Pooran Bhatt

Drama Romance Fantasy

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Pooran Bhatt

Drama Romance Fantasy

अलाहाबाद वाला लाल इश्क़ (भाग -1

अलाहाबाद वाला लाल इश्क़ (भाग -1

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इश्क़!!!!

बस हो जाता है.. लेकिन उत्तरप्रदेश का इश्क़ हो तो थोड़ा जटिल हो जाता हैं.. और अगर इश्क़ अलाहाबाद का माफ़ कीजिये प्रयागराज का हो तो फ़िर तो रायता हो जाता हैं.. कितना भी समेटो फैलना ही हैं...


कॉलेज का पहला दिन और हज़ारों ख्वाहिशें गोते मारने लगी... अभी तक स्कूल की वो बोरिंग लाइफ.. यूनिफार्म, किताबों का भारी बैग और ढेर सारी बंदिशें.. लेकिन अब ना कोई रोक टोक और ना ही कोई कुछ कहने वाला...

मनु जिसका पूरा नाम था मनोहर लाल त्रिवेदी पिता जी पंडिताई करते थे..संस्कृत के प्रकांड विद्वान हनुमान जी के पक्के भक्त... हर मंगलवार संगम किनारे वाले लेटे हुए हनुमान जी के मंदिर जाकर पूरे 51 रूपये का प्रसाद चढ़ाते... और माँ घरेलू धार्मिक महिला थी.. बचपन से ही पूजा पाठ और धार्मिक माहौल रहा था... मतलब 9-10 बजे सो जाना 3-4 बजे उठ जाना.. और पूजा, ध्यान, संध्या के पक्के नियमों को निभाना.. घर में न कभी लहसुन.. प्याज़ आया और न ही कभी मुर्गे बकरे की बात हुई....

घर में कहीं भी फ़ालतू आने जाने की मनाही थी.. सिनेमा तो बिल्कुल बंद था.. मनु का एक दोस्त था भोला.. जो कि बस नाम का ही भोला था..वैसे बड़ा ही तेज़ लड़का था.. उसने ही एक दो बार मनु को सिनेमा दिखाया था.. पंडित जी उसे बिल्कुल पसंद नहीं करते थे.. भोला जाति से कायस्थ था.. भोला के पिता की जॉर्ज टाउन मे दुकान थी..पढ़ने लिखने में जीरो और पैसे की कमी तो थी नहीं सो भोला मस्त रहता था..


पंडित जी चाहते थे कि मनु बेटा भी पंडिताई करें लेकिन पढ़ने में मनु महाराज अच्छे निकले 12 वी में उत्तरप्रदेश शिक्षा बोर्ड में 92 % ले आए... मतलब गर्दा मचा दिया... जब मिडिया वाले पूछने लगे कि बेटे को क्या बनाओगे अब... तो पंडित जी झेप गए और कह नही पाए कि पंडिताई करवाएंगे.. सीधा कह दिया कलेक्टर बनाएगे.. तो यहाँ से पंडित जी ने भी ठान लिया कि अब तो बेटा कलेक्टर ही बनेगा..साला अलाहाबाद मे रह कर अगर कलेक्टरी का फॉर्म नहीं भरा तो फ़िर कहाँ जा कर भरियेगा.. गढ़ हैं भाई अलाहाबाद कल्लेक्टरो का...


12 वी पास किये सरकारी ठेठ हिंदी माध्यम विद्यालय से अब एक बहुत बड़े टिप टॉप इंग्लिश कॉलेज मे दाखिला भी मिल गया.. बहुत से सपने पाले हुए मनु त्रिवेदी उर्फ़ मनोहर लाल त्रिवेदी अति उत्साहित थे पहली बार कॉलेज जाने को... गमगमाते नीम के साबुन से नहाकर अलमारी से राजू टेलर के यहाँ सिलाई भूरे रंग की पेंट निकाली जो नीचे से एक इंच लगभग बड़ी थी... पंडिताइन ने कहा था कि अभी तो मनुवा के बढ़ने के दिन हैं थोड़ा बड़ा ही बनाइये पेंट को...

ऊपर से चटख हरे रंग की बुकसट पहनी गई ख़ास बुकसट है जो पिछले साल मामा की शादी में बनाई थी.. नीचे सफ़ेद स्पोर्ट्स शूज डाले गए... हल्का इत्र डालकर और सिर में चमेली का तेल लगा कर मनोहर लाल त्रिवेदी अलग ही नज़र आ रहे थे... पंडिताइन ने टीका लगाकर मनोहर को कॉलेज के लिए विदा किया दिल में हजारों ख्याल ऊपर नीचे गोते लगा रहे थे कंधे पर नया लाया हुआ बैग टांग कर मनोहर भैया बस में चढ़ गए...

मन में ख्याल आता था कि जैसे ही कॉलेज पहुंचेंगे कॉलेज में जाते ही अपना डंका बजा देंगे जैसे स्कूल में उन्हें हर कोई जानता था उसी तरह से कॉलेज में भी सब लोग जानने लगेंगे नहीं कॉलेज में जान लगाकर पढ़ाई करेंगे...

इतना सोचते सोचते कॉलेज के गेट पर बस रुक गई... दिल ज़ोरों से धड़कनें लगा.. पहला कदम कॉलेज में और एक अलग ही दुनिया में पहुँच गए.. 

रंग बिरंगे कपड़े पहने हँसते मुस्कुराते लड़के लड़कियाँ... महँगी चमचमाती बाइकों और गाड़ियों का रेला... अधिकतर बड़े घरों के लड़के लड़कियाँ ही यहाँ पढ़ते थे..

कितने अजीब अजीब बाल बनाए हुए थे लड़के कोई लाल, भूरे बाल लेकर घूम रहा था कोई चिड़िया के घोसले जैसे बाल रखे हुआ था...


अभी पहली क्लास में एक घंटा बाकी था.. तब तक क्यों ना कैंटीन में बैठा जाए... कैंटीन क्या पूरा होटल ही मान लो इतना बड़ा एरिया. और इतना सब कुछ था मीनू में...लेकिन है सब बड़ा महँगा.. बताओ 50 रूपये की कॉफी कोई बात हैं.. इतने मे तो अपने यहाँ पाँच कॉफी आ जाए.. बड़े बड़े अक्षरों मे सामने लिखा था.. "cafeteria" और नीचे लिखा था "self service" इतना बड़ा कैंटीन मे खुदे ही उठाना होगा सब कुछ.. हमारे यहाँ तो ढाबे मे भी मेज मे लगा कर देता हैं छोटू सब कुछ..

सब लोग बड़े ही सहज़ रूप से कैंटीन में बैठे थे लड़कियाँ छोटे छोटे कपड़े पहन कर लड़कों के हाथों में हाथ डाले बैठी थी...

मनु के लिये बड़ा असहज और नया था ये सब... उसके मोहल्ले में तो लड़का लड़की बात भी कर ले तो बदनाम हो जाए लोग तरह तरह की बातें बनाने लगे.. लेकिन यहाँ तो मतलब एकदम खुल्ला में सब कुछ... अरे बाप रे... महादेव ही रक्षा करें अब...

अचानक मनु की नज़र सामने बैठी एक लड़की पर पड़ी.. पीले रंग की शार्ट ड्रेस में बैठी थी.. उसकी टाँगे नज़र आती थी मनु भैया के लिये तो ये एक दम नयी बात थी... कहाँ कभी किसी लड़की को देखा उन्होंने...

सब कहते हैं पाप हैं ये सब... फिर भी कभी कभी चोरी से अपनी बहन की दोस्त शोभा को ताड़ लेते थे... लेकिन इतनी खूबसूरत मक्खन जैसी टांगें... एकदम सिनेमा की हीरोइन जैसी.. मनु भैया न चाहते हुए भी बस एकटक देखते ही रह गए.. एक अलग ही गुदगुदी और रोमांच होने लगा था दिल में...

"क्या देख रहा है बे"???

एक लड़के ने मनु से कड़क आवाज़ में पूछा


सामने एक तगड़ा लम्बा सा लड़का खड़ा था.. भूरे बाल हल्की दाढ़ी.. महँगा जैकेट और काला चश्मा डाले हुए...उसके दाएँ बाएँ दो और दबंग लड़के खड़े थे.. 

मनु हड़बड़ा गया जैसे किसी बहुत बड़े अपराध को करते रंगे हाथों पकड़ा गया हो...

क.. क... क.. कु.. कुछ... न.. नहीं.... थूक निगलते हुए मनु ने बड़ी मुश्किल से जवाब दिया...

check out कर रहा हैं उसे???

बोल ना???

और तीनों उसके आस पास वाली कुर्सी में उसे घेर कर बैठ गए...


क्रमशः....



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