फ दो घंटे का समय चाहिए महाराज हवाई हमला कर दुश्मन देश में आतंकियों के ठिकाने बर्बाद कर देंगे। बस आप हुक्म दीजिए।’
‘बेहतर होगा इसमें मंत्रिमंडल की राय ले लें।’
‘नहीं हजूर संगीन मामला है बिलकुल सीक्रेट प्लान है लीक हुआ तो सब धरा रह जायगा।’
‘तो फिर ...’
‘वायुसेनाध्यक्ष को बुलाकर उन्हें आदेश करें। कब कैसे करना है यह उन पर छोड़ दें।’
‘ठीक है, उन्हें बुलवाइए।’
वायुसेनाध्यक्ष हाजिर हुए। महाराज ने हुक्म सुना दिया। हिदायत देते हुए कहा कि सिविलियन को कोई नुकसान न हो।’
सीमा से लगे बंकर से विमान उड़े निशाने पर गोले बरसाकर लौट आए मिशन सफल रहा। दुश्मन के राडार पर आने से बच गए। पडोसी देश ने युद्ध की धमकी दी लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने उनका साथ नहीं दिया क्योंकि हमला केवल आतंकी ठिकानों पर किया था। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने उसे हिदायत दी कि वह अपने देश की धरती से आतंकी ठिकाने हटाए।
देश में देशभक्ति का ज्वार आ गया। महाराज की जय जयकार होने लगी। विपक्षियों की सांसे फूलने लगी। कुछ ही महीनों में इस ज्वार पर सवार होकर आम चुनाव जीत लिए।
जीत का जश्न मनाते हुए वजीर ने महाराज के सर पर शिवाजी की पगड़ी बाँधी और तलवार भेंट की। महाराज की जीत के नारे लगे, भारत माता जिंदाबाद के नारे लगे, बाद में महाराज ने शहीदों और वीरों को पुरुस्कृत किया। अब पांच साल निर्विघ्न शासन चलाने का भाव उनके चेहरे पर तैर गया।