बेहतरीन चुटकुला
बेहतरीन चुटकुला
क्षमा ने अपनी मुखापोथी (फेसबुक ) के पटल पर बहुत ही प्यारी सी कविता को साझा किया। जैसी कि आशा थी.... कविता ने अधिकाधिक संख्या में पाठकों का मन मोह लिया।
वैसे भी वह निष्णात लेखिका हैं.... जिनका अपना पाठक वर्ग बन चुका है जो रोज ही उनकी रचनाओं की प्रतीक्षा में रहता है।
अब अपने पाठकों की टिप्पणियों का उत्तर देने का दायित्व उठाना था। उन्होंने एक-एक पाठक के टिप्पणी का उत्तर देना आरंभ किया। सब के टिप्पणी पर लिख रहीं थीं कि आपने अपना मूल्यवान समय मुझे दिया...आपका बहुत बहुत आभार।
लेखिका का दिमाग... सोचने-समझने की क्षमता से भरपूर...अचानक ही हँसने लगीं, और वह भी अट्टहास की शक्ल में...." पास ही मोबाइल लेकर बैठे पति अवाक रह गये, यह क्या हुआ... कोई बहुत मजेदार चुटकुला पढ़ लिया क्या ? लाओ...हमें भी पढ़ाओ।"
किसी तरह अपनी हँसी पर काबू पाते हुए क्षमा ने कहा... " चुटकुला पढ़ा नहीं है...चुटकुला तो अनायास गढ़ गया है।"
विस्मय से क्षमा को ताकते हुए पति ने प्रतिप्रश्न किया "कैसे...?""तो सुनिए... शहर की जिंदगी... न खेत, न खलिहान.. बढ़ती सुविधाओं से घटते काम-काज, दूरियाँ इतनी कि नाते-रिश्तेदारी भी दूर...जरा से काम को निपटने के लिए भी नौकर-चाकर जरुरी..अपने हाथों से खाना तक बना नहीं सकते हैं।"
" समय है कि कटता नहीं... कोई कितना आराम करे...कितना सोये...समय काटने के लिए मोबाइल क्रांति की शरण में सभी भिड़े हुए हैं ..फेसबुक...व्हाटस्प पर... लिखने बातचीत का मौका खोजते लोग।"
"पड़ोसी से बातचीत करने से हेठी होती है...और उस कमी को आभासी दुनिया से भरते लोंगो की भीड़ .... उस पर यह कहना कि आपने अपना मूल्यवान समय दिया....इससे बड़ा चुटकुला और कहीं सुना है क्या आपने...."
पति अवाक....फिर अचानक गुंजा समवेत ठहाके की आवाज......!
" माचिस की तीली की कमी हो सकती है, पर "समय" वह तो..
"बहुतायत में है सभी के पास....वरना यह शिकायत क्यों होती कि समय कटता नहीं...या कैसे काटें यह समय...।"