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Anita Mandilwar Sapna(world record holder)

Tragedy

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Anita Mandilwar Sapna(world record holder)

Tragedy

संस्कार या विचार

संस्कार या विचार

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 चार घंटे से घर पर थी, क्या कर रही थी, एक भी सामान अपनी जगह पर नहीं दिखता?

आये दिन ऐसे तानों से उसका मन छलनी होता रहता है । आज फिर वही ••••

 सब्जी ज्यादा पक गई, सब्जी कच्ची है । रोटियाँ ठीक नहीं बनी ? बच्चे का ध्यान नहीं रख सकती । ज्यादा पढ़े लिखे का भी ताना मिल जाता । ये सब तो रोज का क्रम था । साहित्यिक रूचियों का ताना जले पर नमक छिड़कने जैसा ! रोज ऐसे उलाहना शोभना के मन को तार तार करते रहते हैं । शोभना को आज अपना अतीत बहुत याद आ रहा है, बचपन की अठखेलियाँ, बचपन के दोस्त, मायका, सब कुछ, सबकी कितनी दुलारी थी वह ।

शोभना सोचती है कहाँ कमी रह गयी । इतनी पढ़ाई के बाबजूद घर के काम सब तो सीखा था उसने । एक अच्छी नौकरी के साथ जितना कर सकती थी करती है घर परिवार के लिए । फिर ये ताने उलाहना क्यों ?

आज भी समझ नहीं पा रही, कमी कहाँ है उसके संस्कार में या रमेश के विचार में ।

अनिता मंदिलवार "सपना" 


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