वो यादगार, रक्षाबंधन
वो यादगार, रक्षाबंधन
मेरे तीन भाई जिनसे मेरा रक्त संबंध नहीं है, पर बहुत ही स्नेह है उनसे । जिनको मैं प्रेम से त्रिदेव कहती हूँ ।तीनों को प्रत्येक वर्ष रक्षाबंधन के अवसर पर राखी भेजती हूँ और उनको राखी का इंतजार भी रहता है । राखी बांधकर फोटो भी भेजते हैं और कहते हैं दीदी राखी मिल गई और हमने बांध ली । कभी-कभी ऐसा हुआ समय पर राखी नहीं मिली तो वह मायूस होकर बोले कि राखी अभी नहीं मिली दीदी पर जब भी मिलेगी मैं उसे बाधूँगा जरूर और वही दिन मेरे लिए रक्षाबंधन का होगा । ऐसा स्नेह जो निश्चल, पवित्र होता है केवल भाई बहन का हो सकता है जिसमें कोई दिखावा नहीं है । युग युग जियो मेरे भाईयों ।
