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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

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Rajesh Chandrani Madanlal Jain

Inspirational

बालिका मेधा 1.10

बालिका मेधा 1.10

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मैंने पूर्वी से कहा - "यह तो तुमने अच्छी तरकीब निकाली थी। फिर तो वह नहीं आया था?"

पूर्वी ने कहा - "एक बात, बताना मैं भूल गई। मिलिंद जाते हुए मुझसे फोन नं. माँग रहा था। इसके लिए भी मैंने पापा का नाम लेकर उसे डरा दिया था। वह शायद अगले दिन यहाँ से चला गया था। तब से वह मुझे फिर नहीं दिखा और ऐसे एक गलत लड़के से मुझे छुटकारा मिल गया है। तुम्हें बहुत बहुत धन्यवाद कि तुमने मुझे, मिलिंद से बचा लिया।" 

मैंने कहा - "पूर्वी तुम पहले ही अपनी मम्मी या पापा से, उसका, अपने पीछे घूमने की बात बता देतीं तो बात इतनी भी नहीं होती। तब भी ठीक हुआ, अब तुम ऐसे किसी लड़के के चक्करों में नहीं पड़ना।" 

पूर्वी ने कहा - "पापा और मम्मी से इस तरह की बात, मैं कैसे कहती?"

मैंने कहा - "कहना तो चाहिए थी। वे हमें किसी समस्या से कैसे बचना है, यह बता सकते हैं। तुम कहो तो मेरी मम्मी से यह बात कहते हैं। देखते हैं वे क्या कहती हैं?"

पूर्वी बोली - "नहीं मेधा, मेरा इम्प्रैशन क्या रहेगा उन पर!"

मैंने कहा - "पूर्वी, मेरी मम्मा बहुत अच्छी हैं। वह गलत कुछ न सोचेंगीं। कुछ अच्छा ही हमसे कहेंगीं।"

पूर्वी तैयार हुई थी। मैंने मम्मा को देखा था कि वे सोकर उठ गई हैं या नहीं। मम्मी उस समय किचन में थी। वे सबके लिए फ्रूट जूस तैयार कर रहीं थीं। मैंने कहा - "मम्मा, हम दोनों को आपसे कुछ बातें करनी हैं।"

मम्मा ने हम दोनों पर दृष्टि डालते हुए कहा - "मैं पापा को जूस देकर, फिर अपने तीनों के लिए लेकर तुम्हारे कमरे में आती हूँ। तब हम बात करते हैं।" 

मैंने कहा - "जी मम्मा!"

मेरे कमरे में उनके आने पर मैंने, उनसे पूर्वी की उस लड़के को लेकर पूर्व की बातें, पहले संक्षिप्त में और आज पूर्वी की बताई बातें अक्षरशः (Literally) कह सुनाईं थीं। इस बीच पूर्वी सिर झुकाए जूस पीती रही थी। 

मम्मा पहले ही अधिकतर बातें जानती थीं। आज की बात उन्होंने ध्यान से सुनी थी फिर कहा - 

पूर्वी और मेधा, तुम दोनों की अभी की उम्र में, किसी लड़के के प्रति आकृष्ट हो जाना असामान्य बात नहीं है। अगर तुम्हारे साथ यह हुआ है तो गलत नहीं है। कोई लड़का/लड़की अच्छा नहीं है, यह जानते हुए भी ऐसे आकर्षण की अनुभूति होने पर, लड़की/लड़के को अपने पर नियंत्रण रखना आवश्यक होता है। विशेषकर इस उम्र में अकेले में लड़के-लड़की का ऐसे मिलना उचित नहीं होता है। यह उम्र इन चक्करों से दूर रहकर अपने भविष्य हेतु योग्यता बढ़ाने की होती है। मेधा और तुम्हें अभी पढ़ने में अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अपने पसंद के स्पोर्ट्स से मनोरंजन प्राप्त करना चाहिए। साथ ही अच्छा लिटरेचर पढ़ कर, हर किशोरवय बच्चे को “जीवन विषयक” (Life related) अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहिए।  

पूर्वी तो सिर हिलाती रही थी। मैंने ही पूछ लिया ताकि मम्मा के बताने पर पूर्वी को भी समझ आ पाए। मैंने पूछा - 

"मम्मा, आप कह रही हैं लड़की का लड़के से यह आकर्षण गलत नहीं है तो फिर लड़के से ऐसे ना मिलने को क्यों कह रही हैं, आप?"

मम्मा ने पूर्वी को संबोधित करते हुए कहा - 

"पूर्वी, जीवन में बहुत सी बातें अच्छी होते हुए भी वे यदि उचित समय पर नहीं की जाएं तो वे गलत होती हैं। तुम्हारे और मेधा की तरह सभी के मम्मी-पापा के विवाह इन्हीं आकर्षण के परिणाम हैं। ऐसे विवाहित युगल तुम हर घर में देखती ही हो। तुम यदि विवरण लोगी तो तुम्हें ज्ञात होगा कि ऐसे सभी के मम्मी-पापा, जब विवाह करते हैं तब उनमें से किसी की भी उम्र 21 वर्ष से कम नहीं होती है। मेरा कहने का अभिप्राय यह है लड़के - लड़की में आकर्षण के चलते हुए भी उनका एकांत में मिलना 21 वर्ष की आयु के बाद ही अच्छा है। अभी जब तुम दोनों की उम्र 12-13 वर्ष है। यह समय प्यार और आकर्षण से बचने और स्वयं को योग्य बनाने का है।" 

पूर्वी ने इस बार कहा - "आंटी, आपने अच्छी तरह से मुझे समझाया है। अब मैं ऐसी गलती फिर नहीं करुँगी। आप मेरी मम्मी से इस बारे में कुछ नहीं कहना अन्यथा उन्हें दुःख होगा।" 

मम्मा ने इस पर कहा - "हाँ पूर्वी, तुम सही कह रही हो। मैं या कोई और, यह बात उनसे कहेगा तो उन्हें बहुत बुरा लगेगा मगर तुम खुद अपनी भूल मानते हुए उनसे कहोगी तो उन्हें बुरा नहीं लगेगा। अपितु ऐसा करने से तुम और उन में ऐसी चर्चाओं का सिलसिला बन जाएगा। आगे चलकर यह सिलसिला तुम एवं तुम्हारे भाई के लिए हितकर रहेगा। मैं तुम्हारी यह बात किसी से नहीं कहूँगी, तुम इससे निश्चिंत रहो। आज के लिए एक और बात मुझे तुम्हारे साथ ही मेधा से भी कहनी है। "

मैंने पूछ लिया - "जी मम्मा, क्या है वह बात?"

मम्मी ने कहा - "तुम दोनों को कभी किसी लड़के या आदमी से इस तरह से गिफ्ट नहीं लेनी चाहिए। ना ही ऐसे रेस्टारेंट या किसी जगह पर, किसी भी तरह से, अपने पर उन्हें खर्च करने का अवसर देना चाहिए। अगर तुम यह करती हो तो तुम्हारे मन में एक अनुग्रह बोध हो जाता है। जो कई बार खर्च करने / गिफ्ट देने वाले की गलत बात मानने को विवश कर देता है।" 

पूर्वी और मैं समझ गए थे। मुझे, मम्मा का बताए जाने का यह ढंग बहुत अच्छा लगा था। उन्होंने पूर्वी की गलतियों का उदाहरण दिए बिना अपनी बातें कहीं थीं। इससे पूर्वी भी ग्लानि बोध के बिना सभी बातें सुन और समझ पाई थी। 

उस दिन मेरे घर से जाते समय उसने दरवाजे पर मुझ से कहा था - "मेधा, तुम्हारी मम्मा बहुत अच्छी मम्मा हैं। टुडे आई फील मेनी मोर रेस्पेक्ट फॉर हर (आज मैं उनके लिए और भी अधिक आदर महसूस कर रही हूँ)। "

वह चली गई थी। मैंने मम्मा के पास जाकर, पूर्वी की कही बात उनसे बताई थी। फिर उनके गले में बाँहें डाल कर उनके सुंदर मुख को चूम लिया था। 

(क्रमशः) 


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