Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational Children

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational Children

बालिका मेधा 1.17

बालिका मेधा 1.17

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मुझे चुप हुआ देखकर मम्मा ने ही आगे कहा - मेधा मैं यह जानती हूँ, तुम्हें मेरी बातें समझने में कठिन लगेंगी। फिर भी चूँकि तुम ही मुझसे कठिन प्रश्न पूछ रही हो, मैं यह सब कह रही हूँ। प्रायः कठिन प्रश्न के उत्तर उससे भी कठिन ही होते हैं। फिर मम्मा ने मुझे गले लगाया और कहा - 

कोई नहीं माय चाइल्ड! तुम डायरी में नोट कर लेना। बार बार पढ़ने एवं चिंतन-मनन के क्रम में तुम ये बातें भी समझ जाओगी। मुझे तुम्हारी योग्यता पर विश्वास है। 

मैंने उनके गाल पर हल्के से काटते हुए कहा - हाँ मम्मा! यह ठीक वैसा ही है जैसे टीटी में मैं अगर आपको फास्ट स्मैश लगाऊँ तब यदि आप रिटर्न कर सकीं तो वह रिटर्न मेरे लिए उससे कठिन हो सकता है। कहते हुए मैं उनसे अलग हुई थी और हँसने लगी थी। 

मम्मा ने भी हँसते हुए कहा - इग्ज़ैक्ट्ली (Exactly-बिल्कुल) मेधा! अच्छा बताओ अब तुम क्या करोगी?

मैंने कहा - मैं आपकी कही कठिन बातें अपनी डायरी में लिखूँगी। 

तब मम्मा ने कहा - तो फिर सुनो एक और बात डायरी में लिख लेना। 

मैंने पूछा - मम्मा, वह क्या?

मम्मा ने कहा - कुछ दशक पहले कोलंबिया में पाब्लो एस्कोबार नाम का एक व्यक्ति होता था। जिसने अन्य अपराधों के अतिरिक्त, सैकड़ों लोगों की हत्या भी करवाई थी। अंततः वहाँ की पुलिस ने उसे मार गिराया था। सुनने पर तुम्हारे मन में यह प्रश्न उठेगा कि सैकड़ों लोगों की मौत के जिम्मेदार को, एक मौत देना क्या बराबर होती है? यहाँ मेरा कहना यह है कि जैसा मैंने अभी कहा उस कथन के अनुसार, ‘पाब्लो अपने प्राण एवं मान के साथ’, अपने स्वयं के लिए पूरी दुनिया से अधिक महत्वपूर्ण था। अतः उस एक की मौत, उसके द्वारा की/करवाई गईं सैकड़ों लोगों की हत्या के लिए उचित न्याय था। 

मैंने अब डायरी,पेन उठाते हुए कहा - मम्मा, अब मुझे काफी कुछ समझ आया है। मैं ये बातें अब लिखना चाहती हूँ। 

मम्मा ने मेरे ओंठों पर हल्का चुंबन लेकर प्यार किया था। फिर मुस्कुराते हुए वे मेरे कक्ष के बाहर चलीं गईं थीं। डायरी टेबल पर रखकर, उसमें मैं सोचते हुए लिखने लगी थी। 

~~ 

साथ कई बार टीटी खेल लेने से अब तक चरण, अंशुमन, स्पर्शा और मेरा, सोसाइटी में एक ग्रुप बन गया था। विंटर वेकेशन के पहले दिन क्लब में मिलने पर अंशुमन ने सुझाव रखा कि क्यों न हम सभी एक दिन सुखना झील में बोटिंग करने चलें। 

स्पर्शा ने कहा - हाँ हाँ यह बहुत अच्छा होगा। अपने अपने घर से भोज्य सामग्रियाँ (Food items) भी हम ले लेंगे। फिर कुछ घंटों की पिकनिक का आनंद लेकर सुंदर सूर्यास्त (Sunset) के दर्शन कर हम सब लौट आएंगे। 

मैंने कहा - आप सब मुझसे बड़े हैं। आपको अपने मम्मा-पापा से अनुमति (Permission) मिल जाएगी मगर मुझे नहीं लगता कि मेरी मम्मा मुझे परमिट करेंगी। 

तब चरण ने कहा - मेधा, आप पूछकर तो देखना। अगर आपके पापा, मम्मी मान जाते हैं तो हम दो दिन बाद आफ्टरनून में पिकनिक का आनंद लेने चलेंगे। 

स्पर्शा ने चरण की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा - मेधा, चरण सही कह रहा है। तुम पूछकर तो देखना। 

मैंने कहा - ठीक है मैं पूछूँगी। अगर मुझे अनुमति मिल गई तो मैं चाहूँगी कि पूर्वी भी हमारे साथ चले। 

अंशुमन ने कहा - हाँ बिल्कुल, पूर्वी को भी साथ लिया जा सकता है। एक नाव (Boat) पर हम पाँच टीन्स (Teens) तो सवार हो ही जाएंगे। 

यह तय होने के बाद हमने टीटी खेला था। फिर अपने अपने घर लौट गए थे। 

रात डिनर करते हुए मैंने यह आउटिंग की बात पापा-मम्मी को बताई थी। मम्मा, चरण को अच्छे से जानने लगीं थीं। उन्होंने पापा को देखते हुए पूछा - क्या बच्चों का ऐसे अकेले जाना उचित होगा?

पापा ने कहा - चरण इतना बड़ा तो हुआ है कि वह पास के पब्लिक प्लेस तक आ-जा सके। 

मैंने कहा - पापा, पूर्वी एवं मेरे अलावा (Except two) तीनों मुझसे दो क्लास सीनियर हैं। 

पापा ने कहा - ठीक है, मैं कंपनी की कैब सर्विस वाले ड्राइवर की इनोवा में जाने आने का प्रबंध कर दूँगा। 

पापा को सहमत देखा तो मम्मा ने भी हाँ कर दी थी। तब पूर्वी ने भी अपने घर में पेरेंट्स को मना लिया था। 

जाने वाली सुबह मेरे पीरियड्स शुरू हो गए। मैंने मम्मा को कहा - मम्मा, अब मैं कैसे जा सकूँगी। 

मम्मा ने कहा - तुम देख लो, अगर कठिनाई नहीं लगती हो तो पिकनिक कैंसिल न करो। बाकी बच्चों को अच्छा नहीं लगेगा। 

फिर मैंने उन सब की सोचते हुए जाना तय किया था। 

तय समय पर कैब आ गई थी। हम सब सुखना लेक पहुँचे थे। पहले हमने नौका विहार (Boating) की थी। झील में तैरते-उड़ते साइबेरियन पक्षियों की सुंदरता से नयनों को तृप्त किया था। 

बोटिंग के बाद सूर्यास्त होने में समय देखकर, हम झील के किनारे चलते और बातें करते हुए, एक सुनसान सी जगह (Deserted place) आए थे। यहाँ हम सबने अपने अपने साथ लाया भोज्य अनपैक किया था। सबने सबकी सामग्रियाँ का रसास्वादन किया था। फिर हम सब गपशप करते हुए आसपास की शिवालिक रेंज की सुंदरता का अनुभव कर रहे थे।

अचानक तब दो जवान आदमी हमारे से कुछ ही दूर आ बैठे थे। हमने उन्हें अनदेखा किया था। कुछ मिनट तो वे हमें देखते रहे थे। फिर दोनों हम पर कटाक्ष (comments) करने लगे थे। 

उनकी बातों से चरण और अंशुमन को उग्र सा होता अनुभव कर, मैंने प्रतिक्रिया में कुछ न करने का संकेत किया था। उनसे बचने के लिए हम वहाँ से उठ गए थे। फिर भीड़ वाली जगह की ओर सभी तेज कदमों से चलने लगे थे। हालांकि हमने सूर्यास्त के दर्शन भी किए थे। सबने मजा भी उठाया था मगर मुझे आनंद नहीं आया था। 

पीरियड्स के कारण तेज चलने और मानसिक दवाब ने मुझे अशांत कर दिया था। 

(क्रमशः)


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