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Anita Mandilwar Sapna(world record holder)

Abstract Inspirational

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Anita Mandilwar Sapna(world record holder)

Abstract Inspirational

अपना परिवार

अपना परिवार

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"माँ जी", आप आ गई, बहुत-बहुत स्वागत है आपके अपने घर में। आपको आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई। रीता ने बहुत आत्मीयता से अपनी सास को संबोधित किया।

नहीं, बहू। संक्षिप्त सा उतर था माँ का।

मुन्ना कहाँ है ? प्यार से अपने बेटे रोहित के बारे में पूछा। बहू ! बहुत याद करता होगा न मुझे।

हाँ माँ जी, 

अब कहती भी क्या वह ! रोहित तो कभी माँ का जिक्र नहीं करता। 

जब रोहित ने रीता से प्रेम विवाह किया था तो माँ जी ने बहुत विरोध किया था और कहा था कि तुम दोनों का कभी मुंह न देखूँगी। अपनी बेटी दामाद के पास रहने चली गयी थी।

वहाँ बेटी सीमा तो बहुत ख़्याल रखती थी पर दामाद की बातों से अक़्सर ये एहसास होता कि ये घर उसका नहीं है।

एक दिन जमाई बाबू ने सीमा को कहा -माँ जी कब तक यहाँ रहेंगी। पूरी उम्र यहीं गुजारने का इरादा है क्या ?

अब माँ कहाँ जाएँगी, भाई-भाभी से नाराज है। अब मैं क्या कह सकती हूँ। सीमा ने मायूसी से जवाब दिया।

परदे की ओट से माँ ने सब सुन लिया। आँखों के कोरों में अश्रु छिपाए आगे बढ़ गयी। उसी शाम बेटे रोहित के पास रहने चल दी। 

रीता ने जिस तरह आत्मीयता से स्वागत किया। माँ को इसकी उम्मीद कतई न थी।

"आ गए बेटा"

शाम को रोहित के घर वापसी पर माँ ने कहा

"हाँ "

आपको कोई तकलीफ तो नहीं हुई न। पूछते हुए कमरे की तरफ बढ़ गया।

कमरे में पहुँचते ही रीता ने कहा कि माँ जी जब से आई है आपको ही पूछ रही हैं। 

हूँ। कितने दिन रहेंगी। पूछ लो। रोहित का जवाब था।

कितने दिन मतलब ?

अब हमेशा यहीं रहेंगी। असली घर तो उनका यही है रोहित। अब मैं उन्हें कहीं जाने न दूंगी। वो हमारी भी तो माँ हैं।

रोहित के पीछे जाते हुए माँ ने सब सुन लिया।

आज वह सोचने पर विवश थी कि अपना परिवार कौन है और पराया कौन ! 



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