चुड़ैल से प्यार
चुड़ैल से प्यार


यह बात उस समय की है जब मैं जयपुर में रहता था मेरी शादी हो चुकी थी बच्चे भी हो चुके थे।
किंतु जॉब के कारण मैं जयपुर में अकेला ही रहता था सिटी बस से रोज आना जाना होता था ऑफिस तक।ऑफिस मेरा 15 मिनट की दूरी पर था सिटी बस में लगातार सफर करता था वहां पर एक मोहतरमा से मेरी मुलाकात हो गई धीरे-धीरे हमारी दोस्ती भी हो गई और बातचीत होने लगी फोन पर।
सबसे मजे की बात यह थी कि अभी तक हम दोनों को एक दूसरे का नाम भी नहीं पता था ।
आप - आप करके हम लोग बात कर लेते थे ।करीब छह-सात महीने बीत चुके थे फिर भी दोनों में से किसी की हिम्मत नहीं हुई हम दोनों आपस में नाम पूछ ले कारण यह था कि 6 महीने हो चुके थे दोस्ती को और अब तक एक दूसरे का नाम नहीं जानते थे अब यदि नाम पूछा तो लड़ाई हो जाएगी ।
इसीलिए मैंने उनका नंबर "बस वाली चुड़ैल" के नाम से सेव कर रखा था ।
उसने मेरा नंबर "बस वाला ड्रैगन" नाम से सेव कर रखा था ।
एक दिन हम लोग पार्क में बैठे हुए थे उसके दिमाग में पता नहीं क्या आया उसने कहा कि अपना फोन बाहर निकालना और सामने रख दो।मैंने फोन जेब से बाहर निकाला और उसके साम
ने रख दिया उसने फोन मिलाया तो उस पर नाम आया "बस वाली चुड़ैल" उसने मेरी तरफ घूरते हुए देखा और कहा कि "मैं आपको चुड़ैल नजर आती हू।
मैं अपनी सूझबूझ हमेशा साथ रखता हूं मैं बिल्कुल भी घबराया नहीं और मैंने कहा "आप भी अपना फोन एक बार सामने रखो मैं आपको जवाब देता हूं" ।वह भूल गई थी कि उसने मेरा नाम क्या सेव कर रखा है ।
मैंने फोन मिलाया नाम आया "बस वाला ड्रैगन" अब हम दोनों की हंसी छूट पड़ी
कई बार इस तरह से हो जाता है कि जाने अनजाने कि हमारी दोस्ती और हमारा प्यार ऐसी चुड़ैल और ऐसी ड्रैगन से हो जाता है ।
बाद में हम दोनों ने एक दूसरे का नाम पूछा और सबसे बदनसीबी वाली बात यह है कि जिस दिन हम लोगों ने एक दूसरे का नाम पूछा उसके अगले ही दिन मुझे जॉब छोड़ कर अमरजेंसी में घर जाना पड़ा ।
उसके बाद मैंने उसे बहुत फोन लगाए किंतु उसने कभी मेरा फोन नहीं उठाया ।अब तो वह नंबर भी बंद हो चुका लेकिन इत्तेफाक से कुछ दिन पहले मुझे वह चुड़ैल फिर से उसी सिटी बस मिल गई इसलिए कह सकता हूं कि चुड़ैल वाला प्यार लौट आया है । ये खाना ड्रैगन या चुडैल मिलेगा या मिलेगी ।