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Kumar Vikrant

Tragedy Crime

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Kumar Vikrant

Tragedy Crime

अंतिम मुलाकात- सर्दी

अंतिम मुलाकात- सर्दी

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सेंट्रल सर्किल विल सिटी

"दिलीप सर्दी की हर शाम इस शहर के ऊपर ये अजीब सी कोहरे की चादर छा जाती है तो इसकी वजह से शहर की हर शाम एक अजीब सी उदासी लेकर आती है।" संजना ने कोहरे की परतो की और इशारा करते हुए कहा। 

"सच कह रही हो संजना; सर्दी के मौसम में तो इस शहर से कहीं दूर चले जाने को मन करता है........." दिलीप सड़क के पास बैठे बेघर लोगो की और देखते हुए बोला। 

"तुमने इस शहर की आखिरी सर्दी कब देखी थी?" संजना ने अपने घरो की तरफ जाते लोगो की तरफ देखते हुए पूछा। 

"मुद्दत हो गई.......अब तो यह शहर अजनबी सा लगता है।" दिलीप ने जवाब दिया। 

"शहर के साथ तो तुमने मुझे भी भुला दिया था, अब तो मैं भी अजनबी ही हूँ तुम्हारे लिए........" संजना बोली। 

"नहीं; न तो मैं तुम्हे भूल सका और न ही सर्दी की इन उदास शामों को......." दिलीप उदास स्वर में बोला। 

"अच्छा मजाक है, जिस इंसान ने कभी मुड़कर भी न देखा कि मैं जिंदा हूँ या नहीं वो इंसान मुझे न भूलने की बाते करता है।" संजना उपहास भरे स्वर में बोली। 

"जिंदगी है संजना तुम्हारे पिता ने इस शहर को मेरे लिए इतना छोटा कर दिया था कि या तो इस शहर में मैं रह पाता या तुम्हारे पिता; मैंने ही इस शहर से चले जाना उचित समझा।" दिलीप के स्वर में उदासी थी। 

"पिता जी तो उसी साल की गैंग वार में मारे गए थे.......तुम तो उनके जाने के बाद भी न आए......." संजना बोली। 

"तुम भूल रही हो तुम्हारे पिता उनकी हत्या से पहले उनके दाहिने हाथ रंजीत से तुम्हारी शादी कर चुके थे, मेरे विचार से शादी में तुम्हारी सहमति भी थी।" दिलीप बोला। 

"मेरी सहमति? जो इंसान कभी पीछे मुड़कर न आया उसे मेरी सहमति या असहमति की परवाह कबसे होने लगी। 

"परवाह थी, परवाह है इसी लिए तो इतने साल बाद वापिस आया हूँ।" दिलीप बोला। 

"तुम्हारी पत्नी की मृत्यु हो गई तो परवाह कुछ ज्यादा ही हो गई लगता है, लेकिन यह तुम्हारी गलतफहमी है मिस्टर दिलीप कि तुम्हारा प्रेमालाप सुनकर मैं पिघल जाऊँगी और सब कुछ छोड़कर तुम्हारे साथ चल दूँगी। मैं अपने पति के साथ खुश हूँ या नहीं इसके परवाह तुम मत करो; मैं अपने पति को तुम्हारे लिए कभी नहीं छोडूंगी।" संजना मोबाइल में टाइम देखते हुए बोली। 

"मैं समझ सकता हूँ, ठीक है अब मैं चलता हूँ; ये हमारी अंतिम मुलाकात है, गुड़ बाय।" कहकर दिलीप दूर खड़ी अपनी कार की तरफ बढ़ गया। 

संजना ने भी अंतिम बार उसे देखा और अपनी कार की तरफ बढ़ गई। 

रिंग रोड अवेन्यू विल सिटी

"सर मैडम और दिलीप सेंट्रल सर्किल के पास मिले और बहुत देर तक टहलते रहे बाते करते रहे।" रंजीत के मुख्य हत्यारे रांचा ने बताया। 

"दुखद, संजना मेरे प्रेम के बाद भी कभी उस गिरहकट दिलीप को न भूल सकी......मार दो दोनों को, दोनों की लाशे पुलिस के हाथ नहीं लगनी चाहिए, काली घाटी में बहुत दिन से किसी को दफनाया नहीं है; वहीँ दफना देना दोनों को।" रंजीत ठंडे स्वर में बोला। 

"ऐसा ही होगा सर।" कहकर रांचा संजना कंस्ट्रक्शन के ऑफिस से बाहर निकल गया। 


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