शक्ति स्वरूपा
शक्ति स्वरूपा
"ये क्या ढोंग चल रहा है कन्या पूजन का, स्त्री भी कोई पूजने की वस्तु है"
रामदयाल ने घर में घुसते ही तृष्णा भरे भाव से कहा।
ऐ देवियों, उठो, जाओ यहाँ से। कोई यहाँ छप्पन भोग न मिलने वाला ?
रामवती नौ दिनों से उपवास कर रही थी आज उद्यापन का कार्यक्रम हो रहा था।
अपनी पति की बातें सहते-सहते आज तक जीवन बीत रहा था, पर आज ऐसी बातें सुनकर उसके अंदर सचमुच शक्ति का संचार हुआ और सामने आ खड़ी हो गयी। इन्हें मैंने बुलाया है। ये मेरा भी घर है और ये भोजन करके ही जाएँगी ।
रामदयाल हतप्रभ था आज उसके सामने साक्षात शक्ति स्वरूपा नारी खड़ी थी।
