Kiran Bala

Romance

5.0  

Kiran Bala

Romance

अटूट बंधन

अटूट बंधन

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देखो मनीष, भला हम इस तरह कब तक रह सकते हैं, कभी न कभी तो हमें विवाह बंधन में बंधना ही पड़ेगा।

तुम्हारा तो कुछ बिगड़ने वाला नहीं, पुरूष जो ठहरे (मृदुला ने शिकायत भरे लहजे में मनीष से कहा)

तुम फिर इन बातों को लेकर बैठ गई अरे नहीं करनी मुझे कोई शादी, मैं किसी बंधन में बंधकर नहीं रह सकता। क्या दो प्यार करने वाले बिना विवाह के एक साथ नहीं रह सकते।

तुम समझ्ते क्यों नहीं मनीष ! समाज इस तरह के रिश्ते को कोई मान्यता नहीं देता। मैं एक लड़की हूँ इस तरह भला कब तक तुम्हारे साथ रह सकती हूँ। आते -जाते लोग न जाने किस नजरों से मुझे देखते हैं (मृदुला ने थोड़े रूआंसे लहजे में कहा)

देखो, हम कुछ गलत नहीं कर रहे हैं, कानून भी इसकी इजाजत देता है और फिर मैं प्रयत्न कर रहा हूँ न अपने आप को साबित करने का जब तक लाईफ में कुछ सैटल्मेन्ट नहीं हो जाती मैं किसी बंधन में बंधने वाला नहीं (मनीष ने उसे समझाते हुए कहा)।

आज इन बातों को आठ बरस हो गए हैं किंतु न जाने क्यों रह -रह कर मृदुला इन्हें भुला नहीं पाई। ये बारिश भी न यादों की तरह थमने का नाम नहीं ले रही दिल की बेचैनी और बढ़ा रही है (मृदुला ने अतीत की यादों में खोए हुए अपने आप से बातें करते हुए कहा)

मैडम, चाय के साथ पकौडे़ बना दूँ क्या ? ( कामवाली की आवाज सुनकर वो एकदम चौंक पड़ी )

नहीं, रहने दो, बस एक कप कॉफी ले आओ।

एक बात पूछूं आपसे पिछले दो सालों से आपके यहाँ काम कर रही हूँ, कभी हिम्मत नहीं हुई हो पाईअगर आप को बुरा न लगे (कामवाली ने कुछ सहमे हुए अंदाज में कहा)

हाँ बोल ,क्या कहना चाहती हो ? (उसने अनमने भाव से कहा)

यही कि आप अकेले रहते हो कोई और नहीं है क्या आपके परिवार में? कभी किसी को भी आते -जाते नहीं देखा।

अब कहाँ, कैसा परिवार? था कभी पर अब नहीं है(यह कहते -कहते वो पुनः अतीत में जा पहुँची)

मृदुला, मैं दो बरस के लिये कनाडा जा रहा हूँ नौकरी का बहुत अच्छा ऑफर आया है, परसों ही निकलना है (मनीष ने प्रसन्न मन से कहा)

और मैं कैसे रहूंगी मैं ऐसे अकेले ! चार साल से अपने परिजनों से दूर तुम्हारे साथ रह रही हूँ कुछ अंदाजा भी है तुम्हें ! (मृदुला ने शिकायत के लहजे में कहा)

अरे! सिर्फ दो साल की ही तो बात है, यूँ ही चुटकियों में बीत जाएंगे और फिर फोन पर बातें भी तो होती रहेंगी

(यह कहकर वो जाने की तैयारी में लग गया)

आपने बताया नहीं मैडम (कामवाली ने अपनी बात दोहराई)

तुम कॉफी नहीं लाई अब तक (उसने बात को टालते हुए कहा)

बारिश ने भी अब तेज रफ्तार पकड़ ली थी और वह जल्दी से शीशे बंद करने दौड़ी।

उस दिन भी तो ऐसी ही बारिश हुई थी जब मनीष ने कनाडा जाने की बात कही थी (वह मन ही मन सोच रही थी)

आज उसको गए चार बरस हो गए हैं अभी तक लौटकर नहीं आया, कहता था कि दो साल में वापिस आ जाऊंगा।

पहले तो एक साल तक फोन पर बातचीत होती रही फिर तो उसका कोई फोन भी नहीं मिला, शायद उसने नम्बर ही बदल लिया होगा (वह मन ही मन सोचने लगी)

ये कैसा रिश्ता है मेरा मनीष के साथ ! जो भी हो मैंने तो उसे दिल से चाहा है भले ही उसके साथ सात फेरे न लिये हों भले ही वो वहीं जाकर बस गया हो या फिर वापस आए भी या नहीं, पर मुझे तो उसका इंतजार सदैव रहेगा।


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