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Ajay Singla

Classics

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Ajay Singla

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अनोखा बदला - भाग ६

अनोखा बदला - भाग ६

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आज सुधीर अपने आपको बहुत हल्का महसूस कर रहा था। वो अब बदले के बोझ से मुक्त हो चूका था। उसे अब लग रहा था कि बदला किसी भी चीज का हल नहीं है। वो अपनी कोचिंग क्लास के लिए तैयार हुआ और बस पकड़ने के लिए चल दिया। पर आज उसका मन शांत था और किसी भी बदले के बारे में नही सोच रहा था। बस में वो चारों लोग उससे थोड़ा नोक झोंक कर रहे थे पर उसे अब शायद इससे उसे फ़र्क़ नहीं पड रहा था। आज उसने कोचिंग क्लास भी पूरे मन से और एकाग्र हो कर की। वो सोचने लगा की पिछले कई दिनों से वो क्लास में अच्छी तरह पढ़ भी नहीं पाया था और सिर्फ अपना नुक्सान ही कर रहा था। कोचिंग क्लास के बाद जब वो वापिस जा रहा था तो अचानक उसके हाथ से पानी की बोतल गिर गयी और पानी फर्श पर फैल गया। वो बोतल को उठाने ही वाला था कि पीछे से दिनेश आया और वो पानी पर फिसल गया। सुधीर को बहुत बुरा लगा और उसने दिनेश को सॉरी बोला और अपना हाथ उसे उठाने के लिए बढ़ा दिया पर दिनेश ने उसका हाथ झटक दिया। दिनेश को लग रहा था कि वो सुधीर की गलती के कारण गिरा है और शायद सुधीर ने जान बूझ कर ही पानी फैलाया था। तभी दिनेश के बाकी तीनों दोस्त भी वहां आ गए और उन्होंने दिनेश को उठा कर स्टूल पर बैठा दिया। 

सुधीर भी इस सब के लिए अपने आपको जिम्मेदार मान रहा था। दिनेश को चलने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी और उस के दोस्त उसे डिस्पेंसरी में ले गए। सुधीर भी उनके पीछे पीछे चल दिया। डिस्पेंसरी में डॉक्टर ने बताया कि मामूली चोट है और फर्स्ट ऐड देने के बाद दिनेश को भेज दिया। तब तक उन सबकी बस निकल चुकी थी और वो अगली बस में बैठ कर गांव वापिस आ गए। रास्ते में वो चारों दिनेश की चोट के लिए सुधीर को जिम्मेद्दार मानते हुए उसे बुरा भला कह रहे थे। सुधीर उनकी बातों का बुरा नहीं मान रहा था। घर वापिस आकर उसने खाना खाया और सो गया। उसे ये एहसास था की आज तो कान बढ़ने ही वाले हैं। 

जब वो सो कर उठा तो उसके हाथ सीधे कानों पर गए पर उसे ये देख कर बहुत आश्चर्य हुआ की आज उसके कान ठीक ठाक थे। वो ये समझ नहीं पाया कि ये कैसे हुआ। फिर उसने सोचा शायद इसका कारण भी उसे रात को सपने में ही पता चलेगा। आज जब वो सोया तो रोज की तरह उसे सपने की कोई चिंता नहीं थी। सोते ही सपना शुरू हो गया। असल में जो बस उनकी छूट गयी थी उस बस का रास्ते में एक्सीडेंट हो गया था और सवारियों को काफी चोटें भी आयी थी। सुधीर की समझ में आ गया कि एक तो उसने आज जो किया है वो जान बूझ कर नहीं किया और दूसरा इससे उन सब का एक्सीडेंट से भी बचाव हो गया। सोते सोते ही उस के मुख पर एक रहस्य्मयी मुस्कान आ गयी थी। 


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