STORYMIRROR

Madhavi Sharma [Aparajita]

Abstract

4  

Madhavi Sharma [Aparajita]

Abstract

बारिश [17 जून]

बारिश [17 जून]

1 min
214

मेरी प्यारी संगिनी


क्षमा चाहती हूँ, आज फिर से देर हो गई तुमसे मिलने में, कुछ ज़रूरी काम आ गया था, जानती हो संगिनी, सुबह से झमाझम बारिश हो रही है, मौसम सुहाना हो गया है, आसपास पेड़ पौधे सब हरित दिखाई दे रहे हैं, प्रकृति ने सब को नहला दिया है, बहुत ही सुंदर मनभावन दृश्य हो गया है,,,,,

बारिश की बूंदे जब मिट्टी पर पड़ती है, तब उसमें से जो सोंधी खुशबू आती है, उस खुशबू का कोई जवाब नहीं, दालान में बैठकर, चाय पकौड़े के साथ बारिश का आनंद लेने के लिए हम सभी आतुर रहते हैं,,


आज का "जीवन संदेश"


अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं ताकि ऑक्सीजन का संतुलन, वातावरण में संतुलित रहे, क्योंकि पेड़ से ही संतुलित हमारा जीवन है,,,,


आज के लिए बस इतना ही, मिलती हूँ कल फिर से, मेरी "प्यारी संगिनी",,,,,,,,


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Abstract