अपना ख़्याल रखना
अपना ख़्याल रखना
अपना ख़्याल रखना
अपनी उंगलियों से उसने उसकी अधखुली पीठ पर कुछ लिखा.
."बताओ क्या लिखा है ?"
"मेरा नाम" !
वो झट से पहचान गई.. और उसकी खूबसूरत हंसी पूरे कमरे में बिखर गई..
तुम्हे हर बार कैसे पता चल जाता है?
तुम्हारे स्पर्श को पहचानती हूँ मैं... तुम्हारी साँसे मेरी पीठ से टकराती हैं.. तो उनकी गर्मी से समझ जाती हूँ तुम क्या लिखने वाले हों..
वो निशब्द हो जाता है..इतना प्यार..?
शादी को तीन साल हो गए हैं पर वो साथ में बहुत कम रहें हैं .. वो डॉक्टर है दिन रात मरीज़ो कि सेवा में लगी रहती है.. और ये सीमा पर देश की सेवा करता है और साथ ही अपने शब्दों को कागज़ के सीने में दर्ज़ करता रहता है.. शौक़िया लिखता भी है..
"तुम किताब पढ़ना मेरी नई वाली.. आग लगा दी है इसने हर तरफ.. "
उसकी पंक्तियाँ हैं कुछ..
"जाने क्या ग़लत है..
क्या सही है..
ढूंढे किसे कोई नहीं है..
बस वक़्त की सिलवटें हैं दरमियाँ..
वरना तो मैं भी वही हूँ, तू भी वही है "
वाह.. वाह.. बहुत अच्छा लिखा है..
उसने मुस्कुराते हुए कहा..
आप लिखो और आग न लगे ऐसा हो सकता है...
उसकी आँखों में विश्वास की और प्यार की चमक आ गई..
उसने अपने हाथ को उसकी गर्दन पर फेरा.. न जाने अब कब मुलाक़ात होंगी.. वो बंगलुरु में डॉक्टर और वो कश्मीर में देश का रक्षक...
दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया और आँखों में आई नमी को छुपाने की कोशिश की..
दोनों जल्दी से पलट जाना चाहते थे ताकि एक दूसरे के लुढ़कते आंसू न दिख जाए..
कश्मीर में ठंड बढ़ने लगी है अब... पर सीमा में शांति कहा है? .. गोलाबारी होती है.. सैनिक मरते है... ठण्ड हड्डियों में घुस कर दांत गड़ाती है.. पर देश के करोड़ों लोगों की उम्मीदों से सहारा मिलता है बर्फ के इस रेगिस्तान में ज़िंदा रहने का...
कॉफ़ी के मग से उठता धुँवा.. उसकी तस्वीर बनाता है.. और याद आ जाता है उसका स्पर्श... और चारों तरफ फ़ैल जाती है उसके होने की खुशबू...
"सुनाई नहीं दे रहा है ज़ोर से बोलो न" प्लीज!!...
घड़घड़ाते खराब मौसम से आवाज़ नहीं सुनाई दे रही थी... इतना एक दूसरे के साथ रहें हैं पता नहीं आज भी क्यों जब डॉक्टर साहिबा का फोन आता है तो उसकी धड़कनें ऐसे बढ़ जाती हैं जैसे कोई किशोर अवस्था का लड़का...
कोरोना की वजह से उसे बहुत मेहनत करनी पड़ती है.. टाइम नहीं मिलता बात करने का... दिन रात मरीज़ो की सेवा..
अब बॉर्डर पर खड़े होकर उतना डर नहीं लगता जितना डॉक्टर पत्नी के बारे में सोच सोच कर... तुम मास्क लगा रही हो न?? खाना खाती हो न टाइम से??? मुझे बहुत फ़िक्र हो रही है तुम्हारी...
हाँ.. बाबा मैं ख्याल रखती हूँ अपना... और सारे मरीज़ो का भी... काम के लिये पागल थी वो
.. उसे होश ही नहीं रहता अपना... उसे देख के लगता कोई देवी स्वयं मरीज़ो का ध्यान रख रही है.. बिना थके बिना खाए... 24 घंटा अस्पताल में ही रहती थी..
आवाज़ ठीक सी नहीं आ रही है क्या हुआ तुम्हे??
बीमार सी लग रही हो?
नहीं तो सब ठीक है...
डॉक्टर की आवाज़ बीमार लग रही थी.. और वो सुनते ही पहचान लेता था... बताओ न क्या हुआ है तुम्हे... अरे कुछ नहीं न... जुक़ाम है हल्का सा बस...
लगता है जंग तो वो लड़ रही है.. इतने खतरे के बीच जो रहती है दिन भर... हे ईश्वर इस महामारी को ठीक कर दो जल्दी से उसने सोने से पहले दुआ की..
. एक महीना हो गया है घाटी में बर्फ, आंधी तूफ़ान से कोई राहत नहीं न ही एक महीनें से बात हुई है डॉक्टर से... पता नहीं कैसी होंगी?
सर घुसपैठ हुई है आतंकवादीयों की... इन्हे चैन नहीं है... इतनी बर्फ, कोरोना की महामारी और इन्हे मरने की जल्दी है...
कितने आदमी हैं??
सर तीन लोगों की खबर है..
चलो बैठो निपटा के आते हैं.. छ: अधीनस्थो को लेकर बताई लोकेशन पर पहुंच गए.. अरे ये क्या??
दोनों तरफ से गोलियाँ चलने लगी....
अरे तीन की खबर थी पर यहाँ तो कोई 12-15 घुसपैठिये थे.. अब सोचने का समय नहीं था... हर हर महादेव और टूट पड़े भारतीय शेर...
सारे आतंकवादी मारे गए.. अपने भी सारे साथी शहीद हो गए.. उसके पैर में गोली लगी है खून बहुत निकल चुका है.. तभी एक आतंकवादी ने उसका सिर का निशाना बनाया.. गोली ठीक उसके सिर के बीचोबीच का निशाना लेती हुई आई...
किसी ने हाथों से उसे धक्का दिया और वो बेहोश होता हुआ दूर छटक गया... उसकी बन्दूक से अपने आप गोली चली और आतंकवादी का काम तमाम हो गया..
बेहोश होने से पहले देखा जैसे डॉक्टर ने ये सब किया हो सफ़ेद कपड़ो और खूबसूरत मुस्कान के साथ वो सामने खड़ी हो..
कई दिनों बाद होश आया है आपको.. अब आप खतरे से बाहर हैं.. मुझे अपनी पत्नी से बात करनी है..
बेटे वो अब नहीं रही.. पिता ने उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा..
उसकी मौत कोरोना से 4 दिन पहले हो गई है... जिस दिन तुम्हारी मुठभेड़ हुई उससे कुछ घंटे पहले...
इसका मतलब वो मुझसे मिलने आई थी.. उसी ने मुझे बचाया.. वो ज़ोर ज़ोर से दहाड़े मार कर रोने लगा... अब जीने का कोई मकसद नहीं रहा...
एक कार्ड दे गई है तुम्हारे लिये..
उसमे टूटे फूटे शब्दों में लिखा था... मैं मर रही हूँ.. पर अपना फर्ज़ मैंने अच्छे से निभाया... तुम रोना मत.. अगर तुम्हे बॉर्डर पर कुछ हो जाता तो मैं नहीं रोती क्यों की एक शहीद की बीवी को रोने का नहीं गर्व करने का हक़ है..
उसी तरह मैं भी अपने काम में शहीद हुई हूँ...
उसका रोना बंद हो गया..
नीचे एक स्माइली बनी हुई थी और लिखा था...
मेरे बाद अपना ख्याल रखना....