बचपन के धागे
बचपन के धागे
उसके हाथ फुर्ती से मालिश कर रहे थे कि अचानक उसे हिचकियाँ आने लगीं। मालिश करवाती कस्टमर काफी पुरानी थी।
"जेनी, कोई याद कर रहा होगा तुझे। तभी हिचकी पर हिचकी आये जा रही है।"
वो सोचने लगी कि उसे कौन याद कर सकता है। माँ-बाबा, नहीं वो तो उसे बस तभी याद करते हैं जब पैसे घर भेजने में देर हो जाए। अभी पिछले हफ्ते ही तो पैसे भेजे हैं। चचेरा भाई, नहीं वो तो नाम का भाई ठहरा। शर्म भी नहीं आयी उसे जेनी को यह सलाह देने में की महिलाओं की मालिश छोड़ उसे पुरुषों की मालिश करनी शुरू कर देनी चाहिए। पैसे ज्यादा कमा लेगी और मेहनत भी कम लगेगी। ये सब याद कर उसका चेहरा तमतमा गया।
कस्टमर उसे ध्यान से देख रही है।
"क्या हुआ जेनी इतना गुस्सा क्यों है चेहरे पर ? अरे कोई प्यार से याद कर रहा होगा तुझे।"
वो फिर सोच में डूब गयी कि कौन हो सकता है ?
रोबर्ट तो नहीं ही याद करेगा। कितने महीनों से एक फ़ोन भी नहीं किया उसने। रोजी ने फ़ोन पर बताया था कि अब वह मारिया के साथ घूमता रहता है। रोजी का नाम ध्यान आते ही उसके चेहरे पर गुस्से की जगह चिंता ने ले ली। जरूर रोजी ही याद कर रही होगी। पिछली बार रोजी ने बताया था कि माँ -बाबा उसे भी काम पर लगवाना चाहते हैं ताकि वह भी पैसा कमा कर घर भेजे। लगता है माँ -बाबा फिर उसके पीछे पड़े हैं।
कस्टमर निकली तो जेनी की उँगलियाँ मोबाइल पर तेजी से चलने लगी। फोन बाबा ने उठाया।
"जेनी, अरे रोजी तुझे बहुत याद कर रही थी। तेरा भाई अभी-अभी उसे मुंबई ले जाने के लिए निकलने वाला है । वो भी अब वहां काम करेगी। कितना फोन मिलाया रोजी ने तुझे पर मोबाइल स्विच ऑफ था तेरा, ले बात कर उससे।"
"रोजी ध्यान से सुन। किसी हालत में भाई के साथ मुंबई मत जाना। मैं आती हूँ अगले हफ्ते तुझे अपने साथ दिल्ली ले आऊँगी। तू यहीं रहेगी मेरे पास, बस पढ़ेगी। खूब पढ़ेगी।"
बात ख़त्म हुयी तो जेनी की हिचकियाँ बंद हो गयीं, चेहरे पर मुस्कान भी आ गयी। बचपन में रोजी उसे यूँ ही राखी बाँध देती थी। वो भाई नहीं है तो क्या हुआ ? वो उसकी दीदी तो है। रक्षा करने के लिए ये रिश्ता भी काफी है।