अनजान खतरा
अनजान खतरा
सुबह का वक्त गुप्ता जी को ऑफिस के लिए निकलना था ।
चाय खत्म की अखबार को एक साइड रखा और जोर से आवाज लगाते हुए नहाने के लिए बाथरूम की ओर चल पड़े.......
"सुनती हो भावना की मम्मी मैं नहा कर आ रहा हूं जल्दी से नाश्ता लगा देना आज तो अखबार पढ़ते पढ़ते टाइम का बिल्कुल भी पता ही नहीं चला, बड़े बाबू वैसे ही रोज घड़ी देखकर रोज ताना देते हैं कहते हैं कभी तो आप समय पर आया कीजिए और मैं हूं कि ना चाहते हुए भी रोज-रोज ऑफिस देरी से पहुंचता हूं और उनको सुबह पहले सुनाने का मौका मिल जाता है"।
उधर से भावना की मम्मी की आवाज आती है "ठीक है मैं आपका टिफिन और आपके लिए नाश्ता लगा रही हूं आप जल्दी से नहा कर आ जाइए।"
"आपको आज भावना को भी ऑफिस छोड़ते हुए जाना है क्योंकि आज उसकी गाड़ी उसे ऑफिस के लिए लेने नहीं आ रही"
गुप्ता जी कहते हैं "ठीक है भागवान जैसी तुम दोनों की इच्छा लेकिन तुम थोड़ा जल्दी करो नहीं तो आज सुबह पहले फिर मुझे बड़े बाबू की डांट खानी पड़ेगी"
यह बात खत्म करते हुए गुप्ता जी नहाने के लिए चले जाते हैं ......
करीब 20 मिनट से ज्यादा हो चुके थे ना बाथरूम से कोई आवाज और ना ही गुप्ता जी के बाहर आने के कोई आसार दिखाई दे रहे थे ।
भावना बाथरूम के पास जाती है और दरवाजे को बजाते हुए कहती है "पापा थोड़ा जल्दी कीजिए नहीं तो आज आपके साथ-साथ में भी लेट हो जाऊंगी"
वह कई बार आवाज लगाती है लेकिन अंदर से कोई भी आवाज नहीं आती भावना थोड़ी घबरा जाती है और अपनी मम्मी को आवाज लगती है ।
"मम्मी देखना जरा अंदर से पापा की कोई भी आवाज नहीं आ रही इतना टाइम तो पापा कभी भी नहीं लगते हैं"
भावना की मम्मी दौड़कर दरवाजे के पास आती है और जोर से बोलती है
"अजी सुनते हो जल्दी से बाहर आ जाओ देखो आप मजाक मत करते हो मैं जानती हूं आप हमेशा इसी तरह से मजाक करते हो लेकिन आज आपके साथ-साथ भावना को भी देर हो रही है आप जल्दी से बाहर आ जाओ"
लेकिन फिर भी अंदर से कोई भी आवाज नहीं आती दोनों मां बेटी घबरा जाती है सोचती है कोई अनहोनी तो नहीं हो गई ।
"गुप्ता जी को दिल की बीमारी है " यही सोच कर दोनों मां बेटी जोर-जोर से दरवाजा पिटती है लेकिन फिर भी दरवाजा नहीं खुलता अड़ोसी पड़ोसी भी यह सब देखकर उनके घर पर इकट्ठे हो जाते हैं ।
सब लोग चिल्लाते हैं लेकिन दरवाजा नहीं खुलता ना ही अंदर से कोई भी आवाज आ रही थी ।
यह सब देखकर भावना की मम्मी दरवाजा तोड़ने का फैसला लेती है और वहां पर आए हुए पड़ोसियों से कहती है ,,,,,......
"भैया किसी तरह से यह दरवाजा तोड़ दो भगवान ना करे कोई अनहोनी हो गई हो"
दो-चार लोग आगे आते हैं जोर-जोर से बाथरूम के दरवाजे को धक्का मारते हैं लेकिन दरवाजा काफी मजबूत था बिल्कुल भी हिला ही नहीं ।
तभी वहां पर बढ़ई गिरी का काम करने वाला आदमी आगे आता है और कहता है
"हटो में खोलता हूं दरवाजा" वह अपनी जेब से पेचकस जैसी कुछ चीज निकालता है और दो से तीन मिनट बाद वह दरवाजा खुल जाता है ।
दरवाजा खुलने पर नजारा देखकर सबके होश उड़ जाते हैं ।
भावना और भावना की मम्मी एक दूसरे को देखते हुए रह जाते हैं ।
अड़ोस पड़ोस से आए हुए सभी लोग दोनों मां बेटी को खरी खोटी सुनाने लग जाते हैं ।
"यह सब क्या है तुम लोगों ने हमारा समय मजाक के लिए बर्बाद करने के लिए बुलाया था क्या ?"
भावना की मम्मी कहती है "नहीं भैया ऐसी कोई बात नहीं है"
भावना भी समझने की कोशिश करती हैं ।
लेकिन पड़ोसी बहुत नाराज हो जाते हैं और सब लोग वहां से चले जाते हैं ।
आखिर ऐसा क्या देख लिया बाथरूम का गेट खोलने के बाद सभी लोग वहां से नाराज होकर चले गए ।
यह जानने के लिए आपको कहानी का अगला भाग पढ़ना पड़ेगा और यह भी बताना पड़ेगा कि यहां तक आपको यह है भाग कैसा लगा ?
"आम जिंदगी से उठाया हुआ ऐसा मुद्दा है जो आने वाले समय में हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा बनने वाला है ।
खतरा भी ऐसा जिसकी दस्तक हर घर में होने वाली है हम समय के ऐसे बारूद पर बैठे हैं जो न जाने कब फटने वाला है "....
कहानी के अगले भाग में मिलते हैं
क्रमशः

