सफर वाली हसीना
सफर वाली हसीना


एक छोटा सा सफर जयपुर से गुरुग्राम तक का बात बुधवार की रात की है मेरी ट्रेन रात 8:00 बजे की थी मैं रेलवे स्टेशन पर 7:30 पर ही पहुंच गया l
ट्रेन आने में अभी काफी देर थी इसलिए मैंने सोचा क्यों ना खाना खा लिया जाए और मैं एक बेंच पर बैठ गया और हाथ धोकर खाना खाने लग गया अभी 3 -4 निवाले ही लिए थे कि अचानक एक महिला जो 35 से 40 वर्ष की थी उधर आकर खड़ी हो गई और मुझसे पूछने लग गई क्या यह ट्रेन दिल्ली तक जाएगी मेरे मुंह में निवाला होने के कारण मैंने हाँ का इशारा करते हुए गर्दन हिला दी उस महिला को कुछ समझ नहीं आया शायद और उसने दोबारा वही सवाल दोहराया अब तक मेरे मुंह का निवाला मेरे पेट में जा चुका था उसके इस बार सवाल करते ही मैंने बोल दिया हां जी यह दिल्ली तक जाएगी l
वह वहीं खड़ी रही मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था इसलिए मैंने पूछ लिया कि खाना खा लीजिए उसने कहा नहीं नहीं मैं खाना लेकर आई हूं आप खाओ आराम से बह उसी बेंच पर बैठ गई l
मेरे को अब खाना खाने में बड़ा अजीब लग रहा था इसलिए मैंने खाना पैक कर दिया सिर्फ छाछ की बोतल से पूरी छाछ पी कर बोतल को वही कचरा पेटी में डाल दी l मेरे को ऐसे बीच में खाना छोड़ता देखकर वह बोल पड़ी कि आपने मेरी वजह से खाना छोड़ दिया आप कहते हो तो मैं दूसरे बेंच पर जाकर बैठ जाती हूं पर मैंने उनको हंसते हुए बोला नहीं मुझे इतनी ही भूख थी और मैं इतना ही खाना लाया हूं कि अब अगर रात को भूख लगे तो एक पराठा रात को खा लूंगा l
7.50 हो चुकी थी उसने ट्रेन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि चलिए ट्रेन का टाइम हो गया है मैं मेरे कोच के पास ही बैठा था मैंने उनसे पूछा आप का कोच कौन सा है उसने बताया S3 इत्तफाक से मेरा भी कोच S3 ही था l
हम दोनों उस कोच में चले गए देखा कोच में सिर्फ हम तीन लोग थे जिसमें एक महिला एक में और तीसरा टीटी ट्रेन के अंदर गर्मी बहुत ज्यादा हो रखी थी इसलिए मैंने सारी खिड़कियां एक-एक करके खोल दी ताकि ट्रेन चलने से पहले थोड़ी सी ठंडी हो जाए और मैं उसके बाद मेरी बर्थ पर आ गया मेरा बर्थ 50 नंबर था तब तक वह महिला वही खड़ी हुई थी मैंने उनसे पूछा आपका बर्थ कौन सा है तो उन्होंने अंगुलि करते हुए मेरे जस्ट सामने वाली बर्थ की ओर इशारा किया और हंसने लग गई उसकी हंसी देखकर मैं और टीटी भी हंसने लग गए l
टीटी बोले चलो जी हो गया टिकट किस किस नाम से आपका टिकट है एक बार कंफर्म करा दीजिए मैंने अपना नाम बताया उसके बाद उन्होंने अपना नाम बताया उस महिला का नाम प्रिया था टीटी बोला बड़े दुख की बात है दोनों का नाम पी अल्फाबेट से ही है l
टीटी बोला चलो मेरा काम तो हो गया आप लोग अपनी अपनी सीट ले लो और टीटी ने यह कहते हुए दोनों साइड से दरवाजे बंद कर दिए बोले कि अभी लोहारू से पहले कोई भी सवारी नहीं है इसलिए गेट बंद कर देता हूं ताकि किसी प्रकार का कोई डर ना रहे आप लोग आराम से रिलैक्स हो कर सो जाइए मैं इधर ही हूं l
मैं अपनी सीट पर आराम से चादर बिछा कर लेट गया उधर प्रिया ने भी अपने बैग में से एक चद्दर निकाली और अपनी सीट पर बिछा लिया अब शायद उसका खाना खाने का मूड था इसलिए मैं हाथ धोने के लिए चली गई 2 से 3 मिनट बाद वापस आते हुए दूसरी सीट पर बैठ कर खाना खोलने लग गई खाना खोलते खोलते उसने पहले टीटी से पूछा अंकल आ जाइए खाना खा लीजिए टीटी ने हंसते हुए जवाब दिया नहीं बेटा आप खाओ मैं थोड़ा लेट खाना खाता हूं और वैसे भी फिर मेरा खाना ऐसे ही रखा रह जाएगा l
उसके बाद प्रिया ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुरा कर बोली आपने तो नहीं खिलाया खाना अपना , आपने तो मेरे को देखकर बंद और कर लिया था आ जाओ आप खाना खा लो मैं जानती हूं आपने मेरी वजह से खाना नहीं खाया उस टाइम मैंने उनकी तरफ हाथ जोड़ते हुए कहा कि नहीं आप खा लीजिए मेरा पेट भर चुका रात को मैं सिर्फ इतना ही खाना खाता हूं l और फिर प्रिया ने हंसते हुए कहा मैं इसमें कुछ मिला के नहीं लाई हूं आप आराम से खाना खा सकते हो मैं उसकी बातों से समझ रहा था कि वह मुझे अपने साथ खाना खिलाना चाहती थी लेकिन मैं अपनी मर्यादा बंधा हुआ था इसलिए मैंने उनको धन्यवाद देते हुए कहा कि आप खाना खा लीजिए तब तक मैं थोड़ा घूम के आता हूं l. और मैं वहां से खड़ा होकर कोच के अंदर ही इधर-उधर टहलने लग गया मैं जानता था अगर मैं वहां पर बैठा रहा तो प्रिया भी खाना ढंग से नहीं खा पाएगी l
करीब 15 से 20 मिनट बाद जब प्रिया ने खाना खा लिया वह भी मेरे पीछे-पीछे टहलने लग गई और धीरे से बोली अब आप अपनी सीट पर आकर बैठ सकते हो मैंने खाना खा लिया और वह जोर-जोर से हंसने लग गई मैंने प्रिया से उसकी हंसी का कारण पूछा तो प्रिया ने बताया कि जब आप खाना खा रहे थे उसी टाइम में आ गई थी और आपने मुश्किल से आधा ही पराठा खाया होगा और मेरे को वहां पर बैठता देखकर आपने खाना तुरंत छोड़ दिया मैं समझ गई थी उसी टाइम पर कि आप मेरे सामने खाना नहीं चाहते और आप शरम कर रहे हैं और जब मैं खाना खाने लग गई तब आपको लगा कि कहीं मैं भी ऐसा ना करूं इसलिए आप वहां से इधर-उधर टहलने लग गए मैंने फीकी सी हंसी हंसते हुए कहां ऐसा कुछ नहीं है l
चलिए कोई बात नहीं है जैसा आपको सही लगे लेकिन आप आप चल के बैठ जाइए और फिर हम दोनों अपनी अपनी बर्थ पर आ कर लेट गए l
मैंने अपना मोबाइल निकाला और घर पर बीवी से बात करने लग गया मैंने दबी दबी आवाज में बीवी को पूरा किस्सा सुनाया और वीडियो कॉलिंग करके कोच की हालत दिखाई उसने चुटकी लेते हुए कहा कि आज तो आप की मौज हो गई मैं हूं नहीं आपके साथ और आपको पूरी नाईट के लिए नाईट पार्टनर मिल गया l
मुझे उसके मजाक पर थोड़ा गुस्सा आ गया था इसलिए मैंने फोन काट दिया शायद यह सब प्रिया को पता नहीं महसूस हुआ या सुन गया था वह भी थोड़ी सी शक पका गई थी l मैंने अपने आप को संभालते हुए मोबाइल में न्यूज़ देखने लग गया उधर वह भी मोबाइल से किसी के साथ चैटिंग करती रही करीब आधा घंटा हो गया था हम दोनों की तरफ से कोई आवाज नहीं आई l
प्रिया ने धीरे से अपने बैग में से थरमस निकाला और डिस्पोजल कप निकाले उसने साइड में बैठे टीटी से पूछा अंकल मेरे हाथ की बनाई हुई चाय तो पी लेंगे ना आप नहीं तो यहां पर लोगों को डर लगता है कि पता नहीं मैं क्या मिलाकर खिला दूंगी टीटी बहुत तेज से हंसने लग गया और बोले हां बेटा चाय का तो मैं बहुत शौकीन हूं तुम्हारा पूरा थरमस मैं अकेला खाली कर सकता हूं प्रिया ने चाय कप में डालते हुए टीटी को चाय दी और साइड पॉकेट से छोटा बिस्किट का पैकेट निकालते हुए टीटी को देन
े लग गई टीटी ने मना कर दिया कि बेटा मैं सिर्फ चाय पी लूंगा बिस्किट आप खा लो l
प्रिया ने मेरी तरफ देखते हुए कहां की चाय डाल दूं आपके लिए मैं कशमकश में था मना किया तो भी बुरा लगेगा हां किया तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा लेकिन एक दो मिनट मौन रहने के बाद मैंने कहा हां ठीक है आप चाय डाल दीजिए प्रिया के चेहरे पर जैसे एकदम से मुस्कुराहट आ गई थी उसने कप में चाय डाली और बिस्किट के साथ मेरी सीट की ओर आते हुए उसने मुझे चाहिए पकड़ा दी और बिस्किट सीट पर रख कर चली गई मैंने बिस्किट के लिए बोल दिया बिस्किट मैं नहीं खाऊंगा आप प्लीज रख लीजिए मैंने चाय की पहली शिप ली चाय वास्तव में बहुत अच्छी बनी हुई थी अदरक इलायची काली मिर्च लौंग और तुलसा जी का पूरा फ्लेवर उस चाय में जुबान के ऊपर एकदम चिपक रहा था l मेरे से रुका नहीं गया और मैंने कहा यह जिस भी व्यक्ति ने चाय बनाई है उस व्यक्ति को माता अन्नपूर्णा का आशीर्वाद मिला हुआ है उस व्यक्ति के हाथ का खाना भी बहुत स्वादिष्ट बनेगा जिस व्यक्ति ने यह चाय बनाई है l
प्रिया जोर जोर से हंसने लग गई और बोली मैं तो समझती थी आप शर्मीले हो पर आप तो तारीफ भी नहीं करना जानते अभी जब मैंने टीटी अंकल को चाय दी तब मैंने जोर से आवाज लगाई थी कि मेरे हाथ की बनी हुई चाय तो पी लेंगे ना पर शायद उस टाइम आपके कान पुर में हड़ताल चल रही थी l
मेरे को बहुत तेज हंसी आ गई , उधर टीटी भी बहुत तेज तेज हंसने लग गए बोले क्या शॉट मारा है बोल बाउंड्री से बाहर l
मैंने चाय पीने के बाद कप बाहर फेंक दिया और लेट गया मैंने प्रिया को चाय के लिए थैंक्यू बोला प्रिया ने हंसते हुए फिर से बोल दिया आपने तो मेरे को देख कर खाना भी पैक कर लिया था पर यह देखो मेरी जिंदादिली मैंने आपको खाना भी पूछा चाय भी पिलाई आपको और चाय पीनी है टॉप थरमस रखा हुआ है ऊपर ही कप की तरफ इशारा करते हुए इधर कप पड़े डिस्पोजल वाले यही बात प्रिया ने टीटी को भी बोल दी टीटी एकदम खुश हो गए और बोले बहुत-बहुत धन्यवाद बेटा l
हमारे कोच का माहौल ऐसे लग रहा था जैसे एक घर में बड़े बुजुर्ग के सामने एक मियां बीवी रहते हैं l [मैं भी अजीब हूं क्या क्या सोचता रहता हूं]
थोड़ी देर बाद प्रिया ने मेरे तरफ घूमते हुए मेरे से कहा अगर आपके पास चार्जर है तो क्या मुझे आप दे देंगे एक बार मैंने कहां हां हां क्यों नहीं मैंने बैग के अंदर से चार्जर निकाला और चार्जर प्रिया की सीट पर रख दिया प्रिया ने चार्जर उठाया और अपना मोबाइल चार्जिंग में लगा दिया अब उसके पास कोई ऑप्शन नहीं है बचा था और ना उसको नींद आ रही थी तो उसको यही था कि मैं उससे बात कर लूं l
उसने बड़ी दबी दबी आवाज में मेरे से पूछा क्या आपको नींद आ रही है मैंने सर को हिलाते हुए कहा नहीं अभी तो नहीं तो प्रिया ने बोला कि फिर थोड़ी देर मेरे से बात कर लीजिए मेरे को थोड़ी बेचैनी सी हो रही है l
मेरे को कोई बात समझ नहीं आ रही थी फिर उसने ही बोलना शुरू किया आप क्या करते हो मैंने बताया मेरा खुद का बिजनेस है हम लोग सर्विस प्रोवाइडर मैनेजमेंट से रिलेटेड सर्विस प्रोवाइड करते हैं क्लाइंट कंपनी को उसको यह था कि मैं उससे पूछ लूंगा कि वह क्या करती है मैं सच में पूछना भी चाहता था लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हो पाई और मैं चुपचाप बैठा रहा तभी उसने बताया दिल्ली में उसका ब्यूटी पार्लर है l
हम इसी तरह आधा पौना घंटा ऐसे ही बात करते रहे इधर उधर की बात करते करते रात का 1:00 बज चुका था और लोहारू स्टेशन भी आ चुका था जैसा कि टीटी ने बताया था लोहारू स्टेशन से हमारे कोच में करीब दो तीन महिलाएं और तीन पुरुष आ गए l
इत्तेफाक की बात है कि हमारे वाले एरिया में किसी की भी सीट नहीं थी उधर सिर्फ हम दोनों ही थे प्रिया उन लोगों के आ जाने से थोड़ी डर सी गई थी इसलिए उसने रिक्वेस्ट की प्लीज आप मेरे पास वाली सीट पर आ जाइए ताकि लोगों को लगेगा कि यह औरत अकेली नहीं है इसके साथ में इसके घर से कोई है l मैं उसकी स्थिति समझ पा रहा था रात का समय था और वैसे भी हम लोग हरियाणा में थे तो डर स्वभाविक था मैं उसकी बात को समझते हुए उसके पास वाली सीट पर जाकर लेट गया l
मोबाइल में न्यूज़ सुनते सुनते कब मुझे नींद आ गई मुझे कुछ पता नहीं चला सुबह जब मेरी आंख खुली तो उस टाइम सुबह के 4:00 बज के 40 मिनट हो चुके थे मेरा स्टेशन मात्र 10 मिनट बाद आने वाला था प्रिया को नींद आ गई थी मैंने उसे जगाना उचित नहीं समझा लेकिन मुझे मेरा चार्जर लेना था इसलिए मजबूरी थी मुझे उसको जगाना पड़ा मैंने उसको सॉरी बोलते हुए उसको जगाया और बोला जी अगला स्टेशन मेरा है आप मुझे चार्जर दे दीजिए और अब तो वैसे भी दिन हो चुका है इसलिए आप को डरने की जरूरत नहीं है l
प्रिया अपने आप को संभालते हुए उठी और बैठ गई हड़बड़ाहट में उसने चार्जर निकाला और मेरी तरफ बढ़ा दिया इतनी ही देर में ट्रेन रुकने लग गई मैं उसको समझा रहा था परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है सुबह हो गई है और वैसे भी अब डब्बे में काफी सारी सवारी आ चुकी है गुड़गांव से काफी सवारियां चढ़ चुकी थी जिनमें ज्यादातर ऑफिस जाने वाली लड़कियां थी इसलिए प्रिया को भी लगा कि मेरी बात सही है l
और मैं आगे चलकर गेट से बाहर आ गया ट्रेन चलने का होरन दे चुकी थी मैं जब तक प्रिया की खिड़की के पास आया ट्रेन चल पड़ी थी मेरा बैग बहुत भारी था इसलिए मेरे को वहां तक आने में टाइम लग गया प्रिया ने अपना हाथ बाहर निकाला शायद वह मेरे से हाथ मिलाना चाहती थी और मैं ट्रेन से थोड़ी दूरी पर था उसने जोर से आवाज लगाई बहुत-बहुत धन्यवाद आप मेरे हमसफर बने मेरा ख्याल रखा लेकिन आपने अपना नंबर नहीं दिया मैं कुछ कर पाता या बोल पाता तब तक ट्रेन मेरी अप्रोच से दूर जा चुकी थी मेरे को भी बड़ा अजीब लगा कि जब हम दोनों ने इतनी सारी बातें कर ली उसके बाद भी हम दोनों ने एक दूसरे से एक दूसरे का नंबर नहीं पूछा l
पता नहीं अब कभी हमारा मिलना होगा या नहीं होगा लेकिन एक बात समझ में आ गई भगवान ऐसे ही किसी को किसी से नहीं मिलाता है l
लड़की अकेली है भगवान को उसकी चिंता थी इसलिए भगवान ने मेरे को या उसको मेरे पास भेजा वह कोई इत्तेफाक नहीं था कि हम दोनों का एक ही कोच था एक ही साइड में हमारी सीटें थी भगवान को मेरे द्वारा उसको सिक्योरिटी दिलवाना था इसलिए भगवान ने मुझसे उसकी सिक्योरिटी करवा दी हम सब निमित्त मात्र है करवाने वाला ऊपर है वही सब कुछ करवाता है इस सफर में मैं यही सीख पाया हूं आप क्या सीखे कृपया करके मैसेज में जरूर बताइएगा l