Niranjan Kumar Munna

Romance

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Niranjan Kumar Munna

Romance

अणु

अणु

5 mins
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"ऐसा क्यूं लग रहा है कि उसकी बातें सच हो जायेगी!!" 


जैसे ही मैंने बोला, रुचिका मेरी ओर प्रश्न भरी नजरों से देखते हुए बोल पड़ी, "सर कैसी बातें कर रहे हो..!!"


रूचिका मेरा पर्सनल असिस्टेंट है। लेकिन असिस्टेंट कम और दोस्त ज्यादा है मेरा । मैं उससे कोई बात नहीं छूपाकर रख सकता। वो ऑनलाइन विडियो कॉलिंग पर बातें कर रही थी, और मैं उसको अपनी कहानी बताने में लगा हुआ था ।


दरअसल आज से लगभग बीस साल पहले, जब मैं कॉलेज में पढ़ाई करता था, मेरा क्लासमेट के किसी कारण से मृत्यु हो गई थी!! 


मुझको नहीं ज्ञात था कि उसकी मृत्यु कैसे हुई। लेकिन मुझको शक हो रहा था कि उसको अपने ही लोगों ने मरने पर मजबूर कर दिया होगा, और वो गुस्से में आकर उल्टा-सीधा दवाइयां खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली होगी! 


वो मेरा क्लासमेट थी, अतः उसको बारे में मैं बहुत कुछ जानता था, लेकिन बहुत कुछ जानने के बाद भी मैं उसको समझ नहीं पाया था ।


परंतु मौत से पूर्व... 

उसने अपनी डायरी शायद मेरे लिए गलती से छोड़ गई थी।


 डायरी से ज्यादा वो बातें मुझको याद आ रही थी, जब उसने मजाक - मजाक में मुझसे बोल गयी थी, "परेशान क्यों होते हो तुम __अगर मैं मर भी गई न, तो तेरे लिए दूबारा जन्म लूंगी।"


और मैं उसी समय गुस्से में उसकी ओर देखते हुए बोल पड़ा था, "दुबारा मरने - जीने की बातें कि न तो अच्छा नहीं होगा...!!"


मगर मुझको क्या पता था कि ज्योति जो बोल रही है, वो सचमुच में ऐसा ही होगा। 


मुझको तनिक भी इस बात का ऐहसास नहीं था कि बात-बात पर हँसने वाली ज्योति सचमुच में मौत के गले लगा लेगी।।


और एक दिन सुबह सुना कि ज्योति डेट कर गई तो मेरा दिमाग खराब हो गया!! 


माँ के बाद वो पहली ऐसी स्त्री थी जो मेरे लिए मेरी दोस्त भी थी, मेरी बहन भी थी। बात - बात में मुझको समझाने वाली, थोड़ी सी गलती पर भी मुझको डांट-फटकार करनेवाली ज्योति सचमुच में इस स्वार्थी दुनिया से कूच कर गयी थी।।


और जाते-जाते अपनी यादों को मुझको मेरे जेहन में छोड़ गयी थी।


उसकी यादों के साथ... 

उसकी हर बातों के साथ, मैं जी रहा था। 


मेरी शादी भी हो गई, और दो बच्चे भी हैं। पत्नी सुंदर और आज्ञाकारी है, बहुत प्रेम करती है मुझसे, लेकिन फिर भी ज्योति को मैं भूल नहीं पाया था।


ऐसे भी जिसे आप भूल नहीं सकते, उसकी आत्मा की शान्ति नहीं मिलती, मैंने कभी कहीं पर पढ़ा था।


मेरी यादें उसको बेचैन कर रही होगी शायद मृत्यु के बाद भी... 

क्योंकि ऐसा कोई भी दिन नहीं होता था, जिस दिन उसको याद नहीं करता था मैं । और याद करते हुए ऊपर आसमान की ओर देखकर अपनी मन की बातें ब्रम्हांड को जरूर सुनाया करता था ।


और एक दिन कुछ ऐसा ही हुआ।।


ऊपर वाले का संयोग कुछ ऐसा हुआ की ऐक लड़की मेरी जिन्दगी में आयी।।


और जैसे ही मैंने उसको पहली बार देखा था , मेरे शरीर में एक सिहरन सा हुआ था । ऐसा लगा की उसमें कुछ है जो अपनी ओर खींचे जा रही है।।


 पहले - पहल मुझको समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि उसको सामने जैसे ही मैं आता हूँ, कुछ असहजता सा क्यों अनुभव करने लगता हूँ।


और वो भी कुछ असहज सी होने लगती है ।।


खैर वह उस समय बहुत छोटी थी।। जब मैं उससे पढ़ाई के दौरान मिला करता था।


लेकिन अब वो छोटी नहीं है...! 

बड़ी हो रही है। कॉलेज में पढ़ाई करती है।। उसको ऑफिसर बनने का ख्वाब है।।


अणु..!!

उसका नाम अणु है।।


सुंदर है, नैन - नक्श सुडौल होते जा रहें है।मधूर बोलती है, एकदम से ज्योति की तरह। अपनी बातों को जोरदार तरीके से रखना भी जानती है वो ।।


परंतु वो बातों को बदलना भी जानती है।। 


ज्योति में भी यही गुण था, जब मुझको किसी बात पर नराज होते देखती थी न वो... 

तो एकदम से बेचैन सी हो जाती थी , और बातों को बदलने की कोशिश करती थी ।।


जब मुझोको गुस्सा आता था तो ज्योति भी मुझको हँसाने की कोशिश करती, और आज अणु भी मेरी नाराजगी पर बेचैन सी होने लगती है ।।


ज्योति कुछ भी बनाती थी , मेरे लिए जरूर बचाकर रखती थी ।।


शायद अणु भी यही करती होगी...। ।


अणु को आते ही मुझको मेरी जिन्दगी में कुछ अंदर बदलाव सा आने लगा है ।।


कोई और उसकी ओर देखता भी है तो अब मुझको गुस्सा आने लगता है।। पहले शायद ही ऐसा कभी होता होगा। परंतु अब होता है। 


मुझको अच्छी तरह से याद है... 

कॉलेज में पहले कोई लड़की मेरी ओर देखती थी, तब ज्योति मुझको से झगड़ा कर बैठती थी।। 


और अब मैं... 

पता नहीं क्यों अणु पर नराज हो जाता हूँ, जब कोई लड़का उसकी ओर देखता है तब!!


मेरी जिन्दगी अजब सी हो गई है।।


ऐसा लगता है कि अणु के रूप में ज्योति मेरे सामने है।।

जब वो जींस और शर्ट में होती है तो मैं एकदम से डर जाता हूँ।। क्योंकि ज्योति को आधुनिक वस्त्र बेहद पसंद थे। वो नये - नये वस्त्र पहनना पसंद करती थी।।


अणु बहुत भोली है।

और जितनी भोली है, उतनी प्यारी भी है। वो नराज मुझपर हो जरूर जाती है, लेकिन ऐहसास मुझको नहीं होने देती। 


वो गलती से एक लड़का की  बातों में आकर चैट करने लगी।।

वो लड़का कोई और नहीं केशव हिरानी है , जो मेरा ही एक कर्मचारी है।।


 हिरानी ने अपना सारा चैट प्रियतम जोबारा को दिखा दिया था...। जो कॉलेज में नम्बर एक का बिगड़ैल लड़का रह चुका था। और फिर वहीं से ऐसी बात फैली की अणु की कहानी बनते देर नहीं लगी। 


जिसके कारण ये गलत हवा फैलते देर नहीं लगी कि अणु किसी लड़का से बात करती है।।


फिर ये बात उड़ते - उड़ते उसके डैडी को भी पता लग गया, और उसके डैड ने बिना सोचे समझे जो नहीं करना चाहिए था, वो कर दिएं।।


ये सारी कहानी जब मुझको पता चला तो पता नहीं क्यों, मेरे आँखों में आँसू आ गयें ।। ऐसे मैं जल्द नहीं रोता, परंतु मैं सारी बातें जानने पर क्यों रो पड़ा ये आजतक समझ नहीं पाया हूँ!! 


उसकी कहानी को सब जानतें हैं ।। 

परंतु मैं बेबस हूँ, कुछ कर नहीं सकता। मेरा मन कहता है कि मैं कुछ करूं, लेकिन क्या करूं कुछ समझ नहीं पाता। 


कुछ करना चाहता भी हूँ तो कदम रूक जाता है।। 


मैं नहीं चाहता ज्योति का ये जन्म भी मेरे कारण दर्दनाक न हो।। 


क्योंकि ऐसा विश्वास है कि ज्योति ही आज का अणु है।। 


लेकिन मैं साबित नहीं कर सकता। पर सुना है कि आत्मा उसी की ओर झुकाव अनुभव करता है, जिससे पूर्व जन्म का कोई न कोई रिश्ता होता है। 


कभी-कभी अणु पर मैं नराज हो जाता हूँ। चाहे उसकी गलती न भी हो, परन्तु बाद में बहुत पछतावा होता है। 

ऐसा लगता है, जैसे कि ज्योति मेरे आँखों के सामने आकर बोल रही हो, "भूल गए न मेरा शरीर बदलतें हीं __ मेरा शरीर बदला है, मैं वही हूँ__ लेकिन मेरा बचपना जा नहीं रहा तो मैं क्या करूं..!!" 


          

        समाप्त



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