अफवाह
अफवाह
आज सुबह सुबह मैं अपनी पूजापाठ के नित्य कर्म से निपटी ही थी। कि दरवाजे पर आई एक भिखारिन ने कुछ दान देने की याचना की। मैं जब उसके झोली में कटोरी भर आटा डालने दरवाजे पर गई। तो देखा उस बूढ़ी औरत के साथ दो मासूम बच्चे भी भिक्षावृत्ति में लगे थे। तब मैंने उसे समझाते हुए उससे कहा, अम्मा कम से कम इन मासूमो से तो ये सब न करवाओ इन्हें पढ़ने किसी अच्छे स्कूल भेजो। ताकि बड़े होकर ये मासूम भी इज्जत की जिंदगी जी सके। मेरी बात सुन वो कुछ पल खामोश रही,फिर बोली मेमसाब पिछले महीने तक ये भी दूसरे बच्चो की तरह स्कूल जाते थे।
पर क्या आपको नही पता,अभी कुछ दिनों से अपने शहर में एक बच्चा चोर गिरोह बड़ा सक्रिय है। ओर सुना है,अब तो वो बच्चो को स्कूल से भी चुरा ले जा रहे है। बस इसीलिये मैंने इनका स्कूल जाना छुड़वा दिया है। आप ही बताइये, अब इस बुढ़ापे में मेरा इनके सिवा है ही कौन। इतना कहते हुए वो अम्मा आगे बढ़ गई। और मेरे चहरे पर उसकी बात सुन मुस्कान छा गई।