उदास लम्हें
उदास लम्हें
प्यार और पसंद में काफी अंतर होता है। शायद इस बात को सोनी के पिता भी जानते होंगे..??
सोनी अक्सर गुमसुम रहने वाली लड़की है, जो जरूरत के हिसाब से ही बोला करती है, वरना वो अपने - आप में खोई रहती है।
उसके इर्द-गिर्द क्या हो रहा है क्या नहीं, वो जानकर भी अनजान बनने की कोशिश करती है , जैसे कि इस संसार से उसे कोई लेना-देना ही नहीं हो।
ऐसे भी जब मैं पुछता हूँ, "सोनी क्या हुआ ? क्यों उदास हो..??"
तब वो बोल पड़ती है ,"कुछ भी नहीं अंकल ।"
और फिर... ,
वह इतना बोलकर बड़े ही शांत भाव से अपने घर का काम में लग जाती है।
परंतु मेरा मन नहीं मानता। जिसके कारण उसके उदास चेहरे को मैं बार - बार देखते रहता हूँ , और वो चुपचाप घर का सारा काम यूं ही करती रहती है ।
सुनने में आया है...
सोनी को अक्सर तबियत खराब रहा करती है। उसके पिता सुबह उठकर गाँव के चौराहे पर लोगों से गप्पे मारने में समय खर्च कर देता है , तो शाम को शराब के ग्लास के साथ, अपना शाम रंगीन करने में लगा हुआ रहता है।
डर के मारे घर के अन्य सदस्य कुछ भी बोलना पसंद नहीं करतें । क्योंकि उन्हें पता है कि कुछ बोलने से ज्यादा बेहतर है, चुपचाप रहते हुए तमाशा देखते रहो।
सोनी के पिता, गणेशी बाबू, सरपंच बनने के चक्कर में ऐसे तो बहुत से पैसे बर्बाद किएं हैं , परंतु बेटी को इलाज के नाम पर एक भी पाईं खर्च करने के नाम पर घर में कोहराम मचाना शुरू कर देते हैं ।
सोनी रोती है.... तड़पती है...सोनी की माँ दौड़कर भगवान के पास जाती है... लेकिन पति से... वो डर के मारे कुछ भी नहीं बोल पाती।
क्रमशः जारी
