Kameshwari Karri

Classics

4.5  

Kameshwari Karri

Classics

अपनापन

अपनापन

3 mins
421


सरिता को हमेशा शिकायत थी कि संजय को तो मुझसे बात करने की भी फ़ुरसत नहीं है। शादी के दस साल हो गए मजाल है कि हम कहीं घूमने गए हों। ठीक है घूमने जाने का शौक़ तो मुझे भी नहीं है पर बातें तो कर सकते हैं , नहीं जब देखो तब लैपटॉप या फ़ोन उनके हाथों की शोभा बढ़ाते रहते हैं,कभी-कभी तो लगता है कि मैं उन दोनों में से कुछ होती तोहँसी आती है अपनी सोच पर। 

मेरे पड़ोस में रहने वाली कविता के पति बैंक में काम करते हैं रोज़ शाम को छः बजे तक घर पहुँच जाते। मेरी कुछ सहेलियों के पति भी शाम होते ही घर पहुँच जाते थे। जब भी उन्हें देखती ऐसा लगता था कि मैं कुछ खो रही हूँ। 

खैर 

बच्चों को स्कूल भेज कर पति को ऑफिस भेजकर अंदर आई और हमेशा की तरह मुझे सुबह चाय पीने का भी समय नहीं मिला अब सब चले गए तो सोचा चाय बना लूँ। 

इसलिए 

अपने लिए एक कड़क चाय बनाई और ड्राइंग रूम में आई चाय पीते - पीते सरसरी नज़र खबरों पर डाली। तभी बच्चों के चहचहाने की आवाज़ आई दोनों स्कूल से घर वापस आ गए कह रहे थे कि कल से छुट्टियाँ हैं करोना के कारण सब बंद हो गया है। शाम को संजय आ गए उन्होंने भी कहा कल से ऑनलाइन काम करना है क्योंकि लॉकडाउन शुरू हो गया है अब से मैं भी घर में ही रहूँगा तुम्हारी शिकायत दूर हो जाएगी। दिन अच्छे से गुजर रहे थे क्योंकि यह मेरी ख़्वाहिश थी , रोज़ नए नए व्यंजन दिन बड़े ही मज़े में गुजर रहे थे। न कहीं आना-जाना न किसी का हमारे घर आना सुकून ही सुकून। 

रात देर तक सिनेमा देखने के कारण नींद नहीं खुली पर बाहर की हलचलों से नींद जैसे ग़ायब सहज जिज्ञासा से मैंने बाहर का दरवाज़ा खोलने जा रही थी कि किसी के फुसफुसाहट सुनाई दी कविता की ही थी शायद वह अपने पति से कह रही थी कि एंबुलेंस बुलवा लीजिए जल्दी से , मेरा दिल धक से रह गया क्योंकि कितना भी आराम है सुकून है पर करोना का दहशत भी दिल में है जिसकी वजह से दरवाज़ा भी नहीं खोल सकी।इन्सानियत तो अब दिल में किसी को है ही नहीं। सब लोगों के दरवाज़े बंद की होल से मैंने देखा कविता के ससुर को एंबुलेंस में ले जाने की तैयारी कर रहे थे उनका चेहरा उदास था पत्नी से पानी पीने के लिए माँगा तो वह भी दूर से गिलास में पानी रख कर वहीं खडी रही। पास आने के लिए डर रही थी सबको अपनी जान प्यारी होती है। 

 कितना प्यार था उन दोनों में लोग उन्हें देख कर बुढ़ापे में पति पत्नी को ऐसे ही रहना चाहिए सोचते थे। मिसाल के तौर पर थी उनका प्यार पर अब तो लगता है सब दिखावा है अपने सिवाय आदमी किसी को भी प्यार नहीं कर सकता। मेरी आँखों में आँसू आ गए थे। तभी एंबुलेंस आ गई और अंकल को लेकर जाने लगे कविता पति बच्चे यहाँ तक कि उनकी पत्नी सब घर के अंदर से ही उन्हें देख रहे थे वे बिचारे पीछे मुड़कर बार बार अपने घर को देख रहे थे कि अब फिर उसे देखूँगा कि नहीं। 

मन ही मन मैं सोच रही थी कि करोना की वजह से हुई हालातों ने लोगों को इतना बेबस बना दिया कि अपने ही अपनों के लिए पराए होने के लिए मजबूर हो गए। 

कब हालत सुधरेंगे और फिर वापस सब अपनी ज़िंदगी आज़ादी से बिना किसी डरके जी सकेंगे। ईश्वर से यही प्रार्थना है कि सबको स्वस्थ रखें और प्रसन्न रखें। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Classics