Priyanka Gupta

Tragedy

2.4  

Priyanka Gupta

Tragedy

बारिश एक मायने अलग-अलग वर्षा -11

बारिश एक मायने अलग-अलग वर्षा -11

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डिंगडोंग...डिंगडोंग...दरवाज़े की घंटी बजी। घंटी बजते ही संजना की नींद खुली उसने सिरहाने रखे मोबाइल में टाइम देखा तो टाइम देखते ही वह एकदम से उठकर खड़ी हो गयी। सुबह के 8 बज गए थे 6 बजे का अलार्म सेट किया था लेकिन अलार्म शायद बजा नहीं। 9 बजे संयम को ऑफिस के लिए जाना है और 9:30 बजे से दोनों बच्चों की ऑनलाइन क्लास शुरू हो जाती है। रोज़ दिन 6 :30 बजे आ जाने वाली श्यामा का भी कुछ पता नहीं था। 

कल शाम को काफी अच्छी बारिश हुई थी। सभी लोगों ने जमकर बारिश का लुत्फ़ उठाया था। तपती-झुलसती गर्मी से राहत मिली थी। पकौड़ों के बिना बारिश गानों के बिना बॉलीवुड मूवी जैसी बेमज़ा होती है। संजना की रसोई में भी आलू-प्याज ने बेसन के वस्त्रों को पहनकर तेल की कढ़ाई में डूबकी लगा ही दी थी। फिर डिनर करते गपशप करते निद्रा रानी की गोद में जाते-जाते बहुत रात हो गयी थी।अलार्म का मिस हो जाना और देर रात तक जागने का ही नतीजा था सुबह देर से आँख खुलना। 

 मन ही मन कल रात हुई बारिश, अलार्म, श्यामा आदि को कोसते हुए संजना ने दरवाज़ा खोला। दरवाज़े पर श्यामा को देखते ही संजना ने राहत की साँस ली। "आज इतनी देर कैसे हो गयी? कल बारिश के कारण घर भी बहुत गन्दा हो गया है। कल रात के बर्तन भी पड़े हैं। सबसे पहले किचन में आ जाओ।" श्यामा को देखते ही संजना का बोलना शुरू हो गया था। 

"जी दीदी।" इतना सा बोलकर श्यामा संजना के साथ किचन में आ गयी थी। श्यामा ने चाय का पानी चढ़ा दिया था। उसने चाय बनाकर तीन कपों में डाली। दो कप किचन की शेल्फ पर रखे और एक कप ट्रे में रखकर संयम को उठाने के लिए चली गयी। संयम को जगाकर चाय पकड़ाकर संजना किचन में वापस आ गयी थी। अब तक श्यामा ने सारे बर्तन साफ़ कर लिए थे। 

"लो चाय पी लो। फिर फ्रिज से भिंडी निकालकर साफ़ कर लेना उतने मैं आटा गूंध लूँगी।" संजना ने चाय का कप श्यामा को पकड़ाते हुए कहा। 

"दीदी दो बिस्कुट भी दे दो।" श्यामा ने धीरे से कहा। 

"क्या हुआ श्यामा?आज बड़ी बुझी-बुझी सी है।" संजना ने डिब्बे से बिस्कुट निकालकर श्यामा को पकड़ाते हुए कहा। 

"दीदी कल रात बारिश के कारण ठीक से सो नहीं सके। सारी रात सामान इधर से उधर करते रहे कभी राशन बचाते कभी कपड़े बचाते कभी बिस्तर। इसीलिए ठीक से सो नहीं सके। सोचा था कि कुछ पैसे बचा लेंगे और बारिश से पहले ही छत का काम करा लेंगे। लेकिन न तो पैसे बचे और न ही छत का काम हुआ। उससे पहले ही मुई बारिश आ गयी। इस बारिश को भी भी इतनी जल्दी आना था।" श्यामा ने अपना चाय का कप धोते हुए संजना से कहा। 

"चल जा भिंडी ला दे।" संजना ने श्यामा से कहा। 

"एक ही बारिश के सबके लिए अलग-अलग मायने हो जाते हैं।" संजना ने मन ही मन कहा। 


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