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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Romance

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Praveen Kumar Saini "Shiv"

Romance

पहला प्यार और संयम

पहला प्यार और संयम

3 mins
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संयम का खेल बड़ा सुंदर फसाना है सुनोगे तो दिन आपका बन जाना है ।।

बात है जब हम दोनों कॉलेज में थे । कैंप जाना था कॉलेज का सब बहुत खुश थे । मैं भी बहुत खुश था दो दिन और 3 रात का बाहर का प्रोग्राम था ।सबसे 5000 रुपये लिये गये थे । टोटल 48 जन थे हम जिसमें लैक्चरर भी थे । मेल और फिमेल ।

फिमेल ज्यादा थे मेल कम । बस फिमेल्स इस बात पर बहुत ज्यादा उछल रहे थे ।

बस आई सब को अपनी नंबर की सीट पर बैठना था ऐसा बोला गया था । मेरा नंबर 23 था यानी 22 पर कोई और ।

मगर कौन होगा लड़की या लड़का सोचते 2 काफी समय हो गया सब अपनी अपनी सीटों पर बैठे थे बस 22 नंबर खाली था । बस चलने में सिर्फ 5 मिनट का टाइम था ।

तभी एक खुबसूरत मुस्कान लिए काली जींस पैंट और नीला टि शर्ट पहने एक कमशीन नाजुक सौख और मतवाली लड़की चली आ रही थी ।

मैं बहुत खुश हो गया था मेरी किस्मत में यह हमसफर है बस भगवान को लाखों शुक्रिया कर डाले। वह पास आई औश्र बोली आप प्लीज इधर बैठ जाओ मुझे विण्डो के पास बैठना है आप को सही लगे तो ।

मै कुछ बोल नहीं पाया चुप चाप खड़ा हो गया और 22 पर मैं और 23 पर वह बैठ गयी। बस चल पडी़ गाने बजने लगे । गाना था .......

तुम पास आये यूं मुस्कुराए अब तो मेरा दिल जागे ना सोता है क्या करूं हाय कुछ कुछ होता है ।।

वह बोल पडी़ हाय माय सैल्फ पाखी .....मैं इस बार भी नहीं बोला और हाथ बचा दिया

वह बोली गुंगे हो क्या ?

नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है बस आप को देख कर आवाज नहीं निकल रही थी

वह बोली चुडैल नजर आ रही हूं या भूतनी

मेरी हंसी निकल पड़ी और कहा नहीं नहीं आप बहुत खूबसूरत हो

वह बोली हां पता है सब कहते हैं तो उसका बोलने से क्या लेना देना है।

मैंने कहा देखूं या बोलूं बस यंहा अटक रहा था।

वह बोली एट को मत लंबा सफर है बोलते रहोगे तो दोनों का अच्छा सफर कट जाएगा ।

मुझे भी उसकी यह बात अच्छी लगी क्योंकि इस तरह से चुप रह कर तो दोनों परेशान हो जाएंगे।

मैंने कहा ठीक है बताओ कुछ अपने बारे में

वह बोली नाम तो पहले बता चुकी हूं फाइनल ईयर में हूं इस बार कम्प्यूटर साइंस है मेरे पास।

मैं बोला मेरा भी फाइनल ईयर है और मेरे पास इलेक्ट्रॉनिकस है शिवा नाम है ।

बहुत प्यारा नाम है वह बोली

मैंने कहा थैंक्स

अब तक हम लोग 50 मिनट का सफर तय कर चुके थे बस बहुत तेज गति से चल रही थी । तभी बस से कुछ टकराने की आवाज के साथ सबको झटका लगा बहुत जोर से ।

मैंने खुद को संभाला और पाखी को देखा उसके चोट लग गयी थी सब बस में रोने चिल्लाने लगे तभी सर ने माईक से बोला की बस के आगे नील गाय आ गयी थी इसलिए बस को ब्रेक लगाना पड़ा जिसको चोट लगी है वह आगे आ जायेगा तब तक बस भी सही हो रही है ।

मैं खड़ा हुआ और बैंडेज लिया और पाखी को लगाया वह रो रही थी । उसको कैसे चुप कराऊं समझ नहीं आ रहा था ।

आगे का भाग चाहिए तो मेरा ‌ पेमेंट दो मेरा पेमेंट तो पता है ना आपकी प्यारी सी मुस्कान

क्रमशः



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