अपना घर

अपना घर

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सीमा अपनी सहेली के यहाँ गृह प्रवेश की पूजा में शामिल होने गई थी। घर बस् लौटी ही थी कि दरवाजे की डोरबेल बजी। दौडते दौडते दरवाजेतक आई और उसने दरवाजा खोला। पति को सामने देखकर उसने मुस्कुराकर स्वागत किया। उसने सतीश के घऱमें आने के बाद दरवाजा बंद करके उसके पीछे-पीछे चली आई और पानी लेने किचन में गई। उसके बैठने पर चाय-पानी के साथ हल्का सा नाश्ता भी ले आई।

नाश्ता और चायपानी के बाद वो खाना बनाने किचनमें चली गई और सतीश चेंज करके टी.वी देखने बैठ गया।

सीमा ने एक घंटे में खाना बना लिया और उसने डिनर के लिये सतीश को आवाज दी। उसके आते ही खाना खाकर वो सोने चला गया और सीमा ने झूठे बर्तन उठाकर सींक में रखकर साफ करके। कलकी तैयारी करके वो भी सोने चली गई। दिन भर की थकी लेट गई पर नींद उसकी आँखोंसे कोसों दूर थी। लाख कोशिश के बावजूद भी उसे नींद नहीं आ रही थी। जबसे वो अपनी सहेली के घर से निकली उसके मन में बार-बार अपने नये घर का खयाल आ रहा था। वो सोच रही थी उसकी सहेली मकान के झंझटसे छूट गई। उसकी चिंता हमेशा के लिये मिट गई। अब वो किराये के मकान के हर तकलीफ से मुक्त हो गई थी। माना कि उसके सरपर लोन का बोझ है, पर धीरे-धीरे वो एक न एक दिन चुक्ता हो ही जायेगा। वो सोच रही थी कि उसे कब किराये के मकान से मुक्ति मिलेगी।

उसके पति को तो किसी बात की चिंता ही नहीं थी। वो बस अपने में ही मस्त था। दफ्तर, दोस्त और अपनी पार्टीस ही उसकी जिंदगी बन गई थी। उसे न घर की चिंता थी और न बच्चों की। सीमा ने दोनों बच्चों को अपनी नौकरी के कारण हॉस्टल में रखा था। घर की और बच्चों की सारी जिम्मेदारी सीमा पर थी। ये तो सीमा की खुशनसीबी थी कि उसकी नौकरी सलामत थी। वरना न जाने क्या होता अगर वो उस पर ही निर्भर होती। उसका अपने घर का एक सपना था जिसका पूरा होना शायद ही संभव था। एक तो हर साल बढता किराया और हर ग्यारह महीने में मकान बदलने की परेशानी से वो थक गई थी। अभी दो दिन पहले ही मकान मालिक ने अगले महीने से फिरसे किराया बढाने की सूचना दे गया। अगर बढा हुआ किराया नहीं दे सकते तो मकान खाली कराने की धमकी भी दे गया। उसने सोचा सतीश से कल फिर एक बार अपने घर के बारे में बात करेगी।

बात करके भी देख लिया उसने वही दोटुक सा जवाब दे दिया कि उसे उसके गाँव में अपना मकान बनाना है। उसका जवाब सुनकर वो उसने उसे समझाया भी कि गाँव का मकान किस काम का जब कि यहाँ अगर ले तो सारी उलझनोंसे बचा जा सकता है। पर वो नहीं माना। तब उसने तनख्वाह खर्चे बाँट लेनेकी बात कही जो उसे बहुत बुरी लगी। दोनों में तु-तु मैं हुई जो बाद में झगड़े में परिवर्तित हो गई। झगड़ा इतना बढा कि बात तलाक तक पहुँच गई।

 दोनों में तलाक हो गया। बच्चेकी जिम्मेदारी वो लेने को तैयार न था। वो चला गया। सीमा ने उसकी परवाह न करते हुए अपने बच्चों की जिम्मेदारी भी उठा ली। कुछ साल तक उसी घर में उसने गुजारा किया।

तब तक दोनों बच्चे बड़े हो गये। कॉलेज की पढाई पूरी करके वो दोनों घर आये। पापा को न देखकर उन दोनों ने पूछा तो सीमा ने सारा सच बता दिया। दोनों बच्चे बहुत समझदार थे। बेटे ने माँ को समझाया कोई बात नहीं माँ अब चिंता मत करना। मैं और पिंकी आ गये हैं न, अब देखना हमारे दिन बदलेंगे।

वो दोनों जी जान से नौकरी तलाश में लग गये। उनकी कोशिशने एक दिन रंग दिखाया। उसके बेटे मनीष को बहुत बडी कंपनी में मॅनेजर की नौकरी मिल गई। उसे रहने के लिये घर और दफ्तर आने जाने के लिये कार भी कंपनीकी तरफ से मिली। सीमा को बहुत खुशी हुई। 

फिर कुछ दिनोंबाद बेटी समृध्दी को भी उसकी पसंद के अनुसार एक अच्छे कालेजमें लेक्चरर की नौकरी मिल गई। वो भी बहुत खुश हुई। दोनों भाई बहन जानते थे कि मकान तो कंपनी की तरफसे मिला है पर तब तक ही रहेगा जब तक उनकी नौकरी है। उनकी माँ का सपना अपने घर का था। वो दोनों मिलकर अपनी माँ का सपना पूरा करना चाहते थे।दोनों ने मिलकर बहुत मेहनत की। मनीष ओवर टाईम करके अतिरिक्त पैसे जमा करने लगा और मीताली ने भी फ्री समय में प्राईवेट ट्युशन करके अतिरिक्त पैसे जमा करने लगी। दोनों का बस एक ही मकसद था कि दोनों बहुत शिद्दतसे उसे पुरा करनेमें लग गये।

दोनों ने डाउनपेमेंटका बंदोबस्त करके एक अच्छे एरिया में नया दो बी एच के वाला रेडीफ्लॅट खरीद लिया और घर आये। माँ को जब यह खुश खबरी मिली तो पहले तो उसे यकीन नहीं हुआ। पर जब वो दोनों उसे नया घर दिखाने ले गये वो लौटते वक्त वो बहुत खुश थी। उसे मकान भी बहुत पसंद आया। जब पैसे की बात हुई तो उन दोनों ने उसे समझाया कि इसकी चिंता वो न करे। क्योंकि उन दोनों ने पैसे का सारा बंदोबस्त कर लिया। कुछ महीनों में उनका लोन पास हो गया उन्होने सारा पैसा चुकता कर दिया और चाबी लेकर घर आये। फिर इन दोनों भाई-बहनने मिलकर घरको सजाकर सुंदर बनाया। सारी सुख-सुविधाओंकी भी व्यवस्था कर ली। सीमा भी बहुत खुश थी। अपने बच्चों पर उसे फक्र होने लगा। एक दिन वो सब नये घर में शिफ्ट हो गये। सीमा ने बच्चों से दूसरे दिन गृहप्रवेश की पूजा रखने की इच्छा जाहिर की। मनीष और मीताली मान गये और गृहशांति और गृहप्रवेश भा बहुत अच्छी तरह संपन्न हुआ। आज उसे ऐसा लगा जैसे उसने एक उँची उड़ान भर के पुराने घर से नये घर में आई है।


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