Atul Agarwal

Fantasy

4.1  

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बाहुबली डायपर (डिस्पोजेबल पोथड़े / लंगोट ) में

बाहुबली डायपर (डिस्पोजेबल पोथड़े / लंगोट ) में

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यह कहानी बाहुबली फिल्मों के हीरो प्रभास या अमरेन्द्र बाहुबली या महेंद्र बाहुबली की नहीं है। इस कहानी में ना सिवगामी देवी है, ना कट्टपा है, ना धरमसेना है, ना अवन्तिका है, ना भल्लाल देव है और ना बिज्जल देव। ना महल है, ना झरना है और ना नदी है। 


यह कहनी है आज के आम बच्चों में से एक बच्चे बिल्लू (अतुल) की। जो की अभी (6 जनवरी २०२१ को) कुल दो साल का हुआ है। गोरा चिट्टा है। अच्छे नाक नक्श हैं। सभी बच्चों की तरह जिसकी नस नस में शरारत भरी है।

कुछ लोग उसे बिल्लू कहते है, कुछ बिल्लू बाहुबली और कुछ केवल बाहुबली। बड़ा हो कर अमरेन्द्र बाहुबली जैसा ही निकलेगा, ना की फ्री स्टाइल एक कुश्तीबाज जैसा, जिसका मुंह पिचके हुए आम की तरह है और जो अपनी कही हुई बात शायद केवल खुद ही समझ सकता है।   

 

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के शहर कानपुर, मोहल्ला स्वरूप नगर के राधे अपार्टमैन्ट की छठवीं मंजिल के फ्लैट नंबर ६०५ में अपने बाबा, दादी, मम्मी व् पापा के साथ रहता है।

 आज के फैशन के अनुरूप, बिल्लू बाहुबली २४ में से 18 घंटे डायपर पहनता है, यानिकि सू सू लीकेज प्रोटैक्टर। पहले बच्चों को लंगोट या पोथड़े पहनाये जाते थे, आविष्कार, सुविधा की जननी है। महिलाओं को बच्चे के सू सू करने पर लंगोट थोड़ी थोड़ी देर में बदलने पड़ते थे। फिर डायपर का आविष्कार हुआ। डायपर पहना दो, ४-६ घंटों की फुरसत।  


पूरी दुनिया में पिछले एक साल से कोरोना (कोविड) है।

लेकिन बाहुबली इस सबसे अनजान है, केवल अपने परिवार में मस्त है।


दिन में एक या दो बार केवल आधा आधा घंटे के लिए ग्राउंड फ्लोर पर पार्क में घूमने जाता है, एक साल पहले तक कभी गोदी तो कभी स्ट्रोलर (बच्चों को घुमाने वाली बग्गी / प्रैम) में जाता था। अब पैदल (घूमी घूमी) या छोटी tricycle पर जाता है। परिवार के उपरोक्त चारों में से कोई ना कोई अभिभावक साथ में रहता है।


पहले तो लिफ्ट में जोर जोर से हल्ला करता है। फिर अगर पार्क में कोई और बच्चा दिख जाता है, चाहे उसी ही की उम्र का हो या फिर चाहे दो तीन साल बड़ा भी हो, तो फिर बाहुबली की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता। जोर जोर से हल्ला मचाते, उस बच्चे से मिलने की कोशिश करता है, उस से हर चीज में कम्पटीशन करता है। उसकी tricycle से अपनी tricycle भिड़ा देगा, उससे रेस भी करेगा।  


 कोरोना ने तो सभी के मुंह पर डायपर लगवा दिया। बस नाम का फर्क है, मुंह के डायपर को मास्क कहते है। डायपर, सू सू लीकेज प्रोटैक्टर का काम करता है, तो मास्क, सांसों के प्रोटैक्टर का काम करता है।


बाहुबली दो किलो का तरबूज बड़े आराम से उठा लेता है। कपड़ों से भरी बाल्टी उठा लेता है। घर का हर काम करने की कोशिश करता है। घर के सामान के बारे में सब पता है। फ्रिज से सामान निकाल लेता है। चीजें छुपा देता है, फिर पूछो तो बता देगा। जो सामान फिर भी ना मिले तो बाहुबली की कृपा से कूड़ेदान में मिलता है।


बाहुबली फिल्म के तीसरे संस्करण में देवसेना या अवन्तिका के हाथों में छोटे नए बाहुबली को डायपर में दिखाना चाहिए।   

       


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