आलू पनीर की लडा़ई
आलू पनीर की लडा़ई


आज अभी बाजार जाना हुआ तो बाजार में ।सब्जियों की आपस में लड़ाई चल रही थीउस लड़ाई में पनीर अपने आप को महान बताना चाह रहा था तो आलू से रहा नहीं गया देखिये जरा कैसे क्या किस्सा बना....आलू और पनीर की आज लड़ाई हो गई पनीर बैठा बैठा बहुत इतरा रहा था बोला मैं तो हर शादी ब्याह में खाया जाता तुम सब सब्जियों को जल्दी से कोई नहीं ले जाता ।इस तरह पनीर बहुत अपनी बड़ाई मार रहा था।
यह देख देख कर वैसे तो सभी सब्जियों को गुस्सा आ रहा था किंतु आलू कुछ ज्यादा ही गुस्से में था ।काफी देर तक है पनीर कि बात सुनता रहा फिर आलू से रहा नहीं गया तो आलू ने कहा ...
"सुन पनीर तुझे, तेरी औकात दिखाता हूं
पनीर तो कभी-कभी आता काम,
मैं हर पल हर रसोई में काम आता हूं
इसीलिए सब्जी का राजा कहलाता हूं
ब
ने पकौड़ी तो मैं काम आता हूं
कचोरी में भी उसका स्वाद बढ़ाता हूं
डाल दिया जाता पराठे में तो स्वाद बढ़ाता हूं
दम आलू में मैं हि काम आता हूं
और कश्मीरी आलू बन मैं इतराता हूं
बिहार को चोखा में, मैं खाया जाता हूं
लगना हो भंडारा सब्जी की, मै शौभा बढाता हूं
अब भी तुझे नहीं आई औकात समझ तेरी तो सुन मैं अमीरी गरीबी का फर्क मिटाता हूं
इस लिये तो अमीर और गरीब के रसोई में पाया जाता हूं ।"
यह सुन कर दिमाग घूम गया। मेरी नजर में आज आलू का मान बढ गया। लडाई में आलू ज्ञान दे गया ।
मस्त रहो ना यार मस्ती में,
आग लग जाने दो बस्ती में,
अपने घर कि सुनो अपने
घर कि सुना कर मत
बात फैलाओ बस्ती में।।
मस्त रहिये तड़का कैसा लगा
मिर्ची ठिक है ना या तिखा और बढा दें।