Swati Rani

Fantasy Inspirational Others

4.1  

Swati Rani

Fantasy Inspirational Others

बापू के तीन बंदर

बापू के तीन बंदर

4 mins
579


रूपा 16 साल कि और बिना माँ की बच्ची थी, जो एक संयुक्त परिवार में रहती थी। 

परिवार में वो, एक भाभी और भाई थे। भाभी किसकी सगी होती है, भाभी उससे खूब काम लेती और तरह-तरह से तंग करती। वो परेशान सी हरदम एक पार्क के बेंच पर आ कर अपनी माँ को याद करके रोती। एक दिन ऐसे ही वो आई और बेंच पर बैठ कर रो रही थी कि अचानक किसी ने उसकी पीठ पर हाथ रखा और बोला, "बेटी, मत रो, देख तो कौन खड़ा है। 

" अरे बापू आप", रूपा ने आंखे फाड़ी। 

वही किताब वाली फोटो जैसे थे बिल्कुल, गोल-गोल चश्मा, झुक के लाठी लिये खड़े थे और मुस्कुरा रहे थे। 

रूपा ने आंखे मली और फिर से देखा, अरे ये तो महात्मा गांधी ही थे। 


बापू बगल में बैठते हुये बोले, "मुझसे अपना दुख कहो रूपा।" 

रुपा रोते हुये बोली, "मैं बहुत दुखी हुं बापू, मेरी भाभी मुझे बहुत सताती है और भाई भी उन्हीं का कहा सुनता है।" 

बापू ने कहा, " जैसे क्या-क्या करती हैं वो मेरी बच्ची।" 

"बापू वो ना मेरा हलवा चुरा के खा जाती है, भाई से मेरी चुगली करती हैं और मुझे डांट सुनवाती हैं", रुपा ने भोली सूरत से कहा।

बापू ने कहा, "समस्या तो गहरी है, पर समाधान आसान, जो कहूँगा मानोगी, मेरे रास्ते से थोड़ा वक्त लगेगा पर सफलता निश्चित मिलेगी?"

रूपा सिर हिलाती हुयी बोली, " हां बापू।" 

बापू ने कहा, "मेरे तीन बंदर वाली कहानी पढ़ी है।" 

रुपा ने झट से कहा, "वो बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत देखो वाली ना।" 

"हां बेटी, अब सुनो मैं तुम को बताता हूँ क्या करना है।" बापू बोले। 

" क्या करना है बापू", रूपा ने कहा। 


पहले बंदर का बुरा मत देखो का उपयोग


बापू बोले "जब भी तुम हलवा बनाओ, थोड़ा ज्यादा बनाना और पहले ही दो प्लेट में हलवा एक अपने लिये और एक भाभी के लिये रख देना।" 

" पर मैं तो भाभी को हलवा पहले दे देती हूँ", रूपा बात काटते हुये बोली। 

"एक प्लेट और रख देना बेटी, पर अपने वाले प्लेट के साथ, इससे क्या होगा वो समझ जायेगी कि तुम जान गयी हो कि वो तुम्हारा हलवा चुरा के खाती है और तुमने दूसरा प्लेट उसके लिये रखा है, उसे खुद शर्म आयेगी और वो तुम्हारा हलवा खाना छोड़ देगी। इससे जैसे तुम उसका चोरी (बुरा )करना देखना छोड़ दोगी, तुम्हारी समस्या खत्म वो भी बिना लड़ाई-झगड़ा किये। 


दूसरे बंदर बुरा मत सुनो का उपयोग


"अब सुनो दूसरा समाधान, भाभी जब बुराई करती हैं, तुम को कैसे पता चलता है? बापू ने पूछा। 

" मैं छुप के सुनती हूँ बापू ", रूपा ने सिर खुजाते हुये कहा। 

" ये बुरा सुनना ही सारे फसाद कि जड़ है, एक बात सोचो अगर तुम अपनी भाभी को अपनी बुराई करते नहीं सुनती, तो तुम उनके बारे में क्या सोचती? बापू ने पूछा। 

"मैं सोचती कि वो बहुत अच्छी हैं", रूपा ने कहा। 

"बस यही सोचने का फर्क है मेरी बच्ची, ना तुम उनके मुंह से अपने बारे में बुरा सुनती, ना तुम्हारी धारना उनके बारे में गलत बनती, ना तुम उनके तुम्हारे साथ कुछ थोड़ा भी गलत करने पर जल्दी तुनकती, ना लडा़ई होती, ना तुम्हारी भाभी तुम्हारे भाई के सामने तुम को गलत साबित कर पाती। बुरा सुनने से तुम्हारे मन में ये पहले से रहता है कि वो तुम को नहीं पसंद करती हैं। बुरी बातें सुन कर अपना खून क्यों जलाना। 

रूपा समझ रही थी। 


तीसरे बंदर बुरा मत


"ये बताओ रुपा, तुम अपने भाभी कि शिकायत किसी से करती हो? बापू ने पूछा। 

"हाँ जब बहुत दुखी होती हूँ , तो घर कि मेहरी से", रूपा बोली। 

"बस यही गलत करती हो रुपा, वो मेहरी जा कर तुम्हारी सारी बातें तुम्हारी भाभी से कहती होगी, इसीलिए वो तुम्हें और तंग करती है, तुम बुराई करना छोड़ दो फिर देखना तुम्हारी समस्या आधी हो जायेगी और धीरे-धीरे खत्म और जिंदगी में हरदम इन तीनों बंदर के सिद्धांत को अपनाओ कभी तुम को तकलीफ़ नहीं होगी", बापू ने कहा।

अब सारी बातों को रूपा समझ गयी थी ,अपना सर हिलाते हुये और हाथ जोड़ते हुये बोली, "धन्यवाद बापू, अब ना मैं बुरा देखूँगी , ना बोलूंगी, ना सुनूंगी। 

फिर कभी रूपा को रोने के लिये पार्क में आने की जरूरत नहीं पड़ी।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Fantasy