दूसरी दुनिया का शैतान
दूसरी दुनिया का शैतान
आज फिर एम- 139 अतीत में सिग्नल भेजनें की कोशिश कर रहा है। कोई तो होगा जो इसे रिसीव करेगा। सन 2100 की दुनिया भी अजीब है। मानव ने पूरी पृथ्वी को गंदे कचरे के ढेर में बदल दिया है। जमीन रहने लायक़ रही नहीं अब जमीन से 300 मीटर ऊपर घर बनाए जातें हैं अंडेनुमा सफ़ेद घर। बाहर निकलते हुए ऑक्सीजन मास्क, औऱ विशेष सूट पहना जरुरी होता है। वरना सूरज की घातक किरणे जला सकती हैं। आर्मी को छोड़ कर किसी को भी नीचे जाने की इजाजत नहीं है।
एम-139 एक डिज़ाइनड बॉय है उसके माता पिता कोई नहीं हैं। उसका जन्म लेबोरट्री में जैविक - रासायनिक क्रियाओं द्वारा हुआ है।परिरक्षित स्पर्म एवं अंडे द्वारा उसे बनाया गया है। एम-139 को खास तौर पर फिजिक्स औऱ टेक्नोलॉजी विषय पर शोध के लिये डिज़ाइन किया गया है।
तभी एस-31 रूम में दाखिल हुआ। क्या हुआ? हुआ किसी से संपर्क अतीत में? एस-31 ने मुस्कुराते हुए पूछा। नहीं अब तक तो नहीं। निराश एम-139 ने कहा
क्या तुम नीचे धरती पर गए थे? एस-31 ने लगभग चीख़ते हुए पूछा।
हाँ - एम-139 ने कहा।
तुम्हें पता है अगर किसी को पता चला तो तुम्हें रिप्रोग्राम किया जा सकता है।
हाँ मुझे पता है। पर देखो तो मुझे क्या कुछ मिला आज जमीन में। एम- 139 ने कहा।
एक चकोर सा धातु का टुकड़ा। ये क्या है? एस-31 ने उस टुकड़े को उल्टा पलटा के देखा।
पता नहीं शायद कोई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हो। पुराने समय की मुझे कुछ टाइम लगेगा इसे समझने में।
देखो मुझे कुछ औऱ भी मिला है।
क्या?
सामने फ़्रेम की हुई एक तस्वीर थी जिसके बीच में एक ख़ूबसूरत घुँघराले बालों वाला बच्चा था।उसे एक बूढ़े आदमी ने पकड़ा हुआ था। उसके दाई तरफ एक औरत औऱ बाईं तरफ एक आदमी था जो। बच्चे को बड़े प्यार से निहार रहे थे।
ये क्या है?
एस - 31 ने पूछा
ये।. फैमिली।। ली
औऱ एम-139 उदास हो गया इस समय में किसी को रिश्तों की जरुरत नहीं थी इंसान यहाँ मशीन था। उसे प्रोग्राम किया जा सकता था पर हजारों लाखों सालों से उसमे इक्क्ठा हुए उसके जज्बात उसे कमी महसूस कराते थे प्यार की फ़ैमिली की रिश्तों की।
वो शैतान अमावस्या में निकालता है। बड़े बड़े दाँत, लाल - लाल आँखें सफ़ेद चूने सा रंग।वो बहुत सी ताकतों का स्वामी है। उसके साथ बहुत से वैम्पायरों की टोली रहती है। उसके हाथों से कोई नहीं बच सकता। वो है जिन्दा पिशाच। मौत का राजा। मिस्टर मुख़र्जी बहुत दिनों से लगें हैं अपने प्रोजेक्ट "ख़ूनी वैम्पायर" को पूरा करने में। स्क्रिप्ट से लेकर ग्राफ़िक्स औऱ फिनिशिंग तक सब कुछ मिस्टर मुख़र्जी ने ही किया है. ।
2020 में ये गेम तहलका मचा देगा इस साल का ये सब से बढ़िया गेम होगा साल का क्यों सदी का सब से बेहतरीन गेम होगा। एक बेहद डरावना गेम जो गेमिंग इंडस्ट्री को बदल कर रख देगा।मुख़र्जी जागती आँखों से सपने देखने लगे। . सुधा दो बार आ कर खाने को बोल गई है। पर मुख़र्जी को अपने काम से अलग कुछ दिखता ही नहीं न ही बेटा आयान औऱ न ही अपनी वाइफ सुधा की फीलिंग्स। कह दिया न मुझे डिस्टर्ब मत करो। नहीं खाना मुझे तुम्हारा खाना। चली जाओ यहाँ से। काम के नशे में धुत मुख़र्जी सुधा को ज़ोर ज़ोर से डांटते हुए बोले. . उसे लगता है वो फंस गया है रिश्तों की बेड़ियों में। उफ्फ्फ
ओह। यस। मैंने कर दिखाया !!!हुर्रेरे रर्र। !!! लगभग चिल्लाते हुए मुख़र्जी उछला।आंखिरकार "ख़ूनी वैम्पायर" गेम पूरी तरह से बनकर तैयार हो गया। आखिरकार सारी फाइल्स हार्ड डिस्क में ट्रांसफर कर देनी चाहिए। अब परसों अमेरिकी कंपनी से अपना 10 लाख डॉलर का चैक लेना है औऱ।। फिर।फिर। सोचते सोचते मुख़र्जी नींद की आग़ोश में खो गए। ।
कई बार समय की धाराएँ आपस में एक दूसरे को काटती हैं औऱ दो अलग अलग समय के मुसाफिरों को एक बिंदु पर ले आती हैं । यही हुआ उस रात भी। रात के 2 बजें अचानक फ़ोन की घंटी घनघना उठी। औऱ मुख़र्जी ने अनमने ढंग से फ़ोन अपने कान से सटा दिया। हैल्लो।. हैल्लो। दूसरी तरफ से बहुत उत्साह भरी आवाज़ में कोई बोलने लगा।
क्या ये सन 2020 है?
क्या बकवास है ये। कौन बोल रहा है? क्या काम है? मुख़र्जी चीख़ा।
ये कॉल एम- 139 का था सन 2100 से उसकी ख़ुशी का ठिकाना न था उसकी बरसों की मेहनत आज सफल हो गई थी।
मुख़र्जी उसकी कोई बात नहीं समझ पा रहा था।अच्छा अगर मान भी लूँ मैं कि तुम 2100 से बोल रहे हो तो कोई सबूत दो इस बात का।
एम -139 अपने आपे से बाहर था ख़ुशी उसके दिमाग़ पर हावी थी। अच्छा रुको आस पास नज़र दौड़ाते हुए उसने कहा। औऱ वो पैकेट उठा लिया जो वो आज धरती से लाया था। उसमे से एक चौकोर सा टुकड़ा उठा लिया। जिसे वो शाम को देख रहा था।
मेरे हाथों में तुम्हारे समय की कोई पुरानी सी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है। शायद इस से तुम्हें कोई यकीन आए।
हाँ हाँ हाँ। हाँ। हाँ। मुख़र्जी ने ठहाका लगाया। मेरे पास फ़ालतू चीज़ो के लिये टाइम नहीं है पर बेवकूफ बनाने का तेरा अंदाज़ मुझे अच्छा लगा। चल फ़ोन रख।.एक गन्दी सी गाली मुख़र्जी ने दी।
औऱ मुख़र्जी फ़ोन काटने ही वाला था। कि ख़ूनी वैम्पायर।.
क्या क्या बोला तूने??
ये ब्लैक कलर की एक डिवाइस है। इस डिवाइस पर लिखा है ख़ूनी वैम्पायर। औऱ कुछ। मुख। ज। जी।
हाँ - हाँ मुख़र्जी। लिखा हुआ है।
मुख़र्जी का दिमाग़ काम करना बंद हो गया। ये कैसे मुमकिन है? ।उसने जिस हार्ड डिस्क में गेम ट्रांसफर किया है।उसका रंग भी ब्लैक है औऱ उसपर ख़ूनी वैम्पायर लिखा है। औऱ नीचे मुख़र्जी।
देखो मुझे सोने दो मेरी बहुत इम्पोर्टेन्ट मीटिंग है कल। दोबारा कॉल मत करना। मुझे!!!। हड़बड़ाहट औऱ घबराहट में मुख़र्जी ने फ़ोन काट दिया। फ़ोन रखने के बाद भी बहुत देर तक आवाज़ आती रही। पता नहीं शायद थकान दिमाग़ में पहुँच गई है।
मुख़र्जी एक अजीब हालत में था कि उसके साथ जो कल रात हुआ वो क्या था? हे भगवान !!!!सुधा। सुधा। मैं निकल रहा हूँ मीटिंग के लिये
सामने टेबल पर एक कागज़ पड़ा था। "मैं जा रही हूँ अपने बेटे को लेकर। तुम अपने औऱ अपने काम के साथ ख़ुश रहो "
सुधा।धा। मुख़र्जी हतप्रभ रह गया। उसे इसकी बिल्कुल आशा नहीं थी कि वो इतना बड़ा कदम उठा लेगी।
एम-139 ने ख़ूनी वैम्पायर गेम को आखिरकार स्टार्ट कर ही दिया सामने पारदर्शी स्क्रीन पर गेम शुरू हो गया। एक ख़ौफ़नाक गेम जिसमे उड़ते चमकादड़ चीख़ते लोग औऱ ढेर सारे वैंम्पायर थे।काले अँधेरे में बढ़ता ख़ूनी गेम जिसमे बड़े बड़े दाँत वाले वैम्पायर लोगों का खून पीते थे । उफ्फ्फ ये कितना ख़तरनाक खेल है। पूरा दिन एम-139 औऱ मुख़र्जी के लिये ही अजीब था। दिनभर का थका एम -139, एस-31 के साथ जैसे ही अपने घर पहुँचा। अंदर का हाल देखकर चकरा गया। ढेर सारे वैम्पायर। कमरे में घूम रहे थे।चारों तरफ लाशें बिखरी हुई थी। चमकादड़ो की अजीब सी गंध पूरे रूम में फ़ैली थी।
एम-139 ने जितनी तेज़ी से दरवाज़ा खोला उतनी तेज़ी से बंद भी कर दिया। उफ्फ्फ ये क्या था। अंदर से दरवाज़े पर ज़ोर - ज़ोर से वैम्पायर के पंजे घिसटने की आवाज़ें आ रही थी। ओहह। एम-139 का सर चकराया। एस-31 तो अंदर ही रह गया जल्दी में। अब क्या होगा।?
एक प्रोग्राम्ड लड़का अपने दोस्त के लिये चिंता कर रहा था। कैसे।. कैसे हो सकता है ये सब? । दिमाग़ में ज़ोर डालने पर एम- 139 को याद आया। कि सुबह वो 10-D प्रिंटर ऑफ करना भूल गया औऱ शायद गलती से प्रिंट की कमांड दे दीं। औऱ उसने गेम के सारे किरदारों को प्रिंट करना शुरू कर दिया।
मुख़र्जी को आज घर काटने को दौड़ता था। सुधा औऱ आयान की उसने कभी कद्र की ही नहीं। काश की वो यहाँ होते। उसे आज समझ आने लगा था कि रिश्तें औऱ प्यार हमेशा पैसे औऱ रुतबे से ऊपर होते हैं।
हैल्लो हैल्लो।. फ़ोन उठाते ही एक ज़ोरदार चीख़। मुख़र्जी के कानो में आई।
हैल्लो मिस्टर मुख़र्जी मेरा दोस्त। उसे बचा लीजिए प्लीज। गिड़गिड़ाते हुए एम-139 ने कहा। मुख़र्जी को अचानक कल रात की बात याद आने लगी।
सुधरोगे नहीं तुम।?? अभी पुलिस को फ़ोन करता हूँ मैं।
प्लीज मिस्टर मुख़र्जी।हेल्प मी।रोते हुए एम-139 ने सारी बात बतानी शुरू की।
पर। मुख़र्जी का मन विश्वास नहीं कर पा रहा था इस बात पर।
अच्छा तो आप अपना फ़ोन देखिये। एम-139 ने कहा।
फ़ोन सामने पड़ा था औऱ मुखर्जी बिना किसी चीज़ के सीधा एम-139 की बातें सुन पा रहा था। कमाल। चमत्कार। है ये तो। मुख़र्जी कुछ कीजिए प्लीज।
अचानक वैम्पायर ने दरवाज़ा तोड़ा औऱ एस-31 की विकृत लाश हवा में उछाल दीं। ख़ूनी दरिंदो की एक पूरी फ़ौज़ एम-139 पर टूट पड़ी। उसको नोंचने लगी।. एम-139 का दम घुट रहा था अचानक।
सारे वैम्पायर पीछे भागने लगे।. सब कुछ बदलने लगा लाशें खून सब कुछ गायब होने लगा। औऱ एम-139, एस-31 के साथ दरवाज़े के बाहर खड़ा था। एम139 ने एस-31 को गले
वहाँ मुख़र्जी अपने बनाए गेम के टूटने से बिल्कुल दुःखी नहीं थे।उन्होंने सुधा को फ़ोन किया औऱ रोते हुए माफ़ी मांगी। उन्हें समझ आ गया था प्यार औऱ फ़ैमिली इंसान की कितनी बड़ी जरुरत है। भले ही वो 2020 हो या 2100।
मुख़र्जी अब अपनी दुनिया को हरा भरा बनाने की कोशिश करतें है।ताकि अगली पीढ़ी भी जमीन पर ही रह सके।
मुख़र्जी को ये समझ नहीं आ रहा था कि इतने सारे लोगों में उससे ही क्यों संपर्क किया एम139 ने।??? क्या उसका या उसके वंशज का डीएनए है एम 139 में क्या एम का मतलब = मुख़र्जी है ?
बहुत से सवालों के जवाब अब भी मिस्टर मुख़र्जी के दिमाग़ में घूम रहें हैं।
कभी समय की धारा से होता हुआ कोई सन्देश दोबारा आएगा एम 139 का तो उससे जरूर पूछेंगे मिस्टर मुख़र्जी से
करे सवाल।
लगा लिया। औऱ रोने लगा एस-31 को कुछ समझ नहीं आ रहा था.कि क्या हो रहा है।