अनमोल सीख
अनमोल सीख
आज मैं अपनी ज़िन्दगी के 60 बसंत गुज़ार चुकी हूँ। मेरे ज़हन में मेरी वो टीचर "मिसेज केतकर जी"अर्थशास्त्र की टीचर थी। उनकी यादें आज भी तरोताज़ा हैं...!
ये उन दिनों की बात है जब मैं "दसवीं क्लास में थी। हमारे क्लासेस के सेक्शन ए. बी. सी थे हम "सी" सेक्शन में थे। हमारी अर्थशास्त्र की क्लास " मेडम केतकर "एक साथ बीऔर.सी को साथ बिठा कर पढ़ाती थी। हमारे 6 मंथली एग्ज़ाम का रिज़ल्ट आया था। हमारे मार्क्स भी बताए ।
"सेक्शन बी" "और सी सेक्शन" की लड़कियों का बोर्ड का रिजल्ट अच्छा आए ,इसलिए ग्रुप बनाया गए थे| मुझे जिस ग्रुप में रखा गया था| मुझे ग्रुप लीडर बना दिया गया|हमारे ग्रुप में पांच लड़कियां थी|
हमें जिस ग्रुप में रखा उसमें "बी सेक्शन" की दो लड़कियों को ऐतराज़ था ,कि हम इन "सी सेक्शन" वाली लड़कियों के साथ स्टडी नहीं करे सकते.....!
मेडम ने कहा क्या प्राब्लम है तो दोनों कहती है, मेडम हम "साजिदा " को ग्रुप का लीडर स्वीकार नहीं करेंगे। मेडम ने तिरछी नज़रों से मुझे देखा, मैनें ख़ामोश ...। फिर उन दोनों से पूछा "साजिदा" ग्रुप लीडर क्यों नहीं हो सकती उन 
;दोनों का कहना था, हम अच्छे घर से हैं।
मेडम ने कहा क्या मतलब ....!वो दोनों चुप हो गई। " मेडम केतकर "ने बहुत ही गुस्से से कहा है ये बताओ तुम्हारे " मार्क्स " कितने आएं है। दोनों ने कहा 35 मार्क्स आएं है |फिर "साजिदा "तुम बताओ कितने मार्क्स आएं हैं। मैंने खड़े हो कर कहा "
मेडम जी मेरे 85/100 मार्क्स आएं है अर्थशास्त्र में" इतना कहना था ,कि क्लास की लड़कियाँ उन दिनों लड़कियों पर "खीं-खीं-खीं कर के हँसने लगी।
मेडम ने कहा आप ये सब जो सुपिरियर बनती हो अपने घर पर रखो यहाँ अच्छी स्टडी वाले बच्चियाँ ही सुपर हैं समझी। क्लास का टाइम ख़त्म हो गया था मेडम चली गई ।
बस इतना था मैं "हायर सेंकडरी" स्कूल "टीचर" की बेटी थी और वो दोनों लड़कियों के पिता एक वकील थे और दूसरी के पिता कॉलेज में प्रोफेसर थे।
उस दिन "मेडम केतकर" के लिए "शुक्रिया अदा" करना चाहती हूँ ,खैर वो जहाँ भी हो |उन्होंने मुझे एक अच्छा इंसान बना दिया| जो आज में आप सब जैसे "महानुभावों" के बीच हूँ...!
शुक्रिया "मेडम केतकर जी"